साथ रह रहे जोड़े का गांव की सभा ने क्यों किया सामाजिक बहिष्कार?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

झारखंड के खूंटी जिले के तोरपा में लिव इन रिलेशन में रह रहे एक प्रेमी जोड़े का सामाजिक बहिष्कार करने का मामला प्रकाश में आया है. ये मामला तपकारा थाना क्षेत्र के गेंद टोली(बेहरा टोली) का है. इसी गांव के जय मसीह गुड़िया व अर्चना गुड़िया सहित उनके परिवार का सामाजिक बहिष्कार किया गया है. कारण यह है कि दोनों एक ही गोत्र के होने के बावजूद आपस मे प्रेम संबंध स्थापित कर साथ साथ रह रहे हैं. इन दोनों का सात माह का एक बेटा भी है.

मिली जानकारी के अनुसार गेंद टोली के जय मसीह गुड़िया का बेहरा टोली के अर्चना गुड़िया के साथ प्रेम संबंध था. इसी बीच अर्चना गर्भवती हुई तो जय मसीह उसे अपने घर ले आया. दोनों परिवार की सहमति से जय मसीह व अर्चना साथ साथ रहने लगे. जय मसीह ने बताया कि इसके बाद बेहरा टोली गांव में ग्रामीणों की बैठक गांव के मुंडा नवीन गुड़िया की अगुवाई में हुई. बैठक में दोनों को बुलाया गया तथा उन्हें अलग अलग रहने को कहा गया. ऐसा नहीं करने पर सामाजिक बहिष्कार की बात कही गयी. जय मसीह ने उनसे कहा कि अर्चना गर्भवती है इस हालत में उसे नहीं छोड़ सकते. इसके बाद गांव की सभा ने उनके सामाजिक बहिष्कार का फरमान सुनाया.

जय मसीह व अर्चना ने बताया कि सामाजिक बहिष्कार के बाद गांव के लोग दोनों परिवार के काम में हाथ नहीं बंटाते हैं. जिसके कारण वह खेती भी नहीं कर पा रहा है. गांव के लोग उनसे बात भी नहीं करते हैं. जिससे वे दोनों अपने को प्रताड़ित महसूस कर रहे हैं. बेहरा टोली गांव का मुंडा नवीन गुड़िया से बात करने पर उन्होंने बताया कि जय मसीह व अर्चना एक ही गोत्र के हैं और एक ही गोत्र में शादी करने की मनाही है. यह हमारी सामाजिक परंपरा है कि कोई भी व्यक्ति एक ही गोत्र में शादी नहीं कर सकता. इन्होंने परम्परा के विरुद्ध काम किया है. इसलिए इनके सामाजिक बहिष्कार का सामूहिक निर्णय लिया गया है.

आपको बता दें कि झारखंड के खूंटी समेत कई जिलों में ढुकुआ विवाह की परंपरा है, जहां बिना विवाह के जोड़े लिव इन रिलेशन में रहते हैं. कहा जाता है कि शादी में पूरे गांव को भोज देने के बाद ही विवाह मान्य होता है. ऐसे में आर्थिक रुप से कमजोर लोग लिव इन में रहने को मजबूर रहते हैं. इसे ढुकुआ विवाह कहते हैं. हालांकि इसे मान्यता नहीं है. कई तरह के अधिकार से ये जोड़े वंचित रहते हैं. हाल के दिनों में स्वयंसेवी संस्थाओं ने इस दिशा में पहल की है और सामूहिक विवाह कराया.

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