गर्भवती महिलाओं का समय पर प्रसवपूर्व जांच कराना आवश्यक
हाई रिस्क गर्भावस्था (प्रेग्नेंसी) की पहचान के लिए प्रसवपूर्व जांच महत्वपूर्ण:
गर्भवती महिलाएं व्यक्तिगत साफ सफाई और आराम का रखें ध्यान:
श्रीनारद मीडिया, गया, (बिहार):
कोविड महामारी ने आम जनजीवन को प्रभावित किया है। हालांकि इस महामारी के प्रभाव से गर्भवती महिलाएं भी अछूती नहीं रहीं हैं, लेकिन ऐसे समय में भी गर्भवती महिलाओं के समय पर प्रसवपूर्व जांच का बहुत अधिक ध्यान रखा जाना महत्वपूर्ण है। प्रसवपूर्व जांच से उच्च जोखिम वाली गर्भवस्था या हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की पहचान कर समय पर आवश्यक इलाज उपलब्ध कराने में मदद मिलती है। मातृत्व स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रसवपूर्व जांच पर हमेशा बल दिया गया है।
गर्भवती महिला का चार प्रसवपूर्व जांच जरूरी:
स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ मेघा सिन्हा ने बताया एक गर्भवती महिला का चार बार प्रसवपूर्व जांच आवश्यक है। पहला प्रसवपूर्व जांच पहली मासिक धर्म के बंद होते ही या माहवारी बंद होने के पहले तीन महीने के भीतर कराया जाना जरूरी है। दूसरा प्रसवपूर्व जांच गर्भावस्था के चौथे से छठे महीने में, तीसरा प्रसव पूर्व जांच सातवें से आठवें महीने में तथा चौथा प्रसव पूर्व जांच गर्भावस्था के नौवें महीने में कराया जाना आवश्यक है।
ब्लड शुगर व उच्च रक्तचाप:
उन्होंने बताया प्रसवपूर्व जांच के दौरान गर्भवती महिला का ब्लड प्रेशर, खून व पेशाब की जांच, वजन व लंबाई नापना तथा पेट के आकार में बढ़ोतरी आदि की जांच की जाती है। खून की कमी या खून में शुगर होना तथा उच्च रक्तचाप जच्चा बच्चा के लिए खतरनाक होता है। इस दौरान गर्भवती महिलाओं का टेटनेस का टीका भी दिया जाता है। खून की कमी होने पर आयरन की गोली दी जाती है। प्रसवपूर्व जांच के द्वारा गर्भवती महिलाओं में जोखिम वाले लक्षणों का सही समय पर पता लगा कर ज़रूरी उपचार किया जा सके।
प्रसवपूर्व जांच के साथ लें पौष्टिक आहार:
गर्भवती महिला के प्रसवपूर्व जांच के साथ पौष्टिक आहार भी महत्वपूर्ण है। महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कैल्श्यिम, प्रोटीन व विटामिन वाले खाद्य पदार्थ प्रचूर मात्रा में लिया जाना चाहिए। दूध, दही, छाछ, ताजा मौसमी फल व सब्जियां, दाल, अंकुरित मूंग व चना, मूंगफली, अंडा, मछली, मटन, बादाम, गुड़, शलजम, सोयाबीन, तिल आदि प्रचूर मात्रा में लिया जाना चाहिए. यह शिशु के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है तथा गर्भवती के शरीर में आवश्यक मात्रा में रक्त बनाता है।
आराम व व्यक्तिगत सफाई का रखें ध्यान:
गर्भवती महिलाओं को अपने साफ सफाई का बहुत अधिक ध्यान रखना चाहिए। खाने से पहले और शौच के बाद साबुन पानी से हाथों को जरूर धोयें। घर से बाहर जाते समय मास्क का इस्तेमाल जरूर करें। नियमित रूप से अपने नाखून काटें। भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। ध्यान रखें कि व्यक्तिगत साफ सफाई संक्रमण से बचाता है। गर्भवती महिलाओं को आराम का भी विशेष ख्याल रखना है। रात में आठ घंटे और दिन में कम से कम 2 घंटे जरूर आराम करें। बाएं करवट लेटें ताकि गर्भस्थ शिशु को खून की आपूर्ति बढ़ जाती है। भारी सामान उठाने व कड़ी मेहनत वाले काम से बचें। पर्याप्त आराम से शारीरिक और मानसिक तनाव दूर होता है। यह गर्भवती और गर्भस्थ शिशु दोनों के लिए लाभदायक है।
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