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कोविड -19 को लेकर चिकित्सा पदाधिकारियों का हुआ अभिमुखीकरण

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कोविड -19 के संशोधित दिशा निर्देशों पर हुई गहन चर्चा:
प्रोनिंग के बारे में विस्तार से दी गयी जानकारी:
संक्रमण की दूसरी लहर पहली लहर से काफी अलग

श्रीनारद मीडिया, किशनगंज, (बिहार):

संक्रमण काल के दूसरी लहर में पहले संक्रमण काल की तुलना में में काफी बदलाव हुएहैं। इसके लिए काफी जरुरी हो गया है कि चिकित्सकों को भी इसके बारे में वृहद जानकारी हो। यद्यपि, पहले भी कई माध्यमों से चिकित्सकों का उन्मुखीकरण संक्रमण ली रोकथाम के लिहाज से किया गया है। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए शुक्रवार को चिकित्सा पदाधिकारियों का कोविड -19 के टेस्टिंग, ट्रीटमेंट एवं वैक्सीनेशन के कार्यों को लेकर उन्मुखीकरण किया गया, जिसमें उन्हें इन मुद्दों पर विस्तार से जानकारी दी गयी। कार्यशाला की अध्यक्षता सिविल सर्जन डॉ. श्री नंदन ने की ने की। कार्यशाला में उपस्थित चिकित्सा पदाधिकारियों को कोरोना वायरस की उत्पत्ति, फैलाव व पीड़ित मरीज की जांच के सैंपल लेने की विस्तार से जानकारी दी गई। सिविल सर्जन ने बताया जिले में वर्तमान में 147 व्यक्ति संक्रमित है तथा अब तक कुल 10003 व्यक्ति संक्रमित पाए गये जिसमें 9829 व्यक्ति संक्रमण से न्विजय हासिल कर सकुशल हुए हैं। वहीं, संक्रमण से 65 लोगों की मौत भी हुई है।

प्रोनिंग के बारे में विस्तार से बताया गया:
अभिमुखीकरण कार्यक्रम में उपस्थित चिकित्सा पदाधिकारियों को यह जानकारी दी गयी कि यदि संक्रमण काल मंक कोरोना मरीज को सांस लेने में परेशानी हो रही हो और उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही हो तो उस समय ऐसे मरीजों को प्रोनिंग की सलाह दी जानी चाहिए। यदि कोई मरीज होम आइसोलेशन में हो तो समय-समय पर उन्हें अपना ऑक्सीजन लेवल चेक करने की सलाह देनी चाहिए। होम आईसोलेशन में मरीज अपना बुखार, ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर भी समय-समय पर मापते रहें। समय पर सही प्रक्रिया के साथ प्रोनिंग कई लोगों की जान बचाने में मददगार है। प्रोनिंग प्रक्रिया के लिए मरीज को पेट के बल लिटा दें तथा गर्दन के नीचे एक तकिया रखें फिर एक या दो तकिए छाती और पेट के नीचे बराबर रखें और दो तकिए पैर के पंजे के नीचे रखें। इसके बाद 30 मिनट से लेकर 2 घंटे तक इस पोजीशन में लेटे रहने से मरीज को फायदा मिलता है।ध्यान रहे हर 30 मिनट से दो घंटे में मरीज के लेटने के पोजिशन को बदलना जरूरी है।

कोविड -19 ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल की भी जानकारी दी गयी:
कार्यशाला में कोरोना के विभिन्न स्टेज के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी ट्रीटमेन्ट प्रॉटोकॉल के अनुसार मरीजों के टेस्टिंग से पूर्व कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा मास्क का प्रयोग, पीपीई किट पहनने एवं उसको उतरना एवं हाथ धोने के 11 तरीकों के बारे में भी जानकारी दी गयी।

कोरोना के विभिन्न चरणों की दी जानकारी:
कार्यक्रम में उपस्थित चिकित्सा पदाधिकारियों को सिविल सर्जन डॉ श्री नंदन ने कोरोना संक्रमण के प्रसार और लक्षण एवं पहचान के विषय में विस्तार से बताया। उन्होंने कोरोना के विभिन्न प्रकारों के लक्षणों एवं उपचार के विषय में भी जानकारी दी, जिसमें बिना लक्षण वाले मरीज, माइल्ड, मोडरेट एवं सीवियर कोविड के बारे में चर्चा की गयी, उन्होंने कोरोना मरीजों की आपातकालीन चिकित्सीय देखभाल कब और कैसे की जानी है, इसके बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कोरोना के सीवियर मामले में ससमय रेफर करने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने चिकित्सको को करोना (कोविड-19) के संबंध में गहन जानकारी दी तथा इसके उपचार के विभिन्न चरणों एवं आवश्यक दवाओं से अवगत कराया। साथ ही रेमडीसिविर दवा के उपयोग के बारे में भी विस्तार से बताया।

मास्क के उपयोग एवं उसकी क्षमता के बारे में भी बताया गया:
सिविल सर्जन डॉ श्री नंदन ने कोरोना काल में मास्क की उपयोगिता पर बात करते हुए कहा कि कपडे वाले मास्क की क्षमता 50 से 75% तक एयरोसोल को रोकने की क्षमता होती है। वहीं, मेडिकल मास्क में 75% ही एयरोसोल को रोकने की क्षमता होती है तथा एन 95 मास्क में 85% एयरोसोल को रोकने की क्षमता होती है। इसलिए संक्रमित मरीज का इलाज के क्रम में सही मास्क का प्रयोग कर खुद को सुरक्षित किया जा सकता है।

कोविड 19 टीकाकरण के फायदे:
अभिमुखीकरण कार्यक्रम में उपस्थित चिकित्सा पदाधिकारियों को सिविल सर्जन डॉ श्री नंदन ने बताया कि वर्तमान समय में संक्रमण को रोकने के लिए टिका काफी कारगर साबित हुआ है इसलिए भारत में उपलब्ध तीनों टीके यानी कोविशील्ड, कोवैक्सीन एवं स्पुतनिक के प्रयोग एवं क्षमता के विषय में जानकारी दी।

संक्रमण के तीसरे वेब की पूर्व तैयारी को लेकर निर्देश दिया गया:
सिविल सर्जन डॉ श्री नंदन ने कहा आने वाले समय में संक्रमण के तीसरे वेब की आने की सम्भावना है। उसके लिए जिले में स्वास्थ्य सुविधा को सुचारु रूप से क्रियान्वयन करने हेतु चिकित्सा पदाधिकारी को आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया है। जिसमें सातों प्रखंडों के सभी स्वास्थ्य उपकेन्द्र, अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, स्वास्थ्य उपकेंद्रों में कम से कम 10 बच्चो वाला बेड तथा आवश्यक सुविधा उपलब्ध करने का दिशा निर्देश दिया गया है। अभिमुखीकरण कार्यक्रम में सिविल सर्जन डॉ श्री नंदन, जिला कार्यक्रम प्रबंन्धक डॉ. मुनाज़िम, जिला समन्वयक विश्वजीत कुमार, इपिडेमियोलॉजिस्ट रीना प्रवीण, यूनिसेफ के एसएमसी एजाज अफजल, डब्लूएचओ के एसएमओ डॉ.अमित कुमार,केयर के प्रशुनजीत प्रमाणिक, चिकित्सा पदाधिकारी, आदि उपस्थित रहे।

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