नोएडा में अपराध होने पर पुलिस क्यों भागती है मेरठ की तरफ?

नोएडा में अपराध होने पर पुलिस क्यों भागती है मेरठ की तरफ?

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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उत्तर प्रदेश का जिला गौतमबुद्ध नगर (नोएडा, ग्रेटर नोएडा) प्रतिदिन अपने विकास के नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है, चाहे वह जेवर में बनने वाले एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट हो या यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में बनने वाला फिल्म सिटी अथवा देश का पहला पॉड टैक्सी ही क्यों ना हो. तो वही दूसरी ओर अपराधी अपराध भी करते है, जब भी नोएडा-ग्रेटर नोएडा में कोई अपराध होता है नोएडा पुलिस मेरठ की तरफ भागती है, ऐसा क्या है मेरठ में? तो इसका जवाब है, नोएडा-ग्रेटर नोएडा में होने वाले अपराध में प्रयुक्त हथियार (देशी कट्टा) मेरठ के सरधना क्षेत्र से ही खरीदे जाते है.

सहायक पुलिस आयुक्त नोएडा 2 (एसीपी) रजनीश वर्मा बताते है कि मेरठ के सरधना में कट्टे बनाएं जाते है, नोएडा समेत पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (गाजियाबाद,नोएडा,दिल्ली, फरीदाबाद,गुरुग्राम) में जो भी कट्टे अपराधियों से बरामद होते है वह सरधना से ही होते है. इसके अलावा कुछ हथियार गाजियाबाद के लोनी से तो कुछ दिल्ली के शाहदरा,सुंदरनगरी और सीलमपुर क्षेत्र के बने होते है.

नोएडा सेक्टर 56 में हुई लूट कांड में भी जो कट्टा प्रयोग किया गया था वो सरधना से ही खरीदा गया था
एसीपी रजनीश वर्मा ने कहा कि 27 जुलाई को नोएडा सेक्टर 58 थाना क्षेत्र अंतर्गत सेक्टर 56 में जो लूट कांड हुई थी,उसमें जांच के बाद पुलिस ने विक्रम, विशाल,नितिन, कुशल,सचिन और रोहित गिरफ्तार किया था,इसमें विक्रम के पास से पुलिस ने एक तमंचा और तीन जिंदा कारतूस 315 बोर की बरामद किया, वह मेरठ के सरधना में बना था, जिसे मोनू और हर्षित ने खरीदा था.

ट्रक के स्टेरिंग, हार्डवेयर के सामान से बनाते है कट्टा
जिला गौतमबुद्ध नगर स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) प्रभारी शावेज़ खान बताते है कि गाजियाबाद, शाहदरा, मेरठ के लालकुर्ती, सुंदरनगरी इन क्षेत्रों में कट्टा बनाया जाता है, वही से अपराधियों को सप्लाई किया जाता है. पुलिस इस पर काम कर रही है, कट्टा बनाने वालो को चिन्हित किया गया है ताकि उनपर कार्रवाई की जा सके. शावेज़ खान ने जानकारी दी कि यह कट्टा ट्रक के स्टेरिंग से बनता है, ये स्टेरिंग ये कभी कभी चोरी के होते है या कबाड़ी वालो से भी कट्टा बनाने वाले खरीद लेते है. कुछ सामान ये हार्डवेयर के दुकान से भी खरीद लेते है और घर पर ही कट्टा बनाकर 1000 से 2000 रुपए में बेचे जाते हैं.

कट्टा में गोलियां कहा से लाते है, इसपर पुलिस अभी भी खाली हाथ
कट्टे (देशी तमंचा) खरीदने वाले गोली कहा से लाते है, उनको कोई सप्लाई करता है? कौन सा ऐसा रास्ता है जहां से ये खरीदते है इस सवाल पर पुलिस का जवाब गोल घुमाने वाला था, एसओजी प्रभारी शावेज़ खान से पूछने पर उन्होंने कहा कि कट्टा बनाने वाले गोलियां कहा से लाते है इसपर काम चल रहा है, पक्के तौर पर कुछ कहा नहीं जा सकता जांच हो रही है\” अब सवाल उठना लाजमी है जब हथियारों का गिरोह मेरठ और आस पास के इलाकों में इतनी गहरी पैठ बना चुका है तो क्यों नही बड़ा जॉइंट ऑपरेशन चला कर हथियार तस्करों की कमर तोड़ी जाती.

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