संसार के 100 से अधिक देशों में पहुंचा डेल्टा वैरिएंट.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
जानलेवा डेल्टा वैरिएंट अब तक दुनिया के 100 देशों में दस्तक दे चुका है। अमेरिका समेत यूरोप, अफ्रीका और एशिया के कई देशों में इसके मामलों की पुष्टि की जा चुकी है। उत्तर प्रदेश में भी इसके दो नए मामले सामने आए हैं। इस बीच रायटर ने रूसी एजेंसी तास के हवाले से खबर दी है कि उनकी बनाई कोविवैक वैक्सीन डेल्टा वैरिएंट पर जबरदस्त रूप से प्रभावशाली दिखाई दी है। एएनआई के मुताबिक कोविड-19 का नया वैरिएंट लैंम्बडा जो कि डेल्टा से भी खतरनाक बताया जा रहा है अब तक दुनिया के 31 से अधिक देशों में दस्तक दे चुका है।
यूरोपीयन यूनियन के कमीश्नर ने डेल्टा वैरिएंट की वजह से प्रतिबंधों को और अधिक बढ़ाने की आशंका को दरकिनार कर दिया है। ईयू की तरफ से कहा गया है कि फिलहाल इसकी कोई जरूरत दिखाई नहीं देती है। अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल का कहना है कि देश में डेल्टा वैरिएंट का काफी प्रभाव देखा जा रहा है। अमेरिका में आने वाले करीब 52 फीसद मामलों की वजह डेल्टा वैरिएंट ही बताया जा रहा है। हालांकि यहां पर आने वाले कुछ नए मामलों में डेल्टा के अलावा एल्फा, जिसका पहला मामला ब्रिटेन में सामने आया था, देखा गया है।
3 जुलाई को समाप्त हुए सप्ताह में सामने आए मामलों में इस वैरिएंट की मौजूदगी करीब 29 फीसद मामलों में दिखाई दी है। सीडीसी का कहना कि अमेरिका में डेल्टा वैरिएंट लगातार अधिक प्रभावी हो रहा है। पिछले दो सप्ताह के दौरान इससे आने वाले मामले करीब दोगुना हो गए हैं। इसके ज्यादातर मामले वहां पर सामने आ रहे हैं जहां पर वैक्सीनेशन की रफ्तार में कमी आई है। ऐसे राज्य अल्बामा, अरकांसस, लुसीआना, मिसीसिपी का नाम शामिल है।
फ्रांस के जूनियर यूरोपीयन अफेयर्स के मंत्री ब्यूनी ने अपने नागरिकों को गर्मी की छुट्टियों में स्पेन और पुर्तगाल न जाने की सलाह दी है। उनका कहना है कि यहां पर मौजूद डेल्टा वैरिएंट के बढ़ते खतरे के मद्देनजर नागरिको यहां की यात्रा नहीं करनी चाहिए। फ्रांस के 11 क्षेत्रों मे इस वैरिएंट का काफी असर देखा जा रहा है। यहां पर सामने आने वाले करीब 41 फीसद मामलों में डेल्टा वैरिएंट की पुष्टि की गई है।
आस्ट्रेलिया में भी डेल्टा वैरिएंट काफी प्रभावी होता दिखाई दे रहा है। यहां के सिडनी और न्यूसाउथ वेल्स में सामने आए नए मामलों ने पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। न्यूसाउथ वेल्स में इस वैरिएंट के बुधवार को 38 मामले सामने आए हैं। यहां के प्रीमियर ग्रेडी बेरेजिक्रलिन का कहना है कि जब तक इस वैरिएंट से निजात नहीं मिल जाती है तब तक लॉकडाउन से बाहर आने का कोई मतलब नहीं है।
बुल्गारिया में डेल्टा वैरिएंट के 43 नए मामले सामने आने से सरकार की परेशानी बढ़ गई है। यहां के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक 1 जून से 25 जून के बीच देश के विभिन्न स्थानों से करीब 95 सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे। इनमें से 49 में ब्रिटेन में पाया गया एल्फा वैरिएंट शामिल है। वहीं एक मामले में बीटा वैरिएंट पाया गया है।
