Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
कोरोना मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन इस्तेमाल को लेकर नया गाइडलाइन जारी - श्रीनारद मीडिया

कोरोना मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन इस्तेमाल को लेकर नया गाइडलाइन जारी

कोरोना मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन इस्तेमाल को लेकर नया गाइडलाइन जारी

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

• विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा- रेमडेसिविर इंजेक्शन का मरीजों पर बहुत कम या कोई प्रभाव नहीं पड़ा
• रेमडेसिविर की खरीदारी अस्पतालों को करनी होगी
• अस्पताल को स्पेशल ड्रग कमिटी विशेष (एसडीसी) गठित करना होगा

श्रीनारद मीडिया, पंकज मिश्रा, छपरा (बिहार):


वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल में रेमडिसिविर इंजेक्शन की डिमांड बढ़ गयी थी। रेमडेसिविर इंजेक्शन के इस्तेमाल को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने नया गाइडलाइन जारी किया है। कोरोना के इलाज के लिए रेमडेसिविर के तर्कसंगत इस्तेमाल के लिए गाइड लाइन जारी किया गया है। डीजीएचएस की अध्यक्षता में जॉइंट मानिटरिंग ग्रुप ने इस एडवाइजरी को जारी किया है। द ‘एडप्टिव कोविड – 19 ट्रीटमेंट [जीएम1] ट्रायल’ में पाया गया कि मध्यम से गंभीर मामलों में रेमडेसिविर उपयोगी है, अगर कोविड-19 के मामलों में ऑक्सीजन लेवल 94% कमरे की हवा में अगर ये बीमारी के 7 से 10 दिनों के भीतर प्रशासित किया जाता है। रेमडेसिविर ने रैंडमाइजेशन से रिकवरी (प्लेसीबो के साथ 10 दिन, बनाम 15 दिन) तक का औसत समय कम कर दिया और हो सकता है कि अस्पताल से छुट्टी तक का समय कम हो गया हो, लेकिन मृत्यु दर का लाभ नहीं दिखा| डब्लयूएचओ द्वारा मार्च 2020 से 30 देशों में आयोजित ‘सॉलिडैरिटी ट्रायल’ 405 अस्पताल में 11330 वयस्कों पर हुआ; 2750 को रेमडेसिविर दिया गया| ‘डब्ल्यूएचओ सॉलिडेरिटी ट्रायल’ के अंतरिम नतीजे दिसंबर 2020 को प्रकाशित हुए और पता चला कि रेमेडिसविर का कोविड-19 के साथ अस्पताल में भर्ती मरीजों पर बहुत कम या कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

हल्के लक्षण वाले मरीजों को नहीं देना रेमडेसिविर:
जारी गाइड लाइन में कहा गया है कि रेमडेसिविर का उपयोग केवल चुनिंदा मध्यम या गंभीर अस्पताल में भर्ती कोविड 19 रोगियों में पूरक ऑक्सीजन पर किया जाना है क्योंकि यह केवल सीमित वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर इमरजेंसी यूज़ ऑथराइजेशन के तहत अनुमोदित एक आरक्षित दवा है। हल्के कोविड-19 रोगियों में इसको नहीं दिया जाता है जो होम केयर/कोविड केयर सेंटर में हैं।

अत्यधिक सावधानी बरतने की सलाह:
गाइड लाइन में डाक्टरों को सलाह दी गयी है कि वे इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए इस रिजर्व, एक्सपेरिमेंटल और इमरजेंसी यूज़ ऑथराइजेशन दवा रेमडेसिविर का उपयोग करने में अत्यधिक सावधानी बरतें क्योंकि यह केवल एक एक्सपेरिमेंटल दवा है कोविड में, जिसमें नुकसान की संभावना है। इसके अलावा, रेमडेसिविर के दुरुपयोग को रोकने के लिए अतिरिक्त सिफारिश की गई है। रेमडेसिविर को मरीज की देखभाल में सीधे शामिल वरिष्ठ फैकल्टी मेंबर/विशेषज्ञों द्वारा ही सलाह दी जानी चाहिए।

स्पेशल ड्रग कमिटी होगी गठित :
रेमडेसिविर के लिए प्रिस्क्रिप्शन लिखा होना चाहिए और संबंधित डॉक्टर का नाम, हस्ताक्षर और मुहर होनी चाहिए। हर अस्पताल को स्पेशल ड्रग कमिटी विशेष (एसडीसी) गठित करना होगा जो कि रेमडेसिविर के उपयोग की समय-समय पर समीक्षा करेगा। वहीं इस स्पेशल ड्रग कमिटी विशेष (एसडीसी) के सदस्य के रूप में फार्माकोलॉजी प्रोफेसर या फैकल्टी जहां कहीं भी उपलब्ध हो। ड्रग कमिटी विशेष (एसडीसी) को समय-समय पर अपने निष्कर्षों को चिकित्सकों के साथ साझा करना चाहिए| रेमडेसिविर के तर्कसंगत और विवेकपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करेंगे। रेमडेसिविर केवल अस्पतालों द्वारा खरीदा और उपलब्ध कराया जाना चाहिए, रोगी के अटेंडेंट या रिश्तेदारों को रिटेल मार्केट से रेमडेसिविर खरीदने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए।

 

 

यह भी पढ़े

जरती माई मन्दिर के निर्माण को लेकर दो पक्षों के बीच उठे विवाद के बाद जमकर मारपीट

बिहार में नई गाइडलाइन जारी: एक दिन बीच कर खुलेंगी सारी दुकानें

सीवान फतेहपुर के आदित्‍य अंशु ने बीपीएससी परीक्षा पास कर बना पंचायती राज पदाधिकारी

लिव-इन रिलेशन में रहने के फैसले का मूल्यांकन करना अदालत का काम नहीं : हाईकोर्ट

Leave a Reply

error: Content is protected !!