जुलाई से दिसंबर तक अब सिर्फ 56 शुभ मुहूर्त शेष.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

जुलाई से दिसंबर तक अब सिर्फ 56 शुभ मुहूर्त शेष रहे हैं। इनमें खरीदारी, लेन-देन और नए कामों की शुरुआत की जा सकती है। इन मुहूर्त में सर्वार्थसिद्धि, अमृतसिद्धि, त्रिपुष्कर, द्विपुष्कर, रवि और गुरुपुष्य जैसे बड़े शुभ योग शामिल हैं।  सितंबर में सबसे ज्यादा 13 शुभ मुहूर्त रहेंगे। इनके अलावा जुलाई में 9, अगस्त में 12, दिसंबर में 8 शुभ मुहूर्त रहेंगे। वहीं, अक्टूबर और नवंबर में 7-7 दिन ये शुभ योग रहेंगे। अब जुलाई में केवल 5 दिन ही विवाह मुहूर्त हैं।

वहीं 15 नवंबर को देवउठनी एकादशी से 13 दिसंबर तक विवाह के लिए कुल 13 मुहूर्त होंगे। इस बार 20 जुलाई को देवशयन एकादशी व चातुर्मास शुरू होने से मांगलिक कार्यक्रम पर भी ग्रहों का लॉकडाउन लग जाएगा। शुभ ग्रहों के अस्त रहने पर विवाह अनुष्ठान रुक जाते हैं और उदय होने पर विवाह आरंभ होते हैं। घर में कोई नई चीज खरीदकर लाना हो, या वाहन खरीदना होगा, गृह प्रवेश हो, प्रॉपर्टी में निवेश करना होगा, दुकान खोलना हो या फिर घर परिवार में किसी का विवाह हो। शुभ मुहूर्त देखे बगैर भारत में ये काम नहीं किए जाते हैं।

जुलाई से दिसंबर शुभ मुहूर्त 

जुलाई से दिसंबर तक अब सिर्फ 56 शुभ मुहूर्त शेष रहे हैं। साल 2021 में अमृतसिद्धि योग, त्रिपुष्कर योग, द्विपुष्कर योग और सर्वसिद्धि योग विशेष फलदायी है।

जुलाई 2021 

शुभ कार्यों के लिए इस महीने में 8 दिन मिलेंगे। किसी भी तरह का शुभ कार्य 1 जुलाई, 2 जुलाई, 7 जुलाई, 11 जुलाई, 13 जुलाई, 15 जुलाई, 18 जुलाई और 19 जुलाई को कर सकते हैं। वहीं शादी-ब्याह के लिए 5 दिन शुभ मुहूर्त निकल रहे हैं। ये तारीखें हैं 1, 2, 7, 13 और 15 जुलाई।

अगस्त 2021

किसी भी तरह का शुभ कार्य 6 अगस्त, 7 अगस्त, 8 अगस्त, 9 अगस्त, 12 अगस्त, 16 अगस्त, 20 अगस्त, 27 अगस्त और 28 अगस्त को कर सकते हैं। विवाह के लिए कोई भी शुभ तिथि नहीं हैं।

सितंबर 2021

इस महीने 2 सितंबर, 4 सितंबर, 8 सितंबर, 13 सितंबर, 14 सितंबर, 17 सितंबर, 19 सितंबर, 20 सितंबर, 22 सितंबर, 25 सितंबर, 26 सितंबर और 29 सितंबर को कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। विवाह के लिए इस महीने में भी कोई मुहूर्त नहीं है।

अक्टूबर 2021

1अक्टूबर, 9 अक्टूबर, 10 अक्टूबर, 12 अक्टूबर, 14 अक्टूबर, 15 अक्टूबर, 18 अक्टूबर, 21 अक्टूबर, 23 अक्टूबर, 25 अक्टूबर और 26 अक्टूबर को शुभ कार्य किए जा सकते हैं। विवाह की कोई शुभ तिथि नहीं है।

नवंबर 2021

किसी भी शुभ कार्य के लिए 2 नवंबर, 8 नवंबर, 10 नवंबर, 11 नवंबर, 12 नवंबर, 20 नवंबर, 22 नवंबर 23 नवंबर, 24 नवंबर और 26 नवंबर शुभ तिथियां हैं। विवाह के लिए 3 माह के लंबे अंतराल के बाद 7 शुभ मुहूर्त आएंगे। ये तारीखे हैं 15, 16, 20, 21, 28, 29 और 30 नवंबर।