पिछले कुछ माह से लगातार कोरोना संक्रमण के नए मामलों गिरावट आने के बाद अब कुछ तीन दिनों से इसमें फिर से तेजी दिखाई दे रही है। इसको देखते हुए इस बात की आशंका घर कर रही है कि क्या ये तीसरी लहर की शुरुआत है या कुछ और है। भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़े बताते हैं कि बीते 24 घंटों के दौरान महाराष्ट्र , केरल और तमिलनाडु में सर्वाधिक मामले सामने आए हैं। वहीं यदि बीते कुछ दिनों के आंकड़ों पर निगाह डालें तो इन राज्यों में लगातार बढ़ते मामले कहीं न कहीं चिंता का सबब जरूर बने हुए हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 24 घंटों दौरान सामने आए नए मामलों में कुछ शीर्ष राज्यों की बात करें तो केरल में 11629, महाराष्ट्र में 8899, और तमिलनाडु में 3704, आंध्र प्रदेश में 4019, असम में 3136, कर्नाटक में 3081 मामले सामने आए हैं। इसी तरह से मौत के आंकड़ों में महाराष्ट्र में 326, तमिलनडु में 64, ओडिशा में 59, केरल में 148, कर्नाटक में 75 शामिल है। वहीं यदि इस दौरान सामने आए एक्टिव मामलों की बात करें तो इसमें केरल में 3823, अरुणाचल प्रदेश में 190, महाराष्ट्र में 333, मेघालय में 303, मिजोरम में 286, त्रिपुरा में 784 मामले शामिल हैं।
देश में बढ़ते मामले हर किसी के लिए चिंता का सबब हो सकते हैं। हालांकि विशेषज्ञों की इस बारे में राय कुछ और है। सफदरजंग मेडिकल कॉलेज में कम्यूनिटी मेडिसिन के हैड डॉक्टर जुगल किशोर का कहना कि जिन राज्यों में लगातार मामले बढ़ रहे हैं उनकी एक बड़ी वजह वायरस का ग्रामीण इलाकों में प्रभाव हो सकता है। उनके मुताबिक महामारी की दूसरी लहर के दौरान अधिकतर लोग इसकी चपेट में आए हैं।
खासतौर पर शहरी इलाकों में इससे शायद ही कोई ऐसा बचा हो जो इसकी गिरफ्त में कम या ज्यादा न आया हो। ऐसे में इन लोगों को दोबारा तब तक संक्रमण नहीं हो सकता है जब तक की कोई दूसरा वैरिएंट सामने नहीं आ जाता है। ऐसे में मामलों का बढ़ना इस बात का भी संकेत हो सकता है कि शायद वायरस ने फिर से म्यूटेट या बदलाव किया हो और कोई नया वैरिएंट लोगों को अपनी चपेट में ले रहा हो। हालांकि अब तक इस तरह की कोई बात सामने नहीं आई है। ऐसा भी हो सकता है कि दूसरी महामारी के दौरान भी इसके प्रकोप से बचे ग्रामीण क्षेत्र अब इसकी चपेट में आ रहे हों। डॉक्टर जुगल किशोर का कहना है कि इस तरह की चीजें आमतौर पर दिखाई देती हैं। ये राज्यवार निर्भर करती हैं।
आपको बता दें कि पिछले काफी समय से देश में तीसरी लहर के आने की आशंका व्यक्त की जा रही है। जानकारों की राय में ये अगस्त से शुरू होकर सितंबर या फिर अक्टूबर तक भी जा सकती है। पिछले दिनों दिल्ली स्थित एम्स के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने भी इस बारे में अपनी राय सार्वजनिक की थी। उनका कहना था कि ये लोगों के ऊपर निर्भर करती है। यदि लोगों ने लापरवाही बरती तो ये जल्द भी आ सकती है।
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