निमोनिया- डायरिया से बच्चों को बचाने के लिए शुरुआती स्तनपान जरूरी: सिविल सर्जन
जिले में 01 से 07 अगस्त तक मनाया जाएगा विश्व स्तनपान सप्ताह:
स्वास्थ्य संस्थान में स्तनपान कक्ष ब्रेस्ट फीडिंग कॉर्नर का निर्माण कराया जाना है बाकी:
जिला और प्रखण्ड स्तर पर कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा:
श्रीनारद मीडिया, किशनगंज (बिहार):
कोरोना संक्रमण के दौर में सभी एहतियात बरत रहे हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता को ले लोगों में जागरूकता आयी है। सभी लोग पोषण का विशेष ध्यान रख रहे हैं। शिशुओं के लिए आधारभूत पोषण में स्तनपान मुख्य रूप से शामिल है। बच्चे के सम्पूर्ण शारीरिक और मानसिक विकास के लिए माँ का दूध जरूरी है। माँ के दूध के अलावा छ्ह महीने तक के बच्चे को ऊपर से पानी देने की भी जरूरत नहीं होती है। स्तनपान कराने से बच्चे में भावनात्मक लगाव पैदा होता है और उसे यह सुरक्षा का बोध भी कराता है। आगामी एक से सात अगस्त तक जिला मुख्यालय सहित सभी प्रखंड़ों में स्तनपान के महत्व को जनसाधारण तक पहुंचाने के उद्देश्य से “विश्व स्तनपान सप्ताह” मनाया जाएगा। मालूम हो कि बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास तथा नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाने एवं कुपोषण से शिशु को बचाने में स्तनपान के महत्व के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रत्येक वर्ष एक से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है। जन्म के पहले घंटे में स्तनपान शुरू करने पर नवजात शिशुओं में मृत्यु की संभावना 20 प्रतिशत तक कम हो जाती है। सिविल सर्जन डॉ श्री नंदन ने बताया कि इस कार्यक्रम में जिला से लेकर प्रखण्ड स्तर तक आईसीडीएस के पदाधिकारियों के साथ ही आंगनबाड़ी सेविका- सहायिका की अहम भागीदारी होगी। इस कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए जिला स्वास्थ्य समिति किशनगंज के जिला योजना समन्वयक (डीपीसी) जिला नोडल अधिकारी के रूप में काम करेंगे।
निमोनिया- डायरिया से बच्चों को बचाने के लिए शुरुआती स्तनपान जरूरी: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ. श्री नंदन ने बताया डायरिया व निमोनिया से बचाव में स्तनपान बहुत ही कारगर है। माँ के दूध की महत्ता को समझते हुए स्वास्थ्य विभाग की ओर से भी यह सुनिश्चित कराया जा रहा है कि जन्म के तुरंत बाद कंगारू मदर केयर तकनीक अपनाते हुए बच्चे को माँ की छाती पर रखकर स्तनपान की शुरुआत लेबर रूम के अंदर ही कराने के लिए बताया जाता है। इसके अलावा माँ को स्तनपान की स्थिति, बच्चे का स्तन से जुड़ाव और माँ के दूध निकालने की विधि को समझाने में भी नर्स द्वारा पूरा सहयोग किया जाता है। ताकि कोई भी बच्चा अमृत समान माँ के दूध से वंचित न रह जाये।उन्होंने बताया कि यदि बच्चे को जन्म के पहले एक घंटे के अंदर माँ का पहला पीला गाढ़ा दूध पिलाया जाये तो ऐसे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।
स्वास्थ्य संस्थान में स्तनपान कक्ष में ब्रेस्ट फीडिंग कॉर्नर का निर्माण कराया जाना बाकी:
उन्होंने बताया कि प्रत्येक स्वास्थ्य संस्थान में स्तनपान कक्ष ब्रेस्ट फीडिंग कॉर्नर का निर्माण कराया जाना है। यह कक्ष उस उस संस्थान के ओपीडी के पास और कंगारू मदर केयर वार्ड के अतिरिक्त होगा। इसके साथ ही विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान एएनएम, आशा कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका घर-घर जाकर गर्भवती और धातृ माताओं को छह महीने तक केवल स्तनपान कराने के महत्व के बारे में बताएगी और प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्रों पर बुधवार और शुक्रवार को वहां आने वाली सभी 2 वर्ष तक की माताओं से सेविका और आशा इस अभियान में उनसे जुड़ने के लिए कहेंगी।
जिला और प्रखण्ड स्तर पर कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा
जिला स्वास्थ्य समिति किशनगंज के जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) विश्वजीत कुमार ने बताया कि कोरोना सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करते हुए विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान एक से सात अगस्त तक जिला और प्रखण्ड स्तर पर कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान सदर अस्पताल के अलावा जिला के सभी स्वास्थ्य संस्थानों को दूध की बोतल मुक्त परिसर घोषित किया जाना है। इसके साथ ही विभिन्न अस्पताल के प्रसव केंद्रों पर कार्यरत ममता का स्तनपान से होने वाले लाभ के बारे में उन्मुखीकरण किया जाएगा और प्रसव केंद्र के प्रसव पश्चात वार्ड की इंचार्ज सिस्टर को स्तनपान के लिए उस संस्थान का नोडल पर्सन चुना जाएगा।
अनुश्रवण एवं मूल्यांकन जिला स्तर पर सिविल सर्जन करेंगे:
डॉ श्री नंदन ने बताया कि विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों का अनुश्रवण एवं मूल्यांकन जिला स्तर पर सिविल सर्जन, जिला स्वास्थ्य समिति के अधिकारी, आईसीडीएस के अधिकारी के साथ ही प्रखण्ड स्तर पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी (सीडीपीओ), प्रखण्ड स्वास्थ्य प्रबंधक (बीएचएम), प्रखण्ड सामुदायिक उत्प्रेरक (बीसीएम) तथा आईसीडीएस की महिला पर्यवेक्षिका करेंगी।
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