शिशुओं के सर्वांगीण मानसिक और शारीरिक विकास के लिए छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराएं : डॉ. वीपी राय
• स्तनपान सप्ताह के सफल क्रियान्वयन को लेकर वेबिनार का आयोजन
• दूध पिलाते समय मां को मास्क लगाना है बेहद जरुरी
• 1 से 7 अगस्त मनाया जायेगा स्तनपान सप्ताह
श्रीनारद मीडिया‚ पंकज मिश्रा‚ छपरा (बिहार)
छपरा जिले में 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। स्तनपान सप्ताह में सभी की भागीदारी को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राज्यस्तरीय वेबिनार का आयोजन किया गया। राज्य स्वास्थ्य समिति के शिशु स्वास्थ्य के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. वीपी राय ने वेबिनार के उद्देश्यों पर चर्चा करते हुए कहा कि कोरोना वायरस के महामारी के इस दौर में मां के दूध की महता और भी अधिक हो जाती है, क्योंकि स्तनपान, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। जहां एक ओर यह बच्चे के सर्वांगीण मानसिक और शारीरिक विकास को बढ़ाता है। वहीं, दूसरी ओर इससे शिशु एवं बाल मृत्यु दर पर भी प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने कहा कि आंकड़े बताते हैं कि जिन शिशुओं को जन्म के 1 घंटे के अंदर स्तनपान नहीं कराया जाता है उनमें नवजात मृत्यु दर की संभावना 33% अधिक होती है। उन शिशुओं के सापेक्ष जिनको जन्म के 1 घंटे के बाद 24 घंटे के पहले स्तनपान की शुरुआत कराई जाती है। अभी तक किसी भी शोध में यह साबित नहीं हुआ है कि कोविड-19 वायरस मां के दूध से शिशु में पहुंच सकता है।
इस वेबिनार में राज्य स्वास्थ्य समिति के एईडी केशवेंन्द्र कुमार, यूनिसेफ के पोषण विशेषज्ञ रबि पार्ही, एडीसीएचएन विमलेश सिंह, यूनिसेफ के पोषण पदाधिकारी डॉ. शिवानी डार ने संबोधित किया। वेबिनार में जिलास्तर से एसीएमओ, आरपीएम, डीएसी, डीपीसी, डीसीएम, बाल रोग विशेषज्ञ और लेबर रूम प्रभारी, एमओ प्रभारी, बीएचएम, बीसीएम शामिल थे।
दूध पिलाते समय मां को मास्क लगाना है बेहद जरुरी
यूनिसेफ के पोषण पदाधिकारी डॉ. शिवानी डार ने कहा कि दूध पिलाने से पहले स्तनों को और स्वयं के हाथों को साबुन से कम से कम 40 सेकंड तक साफ करना तथा चेहरे, नाक एवं मुंह पर मास्क लगाना चाहिए. यदि मां अपना दूध पिलाने में बिल्कुल समर्थ नहीं है तो उस दशा में परिवार के किसी सदस्य के सहयोग से मां के दूध को एक साफ कटोरी में निकालते हुए उसे चम्मच से पिलाया जा सकता है. लेकिन इसे मां को स्तन और अपने हाथों को अच्छी तरह से सेनीटाइज करना जरूरी है। बोतल से दूध पिलाना हमेशा ही हानिकारक है। साथ ही बंद डब्बे का दूध को किसी भी स्थिति में नहीं पिलाने की सलाह दी गयी है।
स्वास्थ्य संस्थान में कराया जाएगा स्तनपान कक्ष का निर्माण :
प्रत्येक स्वास्थ्य संस्थान में स्तनपान कक्ष का निर्माण कराया जाना है। यह कक्ष उस संस्थान के ओपीडी के पास और कंगारू मदर केयर वार्ड के अतिरिक्त होगा । इसके साथ ही विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान एएनएम, आशा कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका घर-घर जाकर गर्भवती और धात्री माताओं को छह महीने तक केवल स्तनपान कराने के महत्व के बारे में बताएगी और प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्रों पर बुधवार और शुक्रवार को वहां आने वाली सभी 2 वर्ष तक की माताओं से सेविका और आशा इस अभियान में उनसे जुड़ने के लिए कहेंगी।
स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए किया जायेगा प्रचार-प्रसार:
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी रमेश चंद्र कुमार ने बताया कि आशा एएनएम एवं आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ता द्वारा विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान अधिक से अधिक माताओं को शिशु के जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान प्रारंभ करने में माँ की सहायता करना तथा गर्भवती, धात्री माताओं को छः माह तक केवल स्तनपान कराये जाने के महत्व को बताया जायेगा। आँगनबाड़ी सेविका एवं आशा अगस्त माह में होने वाले वीएचएसएनडी में सभी दो वर्ष तक के बच्चों की माताओं को निमंत्रित करें तथा उनके द्वारा बताई गई इनफैंट एंड यंग चाइल्ड फिडिंग के अभ्यासों तथा उनके बच्चों के पोषण स्तर में हुए सुधार के आधार पर चिह्नित माताओं की प्रशंसा करें.साथ ही संभव हो तो स्थानीय पंचायती राज संस्थाओं की महिला सदस्यों के द्वारा प्रोत्साहित किया जायेगा।
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