पेगासस जासूसी मामला में शशि थरूर की अगुआई वाली पार्लियामेंट्री कमेटी करेगी जांच.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
पेगासस स्पाइवेयर जासूसी मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर की अगुआई में पार्लिमेंट्री कमेटी जांच करेगी. फोन टैपिंग वाले इस मामले में आईटी विभाग से जुड़ी पार्लियामेंट्री कमेटी गृह मंत्रालय समेत अन्य विभागों के अधिकारियों से आगामी 28 जुलाई को पूछताछ कर सकती है.
समाचार एजेंसी पीटीआई की खबर के अनुसार, मीडिया संस्थानों के इंटरनेशनल कंसोर्टियम ने 19 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र से ठीक एक दिन पहले यानी 18 जुलाई को यह रिपोर्ट प्रकाशित की थी कि इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस के जरिए भारत के प्रमुख गणमान्य लोगों की फोन टैपिंग की गई.
कंसोर्टियम की रिपोर्ट में फोन टैपिंग के जरिए जिन लोगों की जासूसी करने के आरोप लगाए गए हैं, उनमें दो केंद्रीय मंत्री, 40 से अधिक पत्रकार, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत विपक्ष के तीन नेता और एक जज समेत बड़ी संख्या में कारोबारी और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से अधिक मोबाइल नंबर शामिल हैं.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए इन लोगों के फोन हैक किए गए हों. कंसोर्टियम की यह रिपोर्ट सामने आने के बाद सरकार ने अपने स्तर पर व्यक्ति विशेष की जासूसी कराने के आरोपों को खारिज भी किया है. इसके साथ ही, पेगासस की निगरानी करने वाली इजराइल कंपनी एनएसओ ग्रुप ने भी इन आरोपों का खंडन किया है.
लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर की अगुआई वाली आईटी विभाग से संबंधित पार्लियामेंटरी कमेटी आगामी 28 जुलाई को बैठक करेगी. नोटिफिकेशन के अनुसार, इस बैठक का एजेंडा ‘नागरिक डाटा सुरक्षा एवं निजता’ है.
एजेंसी की खबर के अनुसार, शशि थरूर की अगुआई वाली इस पार्लियामेंट्री कमेटी में ज्यादातर सदस्य सत्तारूढ़ दल भाजपा के शामिल हैं. कमेटी ने पूछताछ के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी और गृह मंत्रालय के अधिकारियों को बुलाया है. सूत्रों का कहना है कि कमेटी की इस बैठक में पेगासस फोन टैपिंग का मामला सामने आएगा और अधिकारियों से जानकारी मांगी जाएगी.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने पेगासस के जरिए जासूसी कराने के मामले को लेकर मंगलवार पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह को बताना चाहिए कि उन्होंने इसका (पेगासस) का इस्तेमाल नहीं किया है, लेकिन उन्होंने न तो स्वीकार ही किया और न ही अस्वीकार. उन्होंने कहा कि अब सवाल उठता है कि सरकार के तौर पर इसका इस्तेमाल किसने किया और इसकी एजेंसियों ने नहीं. उन्होंने कहा कि मंत्री और सांसद देशवासियों को हकीकत बताना नहीं चाहते, लेकिन इसकी सच्चाई सामने आनी चाहिए.
सिब्बल ने आगे कहा, ‘गृह मंत्री ने इसके क्रोनोलॉजी को समझने के लिए कहा. मैं अमित शाह से कहना चाहता हूं कि आप इसके (पेगासस) के क्रोनोलॉजी समझें कि इसका इस्तेमाल 2017 से 2019 के बीच किया गया था.’ उन्होंने कहा कि इस डेटा को ऐसी एजेंसी को लीक करना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है, जिसका भारत से कोई लेना-देना नहीं है.
उन्होंने कहा कि यह बहुत ही गंभीर मामला है और हमारे मंत्री कहते हैं कि देश को बदनाम किया जा रहा है. मैं कहना चाहता हूं कि मंत्री जी देश बदनाम नहीं हो रहा है, आपकी वजह से यह सब हो रहा है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इसकी जांच करनी चाहिए और कैमरा के सामने इसकी प्रोसिडिंग होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि संसद में एक श्वेत पत्र पेश किया जाना चाहिए और मंत्री को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि सरकार या किसी अन्य एजेंसी ने यहां पेगासस का इस्तेमाल किया है या नहीं.
सिब्बल ने कहा, ‘हमारा संविधान कहता है कि सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करनी चाहिए, लेकिन अगर हमारी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल दिया तो क्या होगा?’ उन्होंने कहा कि यदि यह डेटा अन्य देशों तक पहुंचता है, यदि एनएसओ के प्रौद्योगिकीविदों द्वारा इसे एक्सेस किया जाता है, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन जाता है. फिलहाल ये लिस्ट ही आई हैं. संभव है कि आने वाले दिनों में पता चले कि उन्होंने और लोगों को भी इंटरसेप्ट किया है.