अब नये मातृ एवं बाल सुरक्षा कार्ड में माँ व शिशुओं की रहेगी कुंडली
• मातृ- शिशु मृत्यु दर को कम करने के उद्देश्य से दिया गया प्रशिक्षण
• गुणवत्तापूर्ण सेवा उपलब्ध कराने को लेकर किया गया प्रयास
• डेढ़ वर्ष तक लगने वाले टीकाकरण के बारे में विशेष फोकस
श्रीनारद मीडिया, छपरा, (बिहार):
अब स्वास्थ्य विभाग ने नया मातृ एवं बाल सुरक्षा कार्ड जारी किया है। इस एमसीपी कार्ड में मां और बच्चों के बारे में विस्तृत जानकारी अंकित की जायेगी । इसके तहत गर्भावस्था, प्रसव के बाद भी डेढ़ वर्ष तक लगने वाले टीकाकरण के बारे में विशेष फोकस किया गया है। हाल में जारी इस नए कार्ड से स्वास्थ्य कर्मियों के साथ ही संबंधित अभिभावकों को काफी सहूलियत मिल सकेगी। मातृ एवं बाल सुरक्षा कार्ड के जरिए जननी सुरक्षा योजना से संबंधित लाभार्थी माताओं को सरकार, स्वास्थ्य संस्थान एवं प्रमाणित निजी अस्पताल में प्रसव कराने पर सहयोग राशि समेत प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान, जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम अंतर्गत मिलने वाले लाभ यथा गर्भवती महिलाओं के लिए जन्म के बाद एक साल तक बीमार नवजात शिशु के लिए मिलने वाले इलाज, दवाएं, जांच, टीकाकरण, खून की उपलब्धता आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। कार्ड में मां, पिता का नाम, आयु, पता, मोबाइल नंबर, बैंक खाता के अलावा गर्भावस्था का विवरण, संस्थान का परिचय, प्रसव पूर्व देखभाल, जांच, पेट की जांच, आवश्यक जांच, वैकल्पिक जांच की बिंदुओं को प्रमुखता से उल्लेख किया गया है। कार्ड में चित्रों के माध्यम से होने वाली परेशानियों के साथ ही लक्षण व निदान का भी मुख्य रूप से उल्लेख अथवा अंकन है। प्रसव के लगभग डेढ़ वर्ष तक बच्चों को लगने वाले टीके के बारे में कब, कहां और कैसे लगेंगे, का भी जिक्र है।
स्वास्थ्य कर्मियों को दिया गया है ऑनलाइन प्रशिक्षण:
नए मातृ एवं बाल सुरक्षा (एमसीपी) कार्ड के बारे में स्वास्थ्य विभाग और आईसीडीएस के अधिकारियों और फ्रंटलाइन वर्कर को आवश्यक तकनीकी जानकारी देने के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया गया। सिविल सर्जन डॉ. जेपी सुकुमार ने बताया कि ऑनलाइन ज़ूम मीटिंग का आयोजन राज्य स्वास्थ्य समिति और यूनिसेफ के सहयोग से किया था। मीटिंग में जिला सामुदायिक उत्प्रेरक, जिला सलाहकार गुणवत्ता यकिन एवं प्रखंड़ों से एमओआईसी, सीडीपीओ, बीसीएम, के साथ ही सभी एएनएम, आशा कार्यकर्ता एवं आंगनबाड़ी सेविका एवं सहायिका जुड़ी थीं। मातृ मृत्यु दर (एमएमआर)और शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) में वांछित कमी लाने के लिए गर्भवती माताओं एवं बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराया जाना है ताकि सतत विकास के लक्ष्य (एसडीजी) को प्राप्त किया जा सके।
गुणवत्तापूर्ण सेवा सुनिश्चित कराने को लेकर विभाग प्रयासरत :
राज्य में मातृ मृत्यु दर (एमडीजी) लक्ष्य के अनुसार 70 प्रति लाख लाइव बर्थ लक्षित स्तर तक पहुंचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग कृत संकल्पित है। इसके साथ ही सभी गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच, प्रसव पश्चात जांच, संस्थागत प्रसव सहित अन्य आवश्यक सेवाएं एवं बच्चों का शत- प्रतिशत टीकाकरण सुनिश्चित कराने के लिए विभाग के द्वारा सभी स्वास्थ्य संस्थानों में आवश्यक सुविधाओं की उपलब्धता एवं गुणवत्तापूर्ण सेवा सुनिश्चित कराने के अनेक प्रयास किए जा रहे हैं।
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