20 सालों में पहली बार वैश्विक स्तर पर बढ़ा बाल श्रम.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
20 वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ है, जब वैश्विक स्तर पर बाल श्रम में वृद्धि दर्ज की गई है। संयुक्त राष्ट्र ने गुरुवार को कहा कि दुनिया भर में 10 में से एक बच्चा काम कर रहा है, जबकि लाखों और बच्चे कोविड-19 के कारण जोखिम में हैं। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने कहा कि 2016 में बाल श्रमिकों की संख्या 152 मिलियन (15.2 करोड़) से बढ़कर 160 मिलियन (16 करोड़) हो गई है। इसमें जनसंख्या वृद्धि और गरीबी के कारण अफ्रीका में सबसे अधिक वृद्धि हुई है।
यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक हेनरीटा फोर ने 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस से पहले एक बयान में कहा, ‘हम बाल श्रम के खिलाफ लड़ाई में जमीन खो रहे हैं और पिछले साल ने उस लड़ाई को और मुश्किल कर दिया है।’ उन्होंने कहा कि वैश्विक लॉकडाउन के दूसरे वर्ष में स्कूल बंद होने, आर्थिक संकट ने परिवारों को दिल तोड़ने वाले विकल्प लेने पर मजबूर कर दिया है।
संयुक्त राष्ट्र ने 2021 को बाल श्रम उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय वर्ष घोषित करते हुए कि 2025 तक इस प्रथा को समाप्त करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। यूएन का कहना है कि कोरोनमा महामारी से संबंधित आर्थिक झटके और स्कूल बंद होने के कारण बाल मजदूरों को अब अधिक घंटे या बदतर परिस्थितियों में काम करना पड़ सकता है।
रिपोर्ट में बाल श्रम में 5 से 11 वर्ष की आयु के बच्चों की संख्या में वृद्धि पर प्रकाश डाला गया है, जो अब कुल वैश्विक आंकड़े के आधे से अधिक हैं। इसके साथ ही खतरनाक काम करने वालों की संख्या में भी वृद्धि हुई है जो उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। यूनिसेफ के वरिष्ठ सलाहकार क्लाउडिया कप्पा ने कहा कि रोजगार के लिए न्यूनतम आयु सुनिश्चित होने तक मुफ्त और अच्छी गुणवत्ता वाली स्कूली शिक्षा देने से बाल श्रमिकों की संख्या 15 मिलियन (1.5 करोड़) तक गिर सकती है।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के महानिदेशक गाय राइडर के अनुसार, ग्रामीण विकास में निवेश में वृद्धि और कृषि में ध्यान देने से भी ये संख्या गिर सकती है, जहां से बाल श्रम का 70 फीसद हिस्सा आता है। राइडर ने कहा कि नई रिपोर्ट हमें आगाह करने वाली है। हम नई पीढ़ी के बच्चों को जोखिम में जाते हुए नहीं देख सकते। उन्होंने कहा कि हम एक महत्वपूर्ण क्षण में हैं और बहुत कुछ इस पर निर्भर करता है कि हम कैसे प्रतिक्रिया देते हैं।
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