मैला ढोने की प्रथा को खत्म करने के लिए नवीन तकनीक अपनाने का आह्वान.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरुण मिश्रा ने कहा कि व्यक्ति द्वारा मैला ढोने की प्रथा अब भी हमारे देश का एक कड़वा सच है। उन्होंने इस अमानवीय और भेदभावपूर्ण प्रथा को खत्म करने के लिए अधिक वैज्ञानिक और नवीन तकनीक अपनाने का आह्वान किया।
एनएचआरसी) द्वारा आयोजित मैला ढोने की प्रथा और खतरनाक सफाई पर ऑनलाइन बैठक
वह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा आयोजित मैला ढोने की प्रथा और खतरनाक सफाई पर विभिन्न पक्षों की एक ऑनलाइन बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने मैला ढोने की प्रथा को जारी रखने पर की चिंता व्यक्त
मानवाधिकार आयोग के प्रमुख ने मैला ढोने की प्रथा को जारी रखने पर गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा कि इसके उन्मूलन के लिए कानून और दिशानिर्देश मौजूद हैं। इसके बावजूद इसका जारी रहना न केवल हमारे संविधान के मूल्यों के खिलाफ है, बल्कि कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अधिकारों का भी उल्लंघन है।
मैला ढोने की अमानवीय प्रथा को समाप्त करने के लिए वैज्ञानिक और नवीन तकनीक अपनाएं
एनएचआरसी द्वारा जारी एक बयान में उनके हवाले से कहा गया, यह उचित समय है कि हम अपने दृष्टिकोण में मौलिक बदलाव करें और मैला ढोने की अमानवीय, भेदभावपूर्ण और खतरनाक प्रथा को समाप्त करने के लिए अधिक वैज्ञानिक और नवीन तकनीक अपनाएं।
एनएचआरसी प्रमुख ने कहा- शौचालयों से मैला ढोने की प्रथा को खत्म करने में मिलेगी मदद
एनएचआरसी प्रमुख ने यह भी कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए गए शौचालयों से मैला ढोने की प्रथा को खत्म करने में मदद मिलने की उम्मीद है, लेकिन इनमें कई कमियां भी हैं।
गौरतलब है कि महात्मा गाँधी और डॉ. अंबेडकर, दोनों ने ही हाथ से मैला ढोने की प्रथा का पुरजोर विरोध किया था। यह प्रथा संविधान के अनुच्छेद 15, 21, 38 और 42 के प्रावधानों के भी खिलाफ है। आज़ादी के 7 दशकों बाद भी इस प्रथा का जारी रहना देश के लिये शर्मनाक है और जल्द से जल्द इसका अंत होना चाहिये।
हाथ से मैला ढोने की प्रथा से संबंधित तथ्य:
- NCSK द्वारा वर्ष 2018 में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार, हाथ से मैला ढोने में लगे कुल 53,598 व्यक्तियों में से 29,923 अकेले उत्तर प्रदेश के थे।
- 35,397 मामलों में एकमुश्त नकद सहायता का वितरण किया गया था जिनमें से 19,385 व्यक्ति केवल उत्तर प्रदेश से थे।
- 1,007 और 7,383 मैला ढोने वाले व्यक्तियों को क्रमशः सब्सिडी पूंजी और कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान किया गया था।
क्या है हाथ से मैला ढोने की प्रथा?
- किसी व्यक्ति द्वारा स्वयं के हाथों से मानवीय अपशिष्टों (Human Excreta) की सफाई करने या सर पर ढोने की प्रथा को हाथ से मैला ढोने की प्रथा या मैनुअल स्कैवेंजिंग (Manual Scavenging) कहते हैं।
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