मुश्किल परिस्थितियों को संभालने में धैर्य काम आएगा,कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
एक शिक्षक ने कक्षा के सभी बच्चों को टॉफी देकर कहा, ‘सुनो, कोई भी अगले 10 मिनट इसे नहीं खाएगा।’ फिर वे कक्षा से बाहर चले गए। कक्षा में शांति थी, हर बच्चा सामने रखी टॉफी को देख रहा था और उन्हें एक-एक पल खुद को रोकना मुश्किल हो रहा था। दस मिनट बाद शिक्षक लौटे तो उन्होंने देखा कि पूरी कक्षा में सिर्फ सात बच्चों की टॉफी ज्यों की त्यों थी और बाकी बच्चे उसे खाते हुए स्वाद पर टिप्पणी कर रहे थे। शिक्षक ने चुपचाप सातों बच्चों के नाम डायरी में लिख लिए।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शिक्षक, प्रोफेसर वॉल्टर मिशेल लंबे समय तक इन सात और अन्य बच्चों पर शोध करते रहे। लंबी भागदौड़ से उन्हें पता चला कि उन सात बच्चों ने जिंदगी में कई सफलताएं पाईं और वे अपने-अपने क्षेत्र में सबसे सफल लोगों में हैं। प्रोफेसर वॉल्टर ने कक्षा के बाकी छात्रों की भी समीक्षा की और पाया कि ज्यादातर सामान्य जीवन जी रहे हैं, जबकि कुछ की आर्थिक व सामाजिक परिस्थितियां बहुत अच्छी नहीं हैं। इस सारे प्रयास और शोध का नतीजा एक वाक्य में निकला: ‘जो व्यक्ति 10 मिनट के लिए भी धैर्य नहीं रख सकता, वह जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ सकता।’
दुनियाभर में मशहूर हुए शोध का नाम ‘मार्श मेलो थियोरी’ है क्योंकि प्रोफेसर ने बच्चों को ‘मार्श मेलो’ नाम की टॉफी दी थी। इस सिद्धांत के मुताबिक दुनिया के सबसे सफल लोगों में ‘धैर्य’ का विशेष गुण पाया जाता है क्योंकि यह गुण इंसान की ताकत बढ़ाता है, जिससे इंसान मुश्किल परिस्थितियों में निराश नहीं होता।
मुझे यह पुराना सिद्धांत शुक्रवार को तब याद आया जब मुझे पुणे पुलिस के साहस और धैर्य की कहानी पता चली, जिसने उस अपराधी को पकड़ने में धैर्य नहीं खोया, जो अपनी मोटरबाइक से 2000 किमी दूर नेपाल चला गया था। पुलिस ने उसे तब पकड़ा जब वह अपनी पसंदीदा सब्जियां लेने भारतीय सीमा में सिर्फ एक किलोमीटर अंदर आया था।
इस 9 जुलाई को साथ में शराब पीने वाले दो लोगों में से एक, भगवान मरकड पुणे पुलिस को मृत मिला, जबकि दूसरा साथी निरंजन साहनी लापता था। जांच में पता चला कि हर रात साहनी और मरकड साथ में शराब पीते थे। हत्या से एक रात पहले 8 जुलाई को साहनी और मरकड के बीच आरोपी के घर पर कथित रूप से झगड़ा हुआ था और साहनी ने मरकड को सिर पर धारदार हथियार से वार कर मार दिया था। फिर पास की नाली में लाश फेंककर वह भाग गया। जब तक पुलिस मामला समझकर साहनी का फोन ट्रैक करती, वह 2000 किमी दूर भाग चुका था।
चूंकि आरोपी नेपाल में था, पुणे पुलिस अंतरारष्ट्रीय सीमा पारकर उसे गिरफ्तार नहीं कर सकती थी। वे बस इंतजार कर सकते थे और वह उन्होंने धैर्यपूर्वक किया। उन्हें पता चला कि साहनी को कुछ चुनिंदा सब्जियां पसंद हैं, इसलिए पुलिस वाले लुंगी और टीशर्ट पहनकर नेपाल की सीमा से सटे बिहार के गांव में सब्जी बाजार में टिके रहे।
साप्ताहिक बाजार के दिन, 13 जुलाई को स्थानीय लोगों के भेष में वे इंतजार कर रहे थे। हालांकि साहनी दिनभर नहीं आया, लेकिन शाम 5.30 बजे वह पसंदीदा सब्जी के लिए गांव में टहलता हुआ पहुंचा और सीधे पुलिस के जाल में फंस गया।
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