बीपीएससी में सफल निकिता के पास डिग्री न होने से पात्रता हो गई रद
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क :
मगध विश्वविद्यालय की कारगुजारी का खामियाजा एक मेधावी बेटी को भुगतना पड़ा। बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 64वीं परीक्षा में सफल बिहाशरीफ की निकिता की पात्रता रद कर दी गई, क्योंकि वर्ष 2013 में बीएससी परीक्षा पास करने की मगध विश्वविद्यालय से उसे डिग्री नहीं मिली।
निकिता के सिर से मां-पिता का साया उठ गया था। पढऩे की ललक थी, तो बड़ी बहन की ससुराल में रहकर पढ़ाई की। अपनी मेधा की बदौलत बीपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की। लगा कि मेहनत सफल हो गई, लेकिन अब उसके पास सिस्टम को कोसने के अलावा कुछ नहीं बचा है।
नौकरी के लिए लड़नी होगी लंबी लड़ाई
बता दें कि मगध विश्वविद्यालय डिग्री को लेकर हमेशा से चर्चा में रहा है। कई कुलपति आए, कई तरीके अपनाए, लेकिन नतीजा सिफर रहा। बिहारशरीफ के खंदकपर निवासी पवन कुमार सिन्हा की बेटी निकिता ने नालंदा कालेज, बिहारशरीफ से बीएससी की परीक्षा 2013 में पास की थी। परीक्षा उत्तीर्ण करने के सात वर्ष बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन ने डिग्री मुहैया नहीं कराई। नतीजतन, आयोग ने उसे दो दिन पहले पत्र भेज दिया, जिसमें लिखा था कि स्नातक का प्रमाण पत्र नहीं रहने के कारण आपका परिणाम रद किया जाता है। अब निकिता को नौकरी प्राप्त करने के लिए एक लंबी लड़ाई लडऩी पड़ेगी और इंतजार भी करना पड़ेगा।
लॉकडाउन का बहाना
मगध विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डा. भृगुनाथ कहते हैं कि छात्रा को डिग्री मुहैया करा दी गई है। कोविड-19 के कारण लाकडाउन में विश्वविद्यालय बंद था। निकिता के डिग्री के संबंध में बिहार लोक सेवा आयोग को भी सूचना मेल के माध्यम से दी गई थी।
पिछले नौ माह से विश्वविद्यालय के चक्कर काट रही थी निकिता
निकिता ने बताया कि वह अपने प्रमाण पत्र के लिए पिछले नौ माह से विश्वविद्यालय के चक्कर काट रही थी। जब बीपीएससी की लिखित परीक्षा पास करने के बाद साक्षात्कार का समय आया, तो वह अपना प्रमाण पत्र लाने फिर से बोधगया गई। वहां साक्षात्कार का पत्र मांगा गया। उस आधार पर टेस्टीमोनियल लिखकर दे दिया गया और उसने साक्षात्कार दे दिया। उसके बाद भी विश्वविद्यालय का चक्कर काटती रहीं, लेकिन कोई हल नहीं निकला। एक सप्ताह पहले हंगामा किया तो रजिस्ट्रार ने आयोग को मेल कर यह बताया दिया कि उसके प्रमाण पत्र जमा करने की देरी के पीछे विश्वविद्यालय की प्रक्रिया है। इसलिए निकिता को मौका दिया जाए। निकिता सिन्हा ने सवाल उठाया कि अगर दिक्कत थी तो प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा या साक्षात्कार लेने वक्त बीपीएससी के अफसरों ने क्यों नहीं पूछा। विश्वविद्यालय का टेस्टीमोनियल भी आयोग नहीं मानता!
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