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बाढ़ ग्रस्त इलाकों में ग्रामीणों के शतप्रतिशत टीकाकरण के प्रयास में जुटी है एएनएम सुमन

बाढ़ ग्रस्त इलाकों में ग्रामीणों के शतप्रतिशत टीकाकरण के प्रयास में जुटी है एएनएम सुमन

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तमाम चुनौतियों के बावजूद गांव में नियमित जांच व टीकाकरण सत्र का कर रही संचालन:
स्वास्थ्य अधिकारी व ग्रामीण भी सुमन के प्रयासों के हैं कायल, हर तरफ हो रही तारिफ:

श्रीनारद मीडिया, अररिया,  (बिहार):


वैश्विक महामारी के इस दौर में सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराने में जमीनी स्तर के स्वास्थ्य कर्मियों ने अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई है। चुनौतियों से भरे इस दौर में कुछ कर्मी जन सेवा व सपर्मण की मिसाल बन कर सामने आये हैं। पलासी प्रखंड के पिपरा विजवाड़ गांव की एएनएम सुमन कुमारी का नाम भी इसमें शामिल है, जिन्होंने संक्रमण से बचाव संबंधी उपायों के प्रति लोगों को जागरूक करने, पीड़ित लोगों को जरूरी स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के साथ-साथ उन्हें टीकाकरण के लिये प्रेरित करते हुए पूरे समुदाय को कोरोना से सुरक्षित करने की अपनी मुहिम में अब तक बेहद सफल साबित हुई हैं।

चुनौतियों से भरा था ग्रामीणों को टीकाकरण के लिये राजी करना:
पलासी प्रखंड मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर पिपरा विजवाड़ गांव पूर्व से ही कई चुनौतियों से घिरा रहा है। गांव की अधिकांश आबादी बाढ़ जनित समस्याओं का सामना करने के लिये हर साल मजबूर हैं। वहीं आम लोगों के बीच शिक्षा का अभाव महामारी के प्रति लोगों के बीच जागरूकता के मार्ग में बड़ी बाधा रही है। इतना ही नहीं गांव की आधी से अधिक आबादी के लिये मजदूरी ही आय का जरिया है। जो उन्हें स्वास्थ्य संबंधी मामलों को लेकर गंभीर होने से रोकता है। तमाम विरोधाभास के बावजूद सुमन गांव में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर को फैलने से रोकने में बहुत हद तक कामयाब रहीं। वहीं, लोगों को टीकाकरण के प्रति जागरूक करते हुए खास कर गांव की महिलाओं का टीकाकरण सुनिश्चित कराने के प्रयासों में भी वे खासा सफल रही हैं। उनके प्रयासों के कारण अब गांव की महिलाएं ही घर के पुरूष सदस्यों पर टीकाकरण का दबाव बना रही है। लिहाजा टीकाकरण अभियान में गांव के पुरूष भी अब बढ़-चढ़ कर भाग लेने लगे हैं। यही कारण है कि अब तक गांव की 60 फीसदी से अधिक आबादी कोरोना का टीका ले चुकी हैं।

विशेष रणनीति के तहत ग्रामीणों को टीकाकरण के लिये किया जागरूक:
सुमन बताती हैं कि संक्रमण की दूसरी लहर के आने तक कोरोना टीका के रूप में हमारे पास एक मजबूत हथियार उपलब्ध हो चुका था। बावजूद इसके टीकाकरण के लिये लोगों को जागरूक करने के लिये संचालित अभियान के दौरान उन्हें महसूस हुआ कि गांव के कुछ लोग जहां कोरोना को कोई रोग मानने को तैयार नहीं थे। वहीं कुछ लोग इस भ्रम के शिकार थे कि कहीं कोरोना का टीका लेने के बाद उन्हें कुछ हो न जाये। गांव का एक तबका ऐसा भी था, जो शिक्षित होने के बावजूद विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर टीकाकरण को लेकर फैलायी जा रही भ्रामक जानकारियों से प्रभावित थे। सुमन ने इन चुनौतियों से निपटने के लिये अपनी अलग रणनीति बनायी। क्षेत्र में लगातार जागरूकता संबंधी बैठक का आयोजन ही नहीं किया बल्कि गृह भ्रमण के दौरान भी उन्होंने लोगों को जागरूक करने का प्रयास नहीं छोड़ा। गांव में आयोजित चौपालों में प्रखंड स्तरीय स्वास्थ्य अधिकारियों की मौजूदगी सुनिश्चित कराते हुए उन्होंने लोगों के मन में टीकाकरण को लेकर व्याप्त संदेह को दूर करने का प्रयास किया। कुछ ही दिनों में इसका साकारात्मक परिणाम दिखने लगा। पहले जो लोग टीकाकरण के विरोध में अपनी आवाज बुलंद कर रहे थे। जागरूकता अभियान से जुड़ कर वे भी अब लोगों को टीकाकरण के लिये प्रेरित करने की मुहिम में जुट गये।

स्वास्थ्य अधिकारी व ग्रामीण भी सुमन के प्रयास के हैं कायल: बीएचएम
प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक मिथलेश कुमार ने ग्रामीण आबादी के बीच टीकाकरण को बढ़ावा देने के सुमन के प्रयासों के प्रयासों को सराहा। उन्होंने कहा कि पंचायत का अधिकांश इलाका बाढ़ प्रभावित हैं। बावजूद इसके सुमन नांव की मदद से गांव पहुंच कर नियमित रूप से इन इलाकों में कोरोना जांच व टीकाकरण सत्र का संचालन कर रही हैं। उनके प्रयासों के कारण पंचायत संक्रमण की दूसरी लहर ज्यादा प्रभावी नहीं हो सका। बाहर से आये कुछ प्रवासी इस दौरान संक्रमित मिले। जिन्हें सही समय पर जरूरी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराया गया। इससे होम आइसोलेशन में रहते हुए वे जल्द स्वस्थ हो गये। तो ग्रामीण मुरली कुमार, सीताराम मंडल सहित अन्य भी सुमन के प्रयासों को सराहते हैं। वहीं, सुमन बताती है कि संक्रमण के शुरूआती दौर से ही वे जिम्मेदारी पूर्वक अपने कर्तव्यों का निवर्हन कर रही है। गांव के शतप्रतिशत लोगों का टीकाकरण उनका लक्ष्य है। उन्होंने इसे जल्द हासिल करने का भरोसा दिलाया।

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