धर्मांतरण किसी भी धर्म के लिए घातक है,कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
देश भर में धर्मांतरण का धन्धा चलाने के आरोपी मोहम्मद उमर गौतम व मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी की गिरफ्तारी और जम्मू-कश्मीर में सिख बच्चियों से जबरदस्ती की घटनाओं के बाद इस विषय को लेकर नई बहस शुरू हो गई है। हालांकि पूरा मामला अभी जांच के आधीन है परन्तु अभी तक सामने आई जानकारी के अनुसार, धर्मांतरण की इन घटनाओं के पीछे विदेश में बैठी जिहादी शक्तियों, पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी आईएसआई का हाथ होने की आशंका है।
इस काम के लिए विदेशों से वित्तपोषण हो रहा है। गौतम और कासमी जैसे लोगों ने लगभग पूरे देश में धर्मांतरण का मकडज़ाल फैला रखा है और दिव्यांग बच्चे इनके सरल शिकार के रूप में सामने आए। जांच में कई तरह की जानकारियां निकल कर सामने आ रही हैं जो न केवल चौंकाने वाली हैं बल्कि भयभीत भी करती हैं।
हालांकि भारत में सदियों से धर्मांतरण होता आया है परन्तु कट्टरवाद के रेगिस्तान के बीच-बीच में कुछ नखलिस्तान भी आते रहे हैं जो जुनूनी आग से मानवता को राहत पहुंचाने का काम करते रहे हैं। इन्हीं राहत के टापुओं में एक नाम है बीबी अमतुस्सलाम का जिन्होंने हिन्दुओं के जबरन धर्मांतरण का केवल विरोध ही नहीं किया बल्कि उनकी घरवापसी भी करवाई।
साल 1946 में मुस्लिम लीग की ‘सीधी कार्रवाई’ के नाम पर बंगाल में सुहरावर्दी के शैतानी दस्तों ने कोलकाता व प्रदेश के पूर्वी हिस्सों को नरक बना कर रख दिया। लीगियों से संगठित हो हिन्दुओं की हत्याएं, संपत्ति को जलाने और उन्हें जबरन मुसलमान बनने को विवश किया। केवल इतना ही नहीं गरीब व कमजोर वर्गों के हिन्दुओं की महिलाओं से अपमानजनक घटनाएं घटित हुईं।
इस बीच सामने आई महात्मा गान्धी की प्रिय शिष्या बीबी अमतुस्सलाम जो बंगाल में पहुंचे शान्ति स्वयंसेवकों के दस्ते की सदस्या थीं। वह सर्वाधिक दंगा प्रभावित इलाके नोआखाली के दसघरिया गांव में पहुंच कर दंगा पीड़ित हिन्दुओं की सेवा में लग गईं। मुस्लिम लीग के गुण्डों ने जिन हिन्दुओं का जबरन धर्मांतरण करवाया बीबी अमतुस्सलाम ने उन सभी परिवारों का परावर्तन करवाया।
लीगी गुण्डों से गरीब हिन्दू महिलाओं को मुक्त करवाया गया। इन प्रयासों से प्रभावित हो कर वहां के अंग्रेज जिला मैजिस्ट्रेट मैकिनर्नी ने भी घोषणा करवा दी कि जिन हिन्दुओं को जबरन मुसलमान बनाया गया है उन्हें अभी भी हिन्दू ही माना जाएगा। पंजाब में पटियाला के अमीर और परम्परागत मुस्लिम परिवार में जन्मीं अबदुल माजिद खान की बेटी अमतुस्सलाम चाहे इस्लाम की पैरोकार थीं परन्तु उन्हें भारतीय संस्कृति से भी लगाव था।
वो मानती थीं कि इस्लाम और राष्ट्रवाद साथ-साथ चल सकते हैं। हमारी उपासना पद्धति चाहे अलग हों परन्तु सांस्कृतिक विरासत, पूर्वज, मातृभूमि-पितृभूमि सबकी सांझी है। इसी कारण वो इस्लाम को मानने के साथ-साथ प्रतिदिन गीता पाठ भी करती थीं।
