प्रदोष व्रत आज : प्रदोष व्रत में क्यों किया जाता है शिव पूजन?

प्रदोष व्रत आज : प्रदोष व्रत में क्यों किया जाता है शिव पूजन?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:


आज यानी 7 जुलाई को श्रद्धालु प्रदोष व्रत करेंगे। प्रदोष व्रत में शिव पूजन का विधान है। शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इस व्रत को करने से भगवान शिव की कृपा सदैव आप पर बनी रहती है। यह व्रत हिंदू धर्म के सबसे शुभ व महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है। हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार प्रदोष व्रत चंद्र मास के 13वें दिन (त्रयोदशी) पर रखा जाता है। माना जाता है कि प्रदोष के दिन भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष प्राप्त होता है।

प्रदोष व्रत की महिमा
************************
शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत को रखने से दो गायों को दान देने के समान पुन्य फल प्राप्त होता है। प्रदोष व्रत को लेकर एक पौराणिक तथ्य सामने आता है कि एक दिन जब चारों और अधर्म की स्थिति होगी, अन्याय और अनाचार का एकाधिकार होगा, मनुष्य में स्वार्थ भाव अधिक होगी। व्यक्ति सत्कर्म करने के स्थान पर नीच कार्यों को अधिक करेगा. उस समय में जो व्यक्ति त्रयोदशी का व्रत रख, शिव आराधना करेगा, उस पर शिव कृ्पा होगी। इस व्रत को रखने वाला व्यक्ति जन्म- जन्मान्तर के फेरों से निकल कर मोक्ष मार्ग पर आगे बढता है. उसे उत्तम लोक की प्राप्ति होती है।

प्रदोष व्रत की विधि
***************************
– प्रदोष व्रत करने के लिए मनुष्य को त्रयोदशी के दिन प्रात: सूर्य उदय से पूर्व उठना चाहिए।
– नित्यकर्मों से निवृ्त होकर, भगवान श्री भोले नाथ का स्मरण करें।
– इस व्रत में आहार नहीं लिया जाता है।
– पूरे दिन उपावस रखने के बाद सूर्यास्त से एक घंटा पहले, स्नान आदि कर श्वेत वस्त्र धारण किए जाते है।
– पूजन स्थल को गंगाजल या स्वच्छ जल से शुद्ध करने के बाद, गाय के गोबर से लीपकर, मंडप तैयार किया जाता है।
– अब इस मंडप में पांच रंगों का उपयोग करते हुए रंगोली बनाई जाती है।
– प्रदोष व्रत कि आराधना करने के लिए कुशा के आसन का प्रयोग किया जाता है।
– इस प्रकार पूजन की तैयारियां करके उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे और भगवान शंकर का पूजन करना चाहिए।
– पूजन में भगवान शिव के मंत्र ऊँ नम: शिवाय का जाप करते हुए शिव को जल चढ़ाना चाहिए।

प्रदोष व्रत का उद्यापन
*********************************
इस व्रत को ग्यारह या फिर 26 त्रयोदशियों तक रखने के बाद व्रत का उद्यापन करना चाहिए।
– व्रत का उद्यापन त्रयोदशी तिथि पर ही करना चाहिए।
– उद्यापन से एक दिन पूर्व श्री गणेश का पूजन किया जाता है. पूर्व रात्रि में कीर्तन करते हुए जागरण किया जाता है।
– प्रात: जल्दी उठकर मंडप बनाकर, मंडप को वस्त्रों और रंगोली से सजाकर तैयार किया जाता है।
– ओम उमा सहित शिवाय नम मंत्र का एक माला यानी 108 बार जाप करते हुए हवन किया जाता है।
– हवन में आहूति के लिए खीर का प्रयोग किया जाता है।
– हवन समाप्त होने के बाद भगवान भोलेनाथ की आरती की जाती है और शान्ति पाठ किया जाता है।
– अंत में दो ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और अपने सामथ्र्य अनुसार दान दक्षिणा देकर आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।

राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076
नोट- अगर आप अपना भविष्य जानना चाहते हैं तो ऊपर दिए गए मोबाइल नंबर पर कॉल करके या व्हाट्स एप पर मैसेज भेजकर पहले शर्तें जान लेवें, इसी के बाद अपनी बर्थ डिटेल और हैंड प्रिंट्स भेजें।

 

यह भी पढ़े

पति के सामने पत्नी से गंदी हरकत करते बनाया वीडियो, किया वायरल.

 

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!