बिहार में पंचायत चुनाव सितंबर सकता है शुरू, जानें EC ने क्या उठाए कदम
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
बिहार में कोरोना संक्रमण के कारण बिगड़े हालात अब काफी कंट्रोल होते जा रहे हैं. माना जा रहा है कि जल्द ही बिहार में अधिकतर विभागों के सामान्य कामकाज शीघ्र ही होने लगेंगे. ऐसे में प्रदेश में कोरोना के कारण टल चुके पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Election) की तैयारियों को लेकर भी सुगबुगाहट शुरू हो गई है. राज्य निर्वाचन आयोग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आयोग अगामी दो से तीन महीनों में पंचायत चुनाव करवाए जा सकते हैं. इसको लेकर चुनाव आयोग ने तैयारी भी शुरू कर दी है. बाढ़ की आशंका के बीच आपदा प्रबंधन विभाग से समन्वय स्थापित करने की कवायद करते हुए पर्याप्त संख्या में इवीएम जुटाने की की भी नये सिरे से तैयारी शुरू कर दी गई है.
सूत्रों के अनुसार राज्य निर्वाचन आयोग ने दूसरे प्रदेशों से एम-2 माडल की ईवीएम मंगाने का फैसला किया है. इसके अलावा राज्य निर्वाचन आयोग के पास अपना भी ईवीएम है. ऐसे में जरूरत को ध्यान में रखकर ही आयोग ईवीएम मंगा जाएगा. इसके लिए दूसरे राज्यों से इवीएम उपलब्ध कराने को लेकर पत्राचार किया जा रहा है. माना जा रहा है कि राज्य निर्वाचन आयोग सितंबर में पंचायत चुनाव का कार्यक्रम जारी कर सकता है.
एम-2 मॉडल से होंगे चुनाव
गौरतलब है कि राज्य निर्वाचन आयोग एम-3 माडल ईवीएम से चुनाव करना चाहता था, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली. भारत निर्वाचन आयोग ने एम-3 माडल ईवीएम इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी. ऐसे में अब अंतिम रूप से एम-2 माडल से चुनाव कराने का निर्णय राज्य निर्वाचन आयोग ने लिया है. बता दें कि पंचायत चुनाव के लिए आयोग को छह पदों के लिए अधिक संख्या में इवीएम की आवश्यकता है.पंचायतों में छह पदों के लिए चुनाव होने हैं, जिसमें छह बैलेट यूनिट में डाले गए मतों का डाटा छह कंट्रोल यूनिट में कलेक्ट होगा.
90 हजार कंट्रोल यूनिट की आवश्यकता
यहां यह भी बता दें कि बिहार में कितने एम-2 माडल ईवीएम की आवश्यकता होगी, इसका आकलन राज्य निर्वाचन आयोग नेअब तक नहीं किया है. हालांकि यह स्पष्ट है कि त्रिस्तरीय पंचायतों के 2.50 लाख पदों पर आयोग को चुनाव संपन्न कराना है. इसके लिए अगर एम-2 माडल ईवीएम से चुनाव होता है तो आयोग को एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना होगा. इतना ही नहीं अब एम-2 माडल की ईवीएम से पंचायत चुनाव कराने के लिए 90 हजार कंट्रोल यूनिट और 90 हजार बैलेट यूनिट की आवश्यकता होगी.
एसडीएमएम चिप की भी होगी जरूरत
बता दें कि ईवीएम के दोनों माडलों में काफी अंतर है. एम-3 माडल की ईवीएम से त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने पर एक कंट्रोल यूनिट और छह बैलेट यूनिट के साथ एक एसडीएमएम (सिक्योर डिटैचेबल मेमोरी माड्यूल) चिप की आवश्यकता होती. ऐसे में सिर्फ 15 हजार कंट्रोल यूनिट और 90 हजार बैलेट यूनिट के रहने पर पंचायत के सभी पदों के चुनाव कराए जा सकते थे. केवल एसडीएमएम चिप को बाहर निकलकर ईवीएम को दूसरे चरण के मतदान के लिए भेजा जा सकता था.
बाढ़ के हालात पर भी आयोग की नजर
दूसरी ओर चुनाव आयोग ने बाढ़ को ध्यान में रखते हुए यह तैयारी शुरू की है. इसके लिए आयोग ने आपदा प्रबंधन विभाग को पत्र लिखा है जिसमें बाढ़ प्रभावित जिलों से लेकर प्रखंड और पंचायतों के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी गई है. अगर प्रदेश में सितंबर तक कोरोना की तीसरी लहर का कोई असर नहीं दिखता है तो आयोग की रणनीति दिसंबर तक चुनाव संपन्न कराने की हो सकती है.
नवंबर में खत्म होगी परामर्श समिति की मियाद
दरअसल राज्य निर्वाच आयोग की कोशिश है कि बारिश और बाढ़ प्रभावित पंचायतों का कैलेंडर उपलब्ध हो जाए. ऐसा होने पर सितंबर से दिसंबर के बीच पंचायत चुनाव संपन्न कराए जा सकते हैं. माना जा जा रहा है कि आयोग इस पर गहराई से विमर्श कर रहा है. बता दें कि पंचायतों में परामर्श समिति के गठन से संबंधित दस्तावेज की मियाद नवंबर में खत्म हो रही है.
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