पटना उच्‍च न्‍यायालय की पहल से जेपी विश्‍वविद्यालय  के सेवा कर्मियों में जगी न्‍याय की आश

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दस वर्षों से लंबित अनुदान की भुगतान की जगी आश

श्रीनारद मीडिया, पटना (बिहार):

पटना उच्‍च न्‍यायालय में विद्या वाचस्‍पति त्रिपाठी बनाम बिहार सरकार एवं अन्‍य के मामले में दायर जनहित याचिका सं0 981/21 की सुनवाई करते हुए सोमवार को पटना उच्‍च न्‍यायालय ने सरकार को इस आशय का प्रति शपथ पत्र दायर करने हेतु चार सप्‍ताह का समय दिया  कि किन परिस्थितियों में जयप्रकाश विश्‍वविद्यालय छपरा से संबद्धता प्राप्‍त डिग्री महाविद्यालयों के लागभग 2500 शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मियों को विगत दस वर्षों से अनुदान का भुगतान नहीं किया जा रहा है।

बताते चले कि देवराहा बाबा श्रीधर दास डिग्री कॉलेज, कदना, सारण में प्राचार्य पद तथा शासी निकाय के गठन से उपजे विवाद एवं न्‍यायिक प्रक्रिया के अधीन निगरानी विभाग के हस्‍तक्षेप से तत्‍कालिन कुल सचिव, जय प्रकाश विश्‍वविद्यालय द्वारा उपरोक्‍त सेवा कर्मियों के बीच नियमत: वितरित की जाने वाली पुरी राशि 12 करोड़ 84 लाख 45 हजार चार सौ रूपया विगत 31-03-2018 को लौटा दिया, बावजूद इसका की पैसा वगैर बांटे लौटाने का आदेश नहीं था।

बताते चले कि बाद के दिनों में विश्‍वविद्यालय प्रशासन द्वारा उक्‍त सेवा कर्मियों के बीच उपजे घोर असंतोष एवं आर्थिक तबाही को देखते हुए दिनांक 25-06-2020 को सरकार से उक्‍त राशि की मांग पुन: की गयी, लेकिन इस बीच किसी तरह का कोई प्रगति नहीं देखते हुए याचिकाकर्ता जनहित वाद लाने के लिए बाध्‍य हुआ।

क्‍या कहते हैं अधिवक्‍ता –

इस संबंध में याचिकाकर्ता के अधिवक्‍ता शशि शेखर तिवारी ने बताया कि विश्‍वविद्यालय प्रशासन एवं सारकार द्वारा पूरे मामले में भारतीय संविधान के अनुच्‍छेद- 14, 16, 19, एवं 23 का स्‍पष्‍टत: उल्‍लंंघन किया जा रहा था।   उन्‍होंने कहा कि माननीय उच्‍च न्‍यायालय इस मामले में संज्ञान लेने को विवश हुआ। उक्‍त पहले से जय प्रकाश विश्‍वविद्यालय के समस्‍त सेवा कर्मियों के बीच हर्ष एवं उल्‍लास का माहौल है।

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