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गंडकी नदी का जलस्तर बढ़ने से मकई की फसल बर्बाद, धान की भी नहीं हो सकी रोपनी

गंडकी नदी का जलस्तर बढ़ने से मकई की फसल बर्बाद, धान की भी नहीं हो सकी रोपनी

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श्रीनारद मीडिया, सीवान(बिहार):

पहले मारी गयी मक्का की फसल और अब जलजमाव के कारण धान की रोपनी बाधित हो गयी है। यह हाल बड़हरिया प्रखंड के पूरबी इलाके खोरीपाकर का है। जहां के किसान गंडकी नदी का जलस्तर बढ़ने से तैयार मकई की फसल से पहले ही बेहाथ हो चुके हैं। और करीब 15 एकड़ खेती योग्य जमीन गंडकी नदी का जलस्तर बढ़ने धान की रोपनी से वंचित है। यहां के किसान फसलों की बर्बादी और अगली फसल नहीं होने की दोहरी मार से तबाह हैं। विदित हो कि गंडकी नदी का जलस्तर बढ़ने से प्रखंड की रामपुर पंचायत के खोड़ीपाकर जद्दी और खोड़ीपाकर नीलामी के किसानों की मक्का की फसल तो बर्बाद हो ही चुकी है।अब गंडकी नदी के किनारे के 10-15 एकड़ भूमि में धान की रोपनी भी नहीं हो सकी है। बताया जाता है कि वर्षा का पानी गंडकी नदी में लगातार गिरने से नदी का जलस्तर इतना बढ़ चुका है कि यहां के किसान धान की रोपनी भी नहीं कर पाये हैं। मक्का की फसल को जलजमाव से भारी क्षति हो चुकी है। मक्का की तैयार फसल को अपनी आंखों के सामने बर्बाद होते चुके किसानों की रही-सही उम्मीद भी धान की रोपनी नहीं से चली गयी है।

विदित हो कि गंडकी नदी के किनारे के खेतों में तैयार मकई की फसल बर्बाद होने से खोड़ीपाकर के किसानों को भारी नुकसान हुआ था।उनकी पूंजी भी डूब गयी थी।और अब गंडकी नदी का जलस्तर और बढ़ जाने धान की रोपनी भी बाधित हो गयी है। रोपनी के लिए डाले गये बिचड़े बेकार हो चुके हैं।इस प्रकार इस क्षेत्र के किसानों को दोहरी क्षति हुई है।बीजेपी नेता सह पूर्व सरपंच किसान बीजेंद्र सिंह ने बताया कि खोड़ीपाकर के किसानों ने गंडकी नदी के किनारे के करीब 15 बीघे खेत में लगी मकई की फसल पहले ही बर्बाद हो चुकी है। प्राकृतिक आपदा ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया था।अब 10 -15 एकड़ भूमि में धान की रोपनी नहीं होने से बड़ी क्षति हुई है। उन्होंने बताया कि खोड़ीपाकर के किसान प्रकाश सिंह, मिथिलेश सिंह, सुजीत सिंह चिंतानाथ सिंस,रामायण सिंह, टुनटुन सिंह,नरनारायण सिंह,बीजेंद्र सिंह,चुनमुन सिंह,मदन सिंह, वीरेंद्र सिंह, रघुनाथ सिंह, प्रदीप सिंह,डॉ कृष्णा सिंह, हरिनारायण मिश्र, वीरेंद्र मिश्र, मुन्ना तिवारी, सुरेश मिश्र आदि की करीब 10-12 एकड़ धान की जमीन में नदी का पानी लगे रह जाने के कारण धान की रोपनी नहीं हो पायी है। किसान रामायण सिंह ने बताया कि नदी के कछार वाले खेत में धान की खेती से घर भर जाता था। लेकिन इस बार जलजमाव मकई की फसल की बर्बादी के साथ-साथ धान की रोपनी ही नहीं हो सकी है। वहीं मकई की फसल की बर्बादी के बाद धान की रोपनी नहीं होने से बटाईदारों पर दोहरी मार पड़ी है। बटाईदार किसान मुनर महतो, चलती महतो,रामनरेश महतो, रामप्रवेश महतो सोहन महतो आदि ने बताया कि मक्का की तैयार फसल बर्बाद होने से पूंजी डूब चुकी थी। अब धान की रोपनी नहीं होने से जीना मुहाल हो गया है। बहरहाल, गंडकी नदी का जलस्तर बढ़ने खोरीपाकर जद्दी व खोरी पाकर नीलामी के किसानों की कमर टूट गयी है। यहां के किसान त्राहिमाम कह रहे हैं। किसान चुनमुन सिंह बताया कि कृषि विभाग को हमारी फसलों की क्षति की भरपाई का उपाय ढ़ूढ़ना चाहिए। हमारे लिए खेती घाटे का सौदा बन चुकी है।

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