न करें चेतावनी की अनदेखी,जलवायु परिवर्तन में छिपी है अप्रत्याशित मौसम की जड़.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
हाल में दुनियाभर में मौसम का अप्रत्याशित रुख देखने को मिला है। कनाडा में लू, उत्तरी अमेरिका में जंगलों में आग, जर्मनी व चीन में बाढ़ की खबरें आ रही हैं। लोग मौसम के ऐसे रुख से हतप्रभ हैं। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि मौसम में इस बदलाव के लिए जलवायु परिवर्तन कहां तक जिम्मेदार है। अमेरिका की कोलोरैडो स्टेट यूनिवर्सिटी के एटमास्फेरिक साइंस के प्रोफेसर स्काट र्डेंनग ने इस संबंध में कई पहलुओं की पड़ताल की है।
दुनियाभर में गुस्साए मौसम के लिए जिम्मेदार है ग्लोबल वार्मिंग: अब तक शोध बताते हैं कि मौसम के अप्रत्याशित बदलावों में से ज्यादातर की वजह मनुष्यों की गतिविधियों के कारण जलवायु में आया बदलाव है। अचानक बहुत तेज गर्मी वाले मौसम के लिए ग्लोबल वार्मिंग काफी हद तक जिम्मेदार है। इसे समझने के लिए फिजिक्स और कंप्यूटर माडल का इस्तेमाल किया जाता है।
गर्म हवाएं: शोध बताते हैं कि इनका कारण काफी हद तक ग्लोबल वार्मिंग है। तटीय इलाकों में बाढ़ गर्मी के कारण बर्फ पिघालती और समुद्र का स्तर बढ़ता है। इससे तटीय इलाकों में बाढ़ का खतरा रहता है।
सूखा: गर्म हवा विभिन्न जल स्रोतों, फसलों, जंगलों से ज्यादा पानी को भाप बनाकर उड़ा देता है। इससे सूखे की स्थिति बनती है।
जंगल की आग: गर्म हवाओं के कारण बहुत से पौधे सूख जाते हैं। ऐसे में जरा सी चिंगारी बड़ी आग का कारण बन जाती है।
बहुत ज्यादा बारिश: गर्म हवा के कारण ज्यादा भाप एक से दूसरी जगह पहुंचती है। ऐसे में अचानक तेज बारिश की स्थिति बनती है। बहुत ज्यादा सर्दी इसके कारणों पर अध्ययनों में कई अलग-अलग निष्कर्ष सामने आए हैं। इसमें ग्लोबल वार्मिंग की भूमिका पर स्थिति स्पष्ट नहीं है।
तूफान: गर्म समुद्री सतह से तूफानों को ताकत मिलती है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि ग्लोबल वार्मिंग तूफानों को कितना घातक बनाती है। कुछ अध्ययन कहते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण हवा में बदलाव तूफानों की गंभीरता को कम करता है।
दो जरूरी बातें
पहली बात, इंसान ने प्रकृति में कार्बन डाई आक्साइड और अन्य ग्रीन हाउस गैसों का स्तर इतना बढ़ा दिया है कि प्रकृति में बहुत कुछ अब सामान्य स्तर से खिसक चुका है।
दूसरी बात, मौसम में हो रहे हर अप्रत्याशित बदलाव में ग्लोबल वार्मिंग की भूमिका प्रमाणित नहीं है।
न करें चेतावनी की अनदेखी: अध्ययनों से यह बात स्पष्ट है कि मौसम में बदलावों के लिए इंसान कम जिम्मेदार नहीं हैं। जितना ज्यादा कोयला, पेट्रोलियम और गैस का प्रयोग होगा, धरती उतनी ज्यादा गर्म होती जाएगी और लोगों को ऐसी गर्मी का सामना करना पड़ेगा, जिसकी कल्पना भी नहीं की गई। मौसम के अप्रत्याशित बदलाव के समय आपदा प्रबंधन के सभी उपाय धरे रह जाते हैं। इसलिए जरूरी है कि आपदाओं से निपटने के साथ-साथ आपदाओं को रोकने की दिशा में कदम उठाए जाएं।
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