देश में इस्लाम की सदैव से दो धाराएं प्रवाहित होती रही हैं जिसमें एक औरंगजेब की और दूसरी दारा शिकोह की है। बीबी अमतुस्सलाम दारा परम्परा की अनुगामी हैं। देश में केवल यह दो ही नहीं बल्कि सहिष्णु इस्लाम के मानने वालों की लम्बी माला है जो इस देश को प्यार करती, यहां के लोगों, संस्कृति, परम्पराओं को स्वीकार करती है। इतिहास भी साक्षी है कि इस देश ने भी इस्लाम को दिल से स्वीकार किया है।
इस्लाम के जन्मस्थान अरब के बाद दूसरी कहीं मस्जिद बनी तो वह केरल में बनी और उसे एक हिन्दू राजा ने बनवाया। परेशानी तो तब हुई जब मोहम्मद बिन कासिम ने एक हाथ में तलवार और दूसरे में कुरान लेकर देश पर हमला किया। इसके बाद इन आक्रमणों की कई सदियों तक लम्बी श्रृंखला चली जिसका उद्देश्य दारुल हरब की धरती हिन्दुस्तान को दारुल इस्लाम में तब्दील करना रहा। वर्तमान में हो रही धर्मांतरण व लव जिहाद की घटनाएं उसी कासिम के अभियान का ही हिस्सा हैं और गजवा-ए-हिन्द का स्वपन देखने वाले जी-जान से उस मुहिम में लगे दिखाई दे रहे हैं।
यह देश अपने जीवन काल से ही धार्मिक रूप से सहिष्णु रहा है परन्तु मौजूदा धर्मांतरण के संकट को धर्म की स्वतन्त्रता के साथ जोड़ कर नहीं देखा जा सकता। इस तरह के धर्मांतरण का सीधा-सीधा अर्थ राष्ट्रान्त्रण है। इतिहास साक्षी है कि देश के जिस-जिस भाग में धर्मांतरणवादी शक्तियां हावी हुईं और वहां मूल आस्था कमजोर हुई वह हिस्सा देश से टूटा। चाहे अफगानिस्तान हो या पाकिस्तान या बंगलादेश, अभी हाल के समय तक भारत के ही हिस्से थे।
भरत के पुत्र तक्ष की धरती अफगानिस्तान भगवान बुद्ध, सिन्ध गुरु नानक देव जी व सन्त झूलेलाल जी का अनुयायी था। पूर्वी बंगाल कभी माँ दुर्गा के रूप माता ढाकेश्वरी देवी का अनुयायी था परन्तु समय-समय पर इन इलाकों में इतना उच्च स्तर धर्मांतरण हुआ कि आखिरकार ये हिस्से देश से अलग हो गए। स्वामी विवेकानन्द जी कहा करते थे कि ‘एक हिन्दू का धर्मान्तरण केवल एक हिन्दू का कम होना नहीं, बल्कि एक शत्रु का बढ़ना है।
धर्मांतरण की घटनाओं का मुख्य आरोपी मोहम्मद उमर गौतम का उदाहरण स्वामी जी की बात को सही साबित करता है, क्योंकि गौतम पूर्व में श्याम प्रताप सिंह गौतम था जो इस्लाम कबूल कर अपने मूल हिन्दू धर्म से ही द्रोह करने लगा।
धर्मांतरण की समस्या केवल देश विभाजन तक ही सीमित नहीं बल्कि यह बंटवारे के बाद आगे भी संकट का कारण बनती है। पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान भारत से अलग हुए तो समझा गया कि संकट का स्थाई समाधान निकल गया परन्तु ऐसा सोचने वाले गलत साबित हुए। ये तीनों इस्लामिक देश आज न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया और यहां तक कि खुद अपने लिए भी सिरदर्द बने हुए हैं।
इस्लाम के नाम पर बंटवारे के बाद भी इन देशों में खूनी मजहबी टकराव जारी है। बंटवारे के कारण दुनिया के इस दक्षिण एशियाई क्षेत्र में टकराव एवं तनाव विभाजन के समय से ही बना हुआ है और इससे इन इलाकों का विकास भी प्रभावित हुआ है। इससे साबित होता है कि देश में हो रहा धर्मांतरण न केवल हिन्दुओं बल्कि खुद मुसलमानों के लिए भी घातक है। देश के मुसलमानों को बीबी अमतुस्सलाम बन कर पेट्रो डॉलर के बल पर या गुमराह करके हो रहे धर्मपरिवर्तन के खिलाफ आवाज उठानी होगी।
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