दिसंबर 2021

किसी भी शुभ कार्य के लिए 4 दिसंबर, 5 दिसंबर, 10 दिसंबर, 13 दिसंबर, 15 दिसंबर, 18 दिसंबर, 19 दिसंबर, 22 दिसंबर, 25 दिसंबर और 31 दिसंबर। विवाह शाही के लिए 1, 2, 6, 7, 11 और 13 तारीख शुभ हो सकती है।

जुलाई-नवंबर-दिसंबर में 18 दिन विवाह

जुलाई में देवशयन होने के बाद 15 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर विवाह मुहूर्त के साथ शादियों का दौर फिर शुरू होगा। जुलाई में, नवंबर में 7 और दिसंबर में 15 तारीख के पहले तक विवाह के सिर्फ 6 मुहूर्त ही होंगे।

जुलाई- 1, 2, 7, 13 और 15

नवंबर- 15, 16, 20, 21, 28, 29 और 30

दिसंबर- 1, 2, 6, 7, 11 और 13

यह बन रहे हैं जुलाई से दिसंबर शुभ योग 

जुलाई से दिसंबर तक अमृतसिद्धि योग, त्रिपुष्कर योग, द्विपुष्कर योग और सर्वसिद्धि योग विशेष फलदायी है।

सर्वार्थसिद्धि योग 

तिथि, वार और नक्षत्रों से मिलकर ये विशेष संयोग बनता है। ज्योतिष ग्रंथ मुहूर्त चिंतामणि में बताया है कि इस शुभ योग में किया गया हर काम सफल और फायदा देने वाला होता है। ज्योतिष के मुताबिक, इस योग में किसी भी तरह का कॉन्ट्रैक्ट, ज्वेलरी की खरीदी-बिक्री करना चाहिए। जॉब या बिजनेस के खास काम भी इस मुहूर्त में शुरू कर सकते हैं।

अमृतसिद्धि योग

इस शुभ योग में किए गए काम लंबे समय तक फायदा देते हैं। अमृतसिद्धि योग में किए गए दान और पूजा-पाठ से अक्षय पुण्य मिलता है। इस योग में मांगलिक काम किए जा सकते हैं। बिजनेस संबंधी समझौता, नौकरी के लिए आवेदन, जमीन, व्हीकल, कीमती धातुओं की खरीदारी और विदेश यात्रा इस शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए।

द्विपुष्कर योग

योग वार, तिथि और नक्षत्र से मिलकर बनने वाला ऐसा योग है, जिसमें एक बार किया गया काम फिर से करने के योग बनते हैं। इसलिए इस मुहूर्त में कोई भी शुभ काम, निवेश, बचत, खरीदारी और फायदे वाला लेन-देन करने चाहिए। बस ये सावधानी रखें कि इस योग के दौरान कोई अशुभ या ऐसा काम नहीं करना चाहिए, जिसमें नुकसान होने की आशंका हो।

त्रिपुष्कर योग

द्विपुष्कर की तरह ही ये योग होता है। ये शुभ मुहूर्त तीन गुना फल देने वाला होता है। इसलिए इसे त्रिपुष्कर कहा जाता है। क्योंकि, इस योग के दौरान किए गए काम को दो बार और दोहराना पड़ता है। इस तरह, उस काम का तीन गुना फायदा मिलता है। इस योग में भी सावधानी रखनी चाहिए कि कोई अशुभ या ऐसा काम नहीं करना चाहिए, जिसमें नुकसान होने की आशंका हो।

गुरु पुष्य योग

गुरुवार और पुष्य नक्षत्र का संयोग होने से इस योग को ज्योतिष ग्रंथों में गुरु पुष्य कहा गया है। इस शुभ मुहूर्त को गृह प्रवेश, खरीदारी, लेन-देन, ग्रह शांति और शिक्षा संबंधी मामलों के लिए बहुत ही शुभ माना गया है। इस शुभ संयोग में शुरू किए गए काम लंबे समय तक फायदा देने वाले होते हैं।

रवि पुष्य योग

रविवार को पुष्य नक्षत्र में चंद्रमा होने से रविपुष्य योग बनता है। ज्योतिष के मुहूर्त ग्रंथों के मुताबिक, इसमें हर तरह के काम किए जा सकते हैं। इस को गुरु पुष्य योग जितना ही महत्व दिया गया है। रवि पुष्य योग में औषधियों की खरीदारी या दान करना शुभ होता है। माना जाता है ऐसा करने से सेहत अच्छी रहती है और उम्र भी बढ़ती है।

 

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