गया में चिन्हित 12355 बच्चों को जापानी बुखार से बचाव के लिए दिया गया टीका

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बोधगया प्रखंड में जेई टीकाकरण सबसे अधिक:
जेई से बचाव के लिए रात में सोने से पहले बच्चों को खिलायें भरपेट खाना:

श्रीनारद मीडिया, गया (बिहार):

कोविड 19 महामारी के दौरान बच्चों को जापानी इंसेफलाइटिस या एक्‍यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम से सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा बच्चों का जेई टीकाकरण किया जा रहा है। जिला में कुल 21924 बच्चों को जेई टीकाकरण के लिए लक्षित किया गया है।
जिसमें 9913 बच्चों को जेई का पहला डोज तथा 12011 बच्चों को जेई का दूसरा डोज देने का लक्ष्य निर्धारित है। इस माह 7 जून से 22 जून तक 5495 बच्चों को जेई का पहला डोज तथा 6860 बच्चों को जेई का दूसरा डोज दिया जा चुका है। इस तरह अब तक कुल 12355 बच्चों का टीकाकरण किया गया है।

बोधगया प्रखंड में जेई टीकाकरण सबसे अधिक:
जिला में जेई का टीकाकरण सबसे अधिक बोधगया प्रखंड में किया गया है। इस प्रखंड में 1563 बच्चों के टीकाकरण के लिए लक्ष्य निर्धारित किया गया जिसमें लक्ष्य से अधिक 1841 बच्चों को चिन्हित कर टीका दिया गया है। आमस प्रखंड में 428, अतरी में 166, बांकेबाजार में 785, बाराचट्टी में 410, बेलागंज में 259, डोभी में 416, डुमरिया में 671, फतेहपुर में 926, गुरारू में 423, गुरुआ में 279, इमामगंज में 582, कोंच में 484, खिजरसराय में 158, मानपुर में 904, मोहनपुर में 447, मोहरा में 296, नीमचक बथानी में 180, परैया में 429, शेरघाटी में 390, टनकुप्पा में 266, टाउन ब्लॉक में 144, टेकारी में 542, वजीरगंज में 872 तथा गया अर्बन में 57 बच्चों का जेई टीका का पहला तथा दूसरा डोज दिया गया है।

कई प्रखंडों में जेई टीकाकरण का प्रतिशत बेहतर:
जेई टीकाकरण में कुछ प्रखंडों ने अच्छा प्रदर्शन किया है। इनमें अतरी व बांकेबाजार में 99 फीसदी, बोधगया में 117 फीसदी, आमस में 88 फीसदी, डोभी में 87 फीसदी, डुमरिया में 91 फीसदी, फतेहपुर में 86 फीसदी, कोंच में 104 फीसदी तथा टेकारी में 139 फीसदी तथा वजीरगंज में 105 फीसदी तक का लक्ष्य प्राप्त किया गया है।

स्वास्थ्य मंत्री की आमजन से सर्तक रहने की अपील:
राज्य स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने भी जापानी बुखार को लेकर ट्विटर के माध्यम से आमजन को सर्तक रहने की अपील की है। मस्तिष्क ज्वर या चमकी बुखार को गंभीर बताते हुए ससमय इलाज से मरीज के पूर्णतः ठीक होने की बात कही है। इस विषय पर ट्विट कर कहा है यह गंभीर बीमारी है जो अत्यधिक गर्मी एवं नमी के मौसम में फैलती है। एक से 15 वर्ष तक के बच्चे इस बीमारी से ज्यादा प्रभावित होते हैं। यदि ऐसे में किसी बच्चे को तेज बुखार आता है तो उसे तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जायें।

सुअर पालन क्षेत्रों पर स्वास्थ्य विभाग की है खास नजर:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ एमई हक ने बताया जिला में बदलते मौसम के साथ ही जापानी बुखार के मामले दिखने शुरू हो जाते हैं। हालांकि स्वास्थ्य महकमा द्वारा विशेषकर सुअर पालन वाले क्षेत्रों पर नजर रखा जा रहा है और अब तक जापानी बुखार के मामले नहीं आये हैं, यह राहत की बात है। जापानी बुखार को लेकर टीकाकरण का काम किया जा रहा है।

जेई—एईएस से निपटने के लिए तीन बातों का रखें ध्यान:
जापानी बुखार से निपटने के लिए तीन बातों का ध्यान रखना जरूरी है। पहला रात में सोने से पहले बच्चों को भरपेट खाना जरूर खिलायें. रात के बीच में एवं सुबह उठते ही देखें कि कहीं बच्चा बेहोश या उसे चमकी तो नहीं तथा बेहोशी या चमकी दिखते ही आशा को सूचित कर तुरंत 102 एंबुलेंस या उपलब्ध वाहन से नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जायें। साथ ही साफ बर्तन में एक लीटर पानी में ओआरएस का पूरा पैकेट घोल कर प्रयोग में लायें। इस घोल का इस्तेमाल 24 घंटे के बाद नहीं करें। यदि ओआरएस नहीं हो तो नींबू, पानी व चीनी का घोल बनायें।

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