गणेश मिश्रा ने दलबदलुओं को बताया शोकेस की मिठाई.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल राय की तृणमूल कांग्रेस में घर वापसी के बाद से पार्टी में उठा तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा। इसका असर पड़ोसी राज्य झारखंड में भी देखने को मिल रहा है। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तकरीबन 54 विधानसभा क्षेत्रों के प्रभारी रहे झारखंड भाजपा के कद्दावर नेता गणेश मिश्रा व्यथित हैं। उन्होंने मुकुल राय के बहाने दलबदलू नेताओं पर निशाना साधा है।

इंटरनेट मीडिया फेसबुक पर बड़ी बात लिख डाली है। भाजपा के श्लाका पुरुष पंडित दीनदयाल उपाध्याय काे उद्धृत करते हुए लिखा है कि बाहर से आए नेता शाेकेस की मिठाई जैसे हाेते हैं। नुकसान ही करते हैं, लाभ नहीं हाेता। वे कभी अंतर्मन से पार्टी से नहीं जुड़ते। हालांकि इसमें उनका अपना दर्द भी छुपा हुआ है। बाहर से आई अपर्णा की वजह से ही उन्हें टिकट से हाथ धाेना पड़ा और विधायक बनते-बनते रह गए। जबकि पिछले चुनाव में वे चंद वाेटाें से पिछड़ गए थे।

गणेश की टिप्पणी को लेकर निकाले जा रहे हैं मायने

सोशल मीडिया में दलबदलुओं पर मिश्र की टिप्पणी के मायने निकाले जा रहे हैं। इसे निरसा की राजनीति में अपर्णा सेनगुप्ता के भाजपा में शामिल होकर विधायक बनने और गणशे मिश्रा का टिकट कटने से जोड़कर भी देखा जा रहा है। हालांकि किसी स्थानीय मसले पर टिप्पणी से वे इन्कार करते हैं। कहते हैं कि उनकी टिप्पणी बंगाल के परिप्रेक्ष्य में थी। वहां के लाेगाें की मानसिकता अलग है। वहां सीधी लड़ाई है।

इस लड़ाई में बंगाल के कई लाेगाें काे अपनी जान गंवानी पड़ी, कई लोगों को घर-बार छोड़ना पड़ा, कई लोग दिव्यांग हाे गए। ऐसे लाेगाें के बीच जब उन्हीं लोगों को पार्टी में शामिल कराया गया जिनसे वे वर्षाें से लड़ रहे थे ताे वे उसे कुबूल नहीं कर पाए। बल्कि उन्हाेंने उसका विराेध भी किया। परिणाम यह हुआ कि नवागंतुक नेताओं व पारंपरिक कार्यकर्ताओं के बीच वैमनस्यता बनी रही, कभी कोई मेलजोल नहीं हुआ। ऐसा एक-दो जगह होती ताे बात कुछ और थी।

टीएमसी के 134 लोगों को टिकट दिया गया, विधायक बने तीन

मिश्र ने बताया कि पार्टी ने तृणमूल से आए 134 लोगों को टिकट दिया था। इनमें तकरीबन 30 पूर्व विधायक थे। इनमें से मात्र तीन लोग ही जीत कर आ सके। हमें समझना हाेगा कि बंगाल की स्थिति शेष भारत से कुछ अलग है। ऐसा वहां दशकाें से राजनीतिक पैटर्न की वजह से है।

नहीं होगा कोई बिखराव

इस सवाल पर कि आगे क्या और बिखराव होने की आशंका है। मिश्र का कहना था बिल्कुल नहीं। बाहर से आए हुए लाेगाें में मात्र तीन विधायक ही थे जिनमें एक मुकुल राय चले गए। 77 में 74 पूरी तरह हमारे पुराने कार्यकर्ता रहे विधायक हैं जिनमें से सभी पार्टी के नीति-सिद्धांताें से हृदय से जुड़े हैं। पार्टी के विधायक दल में मुझे भविष्य में काेई टूट या बिखराव हाेती नहीं दिख रही। भाजपा पूरी एकजुटता से तृणमूल का मुकाबला करेगी।

काैन हैं गणेश मिश्र

झारखंड भाजपा के नेता गणेश मिश्रा आरएसएस पृष्ठभूमि से आते हैं। झारखंड प्रदेश भाजपा कार्यालय प्रभारी, प्रदेश महामंत्री, प्रदेश भाजपा प्रशिक्षण प्रमुख रह चुके हैं। 2014 के झारखंड विधानसभा चुनाव में निरसा से करीब 500 मतों के अंतर से चुनाव हार गए थे। 2019 के चुनाव में भाजपा ने मिश्र को टिकट न देकर फारवर्ड ब्लाक से आईं अपर्णा सेनगुप्ता को थमा दिया। चुनाव में सेनगुप्ता विजयी हुईं।

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