मानवाधिकार आयोग ने उच्चन्यायलय के आदेश पर 7 सदस्यों वाली कमेटी बनाई, पीड़ितों की शिकायतें सुनेगी.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
पश्चिम बंगाल में चुनावी नतीजे आने के बाद हुई हिंसा की शिकायतों की जांच के लिए 7 सदस्यों की एक कमेटी बनाई गई है। नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन के अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस अरुण मिश्रा ने कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर सोमवार को इसका गठन किया है।
कमेटी में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष आतिफ रशीद, राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य राजुलबेन एल देसाई, पश्चिम बंगाल राज्य मानवाधिकार आयोग के रजिस्ट्रार प्रदीप कुमार पांजा, NHRC के डायरेक्टर जनरल (इनवेस्टिगेशन), NHRC के DIG (इनवेस्टिगेशन) मंजिल सैनी और पश्चिम बंगाल स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी के मेंबर सेक्रेटरी राजू मुखर्जी शामिल हैं।
यह कमेटी मानवाधिकार आयोग को अब तक मिली और आगे भी मिलने वाली शिकायतों की जांच करेगी। साथ ही उन अधिकारियों और जिम्मेदार लोगों को भी पॉइंट आउट करेगी जो ऐसे अपराधों के लिए दोषी थे या जिन्होंने इन पर चुप्पी साधे रखी।
गवर्नर बोले- हिंसा की घटनाओं को नकारा जाना सही नहीं
पश्चिम बंगाल हिंसा पर राज्य के गवर्नर जगदीप धनखड़ शुरुआत से मुखर रहे हैं। उन्होंने सोमवार को कहा कि 4 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव हुए लेकिन, पश्चिम बंगाल अकेला रक्तरंजित क्यों हुआ? इतने जघन्य अपराध चुनावी हिंसा का हिस्सा बने। किसी की गिरफ़्तारी नहीं होना, जांच नहीं होना, ये अच्छे संकेत नहीं हैं। मैं राज्य सरकार से गुजारिश करूंगा कि वह आत्ममंथन करे।
उन्होंने कहा कि मैं हैरान और परेशान हूं कि 7 हफ़्ते होने के बाद भी इतनी भयावह स्थिति को नकारा जा रहा है। ये सही नहीं है। आजादी के बाद से चुनाव के बाद हुई हिंसा इतनी भयानक, इतनी बर्बर और आतंकी कभी नहीं देखी गई।
धनखड़ ने कहा कि राज्य में मैं जहां भी गया, मैंने 3 सवाल पूछे। आप पुलिस के पास क्यों नहीं गए? क्या प्रशासन से कोई आया है? क्या कोई मीडियाकर्मी आया था? लोगों ने केवल एक ही बात कही, अगर हम पीड़ित के रूप में पुलिस स्टेशन गए होते, तो हम अपराधी के रूप में सामने आते।
कोर्ट के आदेश पर सियासत भी गर्माई
बंगाल हिंसा पर हाईकोर्ट के आदेश के बाद सियासी बयान भी आने शुरू हो गए। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि इससे प्रताड़ित, घरों से निकाले, मौत के घाट उतारे लोगों के लिए विश्वास जगा है कि उन्हें न्याय मिलेगा। एक मुख्यमंत्री (ममता बनर्जी) राज्य में सजा-ए-मौत होते देख रही हैं, क्योंकि उन्होंने मुख्यमंत्री के पक्ष में वोट नहीं किया।
वहीं, TMC सांसद सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार हाईकोर्ट के आदेश की जांच करेगी। उसके अनुसार आगे कदम उठाएगी।
TMC की जीत के बाद हुई थी हिंसा
पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद सियासी हिंसा शुरू हो गई थी। कई जगह भाजपा के कार्यालयों में तोड़फोड़ और आगजनी की गई। कुछ महिलाओं से गैंगरेप के भी आरोप लगे। कई लोगों की मौत भी हुई। भाजपा ने दावा किया था कि TMC के कार्यकर्ता उसके लोगों को निशाना बना रहे हैं।
पूर्व चीफ सेक्रेटरी के खिलाफ कार्रवाई शुरू
केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल के पूर्व चीफ सेक्रेटरी अल्पन बंधोपाध्याय के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग ने बंधोपाध्याय को बताया है कि केंद्र सरकार ने ऑल इंडिया सर्विस (डिसिपिलीन एंड अपील) नियमों के तहत उनके खिलाफ भारी जुर्माने की कार्रवाई का प्रस्ताव रखा गया है।
DoPT ने बंधोपाध्याय से अपने बचाव में लिखित बयान देने को कहा है, यदि वह 30 दिनों के भीतर निजी तौर पर सुनवाई करना चाहते हैं। मंत्रालय ने यह भी कहा है कि उसकी ओर से कोई जवाब नहीं मिलने की स्थिति में उनके खिलाफ एकतरफा जांच की जा सकती है।
बंधोपाध्याय समुद्री तूफान से तबाही का जायजा लेने बंगाल पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी की मीटिंग में देरी से पहुंचे थे। इसके बाद केंद्र सरकार ने उन्हें बंगाल से दिल्ली बुला लिया था। हालांकि, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें दिल्ली न भेजकर अपना चीफ एडवाइजर बना लिया।
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