प्रतिनिधि मण्डल के पहुंचने की सूचना पर विवेचक गायब: नरेन्द्र वर्मा
मामला रामसनेहीघाट की गरीब नवाज मस्जिद का
श्रीनारद मीडिया, लक्ष्मण सिंह, बाराबंकी (यूपी):
बाराबंकी। कथित मुकदमें में नोटिस जारी करके दो दिन में मांगा गया था साक्ष्य, किन्तु एक दिन कर दिया गया बरबाद, जिसके क्रम में आज 8 सदस्यीय प्रतिनिधि मण्डल थाना रामसनेहीघाट पहुंचा तो वहां पर विवेचक गायब मिले, प्रतिनिधि मण्डल ने जब फोन से विवेचक से वार्ता की कई तो उन्होंने कल आने की बात कहकर फोन काट दिया।
श्री वर्मा ने बताया कि उपजिलाधिकारी रामसनेहीघाट द्वारा विगत दिनों अंग्रेजों के जमाने से कायम मस्जिद को लाकडाउन का घोर उल्लंघन करते हुए रातो-रात गिरा दिया। विदित हो कि प्रशासन ने मामले को दबाने के लिए मस्जिद की कमेटी व वहां पर जाने वाले लोगों के खिलाफ फर्जी मुकदमा अपराध संख्या-189.2021 419, 420, 467, 468, 471 आई0पी0सी0सी0 मुश्ताक अली आदि 08 नफर दर्ज किया गया था जिसमें विवेचक राजेश कुमार गुप्ता वरिष्ठ उपनिरीक्षक थाना रामसनेहीघाट, बाराबंकी द्वारा साक्ष्य के सम्बंध में दिनांक 07.05.2021 को एक नोटिस जारी कि गई और उसमें दो दिन के अन्दर साक्ष्य उपलब्ध कराने की बात कहीं गई किन्तु जब आज प्रतिनिधि मण्डल विवेचक से मिलने गया तो विवेचक नहीं मिले और अगले दिन मिलने की बात फोन द्वारा बताई। मालूम चला है कि उपरोक्त मामले में क्षेत्रीय विधायक व्यक्तिगत रूचि लेकर प्रशासन पर दबाव बना रहे हैं ताकि मनमर्जी की रिपोर्ट लगाने के लिए देरी दिखाई जाये ताकि उक्त नोटिस टाइम बार्ड के अभाव में एकपक्षीय आदेश पारित करवाया जा सके, लेकिन इस बार हम लोग अन्याय नहीं होने देंगे, हम लोग पीछे हटने वाले नहीं है। उपरोक्त मुकदमें में माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद खण्डपीठ लखनऊ द्वारा कथित अभियुक्तों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गई है।
प्रतिनिधि मण्डल में नरेन्द्र कुमार वर्मा एडवोकेट, मो0 आसिफ एडवोकेट, ताज बाबा राईन, मो0 नईम सभासद अन्य तमाम लोग रहे।
वही ग्राम मनोरा रामनगर बाराबंकी में एडवोकेट धर्मपाल सिंह के घर भंडारा में प्रसाद ग्रहण कर आशीर्वाद लिया साथ मे विजय वर्मा, रमेश वर्मा, अंगद शुक्ला आदि मौजूद रहे।
यह भी पढ़े
जरती माई मन्दिर के निर्माण को लेकर दो पक्षों के बीच उठे विवाद के बाद जमकर मारपीट
बिहार में नई गाइडलाइन जारी: एक दिन बीच कर खुलेंगी सारी दुकानें
सीवान फतेहपुर के आदित्य अंशु ने बीपीएससी परीक्षा पास कर बना पंचायती राज पदाधिकारी
लिव-इन रिलेशन में रहने के फैसले का मूल्यांकन करना अदालत का काम नहीं : हाईकोर्ट