विश्व बाल श्रम निषेध दिवस विशेष:
सन्निर्माण श्रमिकों एवं बाल श्रम से मुक्त हुए बच्चों को मिला योजना का लाभ
• जिलाधिकारी ने योग्य लाभुकों को दी योजना की धनराशि
• बाल श्रम से मुक्त हुए 16 बच्चों को दी गयी 25000 रूपये की सहायता राशि
• 58 सन्निर्माण कर्मकारों को 5 तरह की योजनाओं का मिला लाभ
• जिलाधिकारी ने बाल श्रम पर जागरूकता के लिए 7 सूचना रथ को किया रवाना
श्री नारद मीडिया, प्रतीक कु सिंह, मोतीहारी, पूर्वी चंपारण बिहार
मोतिहारी/ 12, जून: मासूम बच्चे अपनी पीठ पर किताबों की बैग रखने की जगह जब एक श्रमिक की तरह काम करने लगते हैं तो इससे उनका बचपन एवं भविष्य अन्धकारमय हो जाता है. साथ ही यह परिवार, समाज एवं देश की प्रगति को भी अवरुद्ध कर देता है. ऐसे तो इस विषय पर प्रत्येक दिन गहन विचार करने की जरूरत है. लेकिन प्रत्येक वर्ष के 12 जून को मनाए जाना वाला विश्व बाल श्रम निषेध दिवस बच्चों को बाल श्रम से रोकने की सरकार की प्रतिबद्धता एवं समाज की ज़िम्मेदारी को अधिक उजागर करता है.
इसी कड़ी में शनिवार को जिलाधिकारी श्रीसत कपिल अशोक की अध्यक्षता में संयुक्त श्रम भवन में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसके दौरान जिलाधिकारी ने बाल श्रम से मुक्त हुए जिले के 16 बच्चों को बाल श्रम ट्रैकिंग सिस्टम के तहत 25000 रूपये की धनराशि उनके बैंक एकाउंट में जमा करायी. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2016 में बाल श्रम से मुक्त हुए बच्चों को आर्थिक सहायता देने के उद्देश्य से बाल श्रम ट्रैकिंग सिस्टम की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत बाल श्रम से मुक्त हुए ऐसे प्रत्येक बच्चों को मुख्यमंत्री राहत कोष से 25000 रूपये की धनराशि उनके एकाउंट में दी जाती है. यह राशि उन्हीं बच्चों को दी जाती है, जो इस योजना के तहत पंजीकृत हुए हों.
58 सन्निर्माण कर्मकारों को 5 तरह की योजनाओं का मिला लाभ:
जिलाधिकारी ने जिले के पंजीकृत 58 सन्निर्माण कर्मकारों को बिहार भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के तहत 5 तरह की योजनाओं की राशि भी प्रदान की.
जिला श्रम अधीक्षक राकेश रंजन ने बताया कि बिहार भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड का गठन राज्य श्रम संसाधन विभाग के तहत किया गया है, जिसमें सन्निर्माण श्रमिकों के लिए कुल 15 तरह की योजनाओं को शामिल किया गया है. शनिवार को सन्निर्माण श्रमिकों की स्वाभाविक मृत्यु पर उनके परिजनों को 4 लाख रुपये, आकस्मिक मृत्यु पर 2 लाख रुपये , कर्मकारों की दो बेटियों की शादी के लिए 50000-50000 रूपये, महिला श्रमिकों को प्रसव की अवस्था में 90 दिनों की मजदूरी एवं श्रमिकों के बच्चे द्वारा 10 वीं एवं 12 वीं क्लास में 60% अंक हासिल करने पर 10000 रूपये एवं 70% अंक हासिल करने पर 15000 रूपये की सहायता राशि प्रदान की गयी. इस योजना के तहत ऐसे श्रमिकों के बच्चों को आईआईटी एवं आईआईएम में सफल होने पर उन्हें कॉलेज की पूरी फ़ीस भी दी जाती है. वहीं बीटेक करने पर 5000 रूपये से 20000 रूपये तक की सहायता राशि देने का भी प्रावधान किया गया है.
7 सूचना रथों को किया रवाना:
कार्यक्रम के समापन के बाद जिलाधिकारी ने बाल श्रम के विरुद्ध लोगों को जागरूक करने एवं बच्चों में शिक्षा की महत्ता को उजागर करने के लिए 7 सूचना रथों को रवाना भी किया.
डंकन हॉस्पिटल के प्रोजेक्ट मेनेजर समीर दिगल ने बताया कि उनकी संस्था के सहयोग से 7 सूचना रथ को रवाना किया गया है, जो पूरे जिले में घूम-घूम कर बाल श्रम के विरुद्ध लोगों को जागरूक करेगा. साथ ही ऐसे बच्चों के माता-पिता को बाल शिक्षा की जरूरत पर जानकारी भी देगा. उन्होंने बताया कि बाल श्रमिकों को मुक्त कराने एवं उन्हें शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए उनकी संस्था कार्य कर रही है, जिसमें चाइल्ड लाइन इंडिया, प्रथम एवं बचपन बचाओ आन्दोलन, एफिकर संस्था भी सहयोग कर रही है.
इस दौरान सहायक निदेशक बाल श्रम धीरज कुमार, जिला शिक्षा अधिकारी, आयुष्मान भारत के नोडल सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे.