डायरिया से होने वाले मृत्यु को शून्य स्तर पर लाना सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का मुख्य उद्देश्य: सिविल सर्जन
• परिवार के सदस्यों को ओआरएस घोल बनाने की विधि बतायेंगी आशा कार्यकर्ता
• डायरिया होने पर जिंक व ओआरएस का घोल का करें इस्तेमाल
• 15 से 29 जुलाई तक चलेगा सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा
श्रीनारद मीडिया, पंकज मिश्रा, छपरा (बिहार):
छपरा जिले में गुरुवार को सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा की शुरुआत की गयी। सदर अस्पताल के ओपीडी परिसर में सिविल सर्जन डॉ. जर्नादन प्रसाद सुकुमार के द्वारा अभियान का विधिवत शुभारंभ किया गया। इस मौके पर सिविल सर्जन ने कहा कोविड-19 महामारी के सुरक्षात्मक उपायों को अनुपालन करते हुए वर्ष 2021 में सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा कार्यक्रम का आयोजन 15 से 29 जुलाई, 2021तक किया जाना है। सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का उद्देश्य जिले में दस्त के कारण होने वाले शिशु मृत्यु का शून्य स्तर प्राप्त करना है। डायरिया से होने वाले मृत्यु का मुख्य कारण निर्जलीकरण के साथ इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी होना है। ओ आर. एस. एवं जिंक के प्रयोग द्वारा डायरिया से होने वाली मृत्यु को टाला जा सकता है। सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा के दौरान अंतर्विभागीय समन्वय द्वारा दस्त की रोकथाम के उपायों, दस्त होने पर ओ. आर. एस. जिंक के प्रयोग, दस्त के दौरान उचित पोषण तथा समुचित इलाज के पहलुओं पर क्रियान्वयन किया जाना है। इस मौके पर जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. चंदेश्वर सिंह, डीपीएम अरविन्द कुमार, डीसीएम ब्रजेंद्र कुमार सिंह, डीपीसी रमेश चंद्र कुमार, विश्व स्वास्थ्य संगठन के एसएमओ डॉ. रंजितेश कुमार, यूनिसेफ की जिला समन्वयक आरती त्रिपाठी समेत अन्य स्वास्थ्य कर्मी मौजूद थे।
जिंक का प्रयोग करने से दस्त की तीव्रता में आती है कमी:
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. चंदेश्वर सिंह ने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य परिवार के सदस्यों के समक्ष ओ.आर. एस. घोल बनाना एवं इसके उपयोग की विधि, इससे होने वाले लाभ को बताना, साफ-सफाई, हाथ धोने के तरीके आदि की जानकारी प्रदान करना। इसके साथ ही परिवार को परामर्श देगी कि जिंक का उपयोग दस्त होने के दौरान बच्चों को आवश्यक रूप से कराया जाये। दस्त बन्द हो जाने के उपरांत भी जिंक की खुराक 02 माह से 05 वर्ष तक के बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार कुल 14 दिनों तक जारी रखा जाए|02 माह से 06 माह तक आधी गोली (10mg) एवं 07वें माह से 05 वर्ष तक एक गोली (20mg)। जिंक का प्रयोग करने से दस्त की तीव्रता में कमी आ जाती है एवं अगले 02 से 03 महीने तक दस्त होने की संभावना कम हो जाती है।
अति-संवेदनशील व झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों पर विशेष फोकस:
सिविल सर्जन डॉ. जेपी सुकुमार ने कहा कि अभियान के दौरान अति संवेदनशील क्षेत्र शहरी झुग्गी-झोपडी, कठिन पहुँच वाले क्षेत्र बाढ़ प्रभावित क्षेत्र नोमैडिक, निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के परिवार ईंट भट्ठे पाले क्षेत्र अनाथालय तथा ऐसा चिह्नित क्षेत्र जहाँ दो-तीन वर्ष पूर्व तक दस्त के मामले अधिक संख्या में पाये गये हों वहां पर विशेष फोकस किया जायेगा। छोटे गाँव, टोला, बस्ती, छोटे कस्बे जहाँ साफ-सफाई, साफ पानी की आपूर्ति एवं स्वास्थ्य अनुपालन किया जाना सुनिश्चित करें।
परिवार के सदस्यों की होगी काउंसिलिंग:
आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा क्षेत्र भ्रमण के दौरान परिवार के सदस्यों के समक्ष ओआरएस घोल बनाना एवं इसके उपयोग की विधि, इससे होने वाले लाभ को बताना, साफ-सफाई , हाथ धोने के तरीके की जानकारी दी जायेगी। इसक साथ हीं परिवार को इन बिन्दुओं पर परामर्श दी जायेगी।
• जिंक का उपयोग दस्त होने के दौरान बच्चों को आवश्यकत रूप से काराया जाये। दस्त बंद हो जाने के उपरांत भी जिंक की खुराक 2 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार 14 दिनों तक जारी रखा जाये
• जिंक और ओआरएस के उपयोग के उपरांत भी दस्त ठीक न होने पर बच्चे को नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र पर ले जायें
• दस्त के दौरान और दस्त के बाद भी आयु के अनुसार स्तनपान, उपरी आहार तथा भोजन जारी रखा जाये
• उम्र के अनुसार शिशु पोषण संबंधी परामर्श दिया जायेगा
• पीने के लिए साफ एवं सुरक्षित पेयजल का उपयोग करें
• खाना बनाने एवं खाना खाने से पूर्व और बच्चे का मल साफ करने के उपरांत साबुन से हाथ धोयें
• डारिया होने पर ओआरएस और जिंक का उपयोग करने से बच्चों में तीव्र सुधार होता है
• बच्चे के मल का निस्तारण सुरक्षित स्थान पर जल्द से जल्द कर दिया जाये
• दस्त का फैलने से रोकने के लिए शौचालय का प्रयोग करना चाहिए
ये लक्षण दिखाई देने पर तुरंत स्वास्थ्य केंद्र ले जायें:
• बच्चा ज्यादा बीमार लग रहा हो
• पानी जैसा लगातार दस्त का होना
• बार-बार उल्टी होना
• अत्याधिक प्यास लगना
• पानी न पी पाना
• बुखार होना
• मल में खून आ रहा हो
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15 दिवसीय दस्त नियंत्रण पखवाड़ा की हुई शुरुआत