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विश्व स्तनपान सप्ताह: स्वास्थ्यकर्मी स्तनपान को लेकर कर रहे जागरूक

विश्व स्तनपान सप्ताह: स्वास्थ्यकर्मी स्तनपान को लेकर कर रहे जागरूक

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एनएफएचएस—5 की रिपोर्ट जिला में 42.4 फीसदी शिशु ही कर पाते हैं पहले घंटे में स्तनपान:
नियमित स्तनपान से शिशुओं को गंभीर बीमारियों सहित डायरिया व निमोनिया से होता है बचाव:

श्रीनारद मीडिया‚ गया, (बिहार):

विश्व स्तनपान सप्ताह के मद्देनजर जिले के विभिन्न प्रखंडों में आंगनबाड़ी सेविकाओं, आशा तथा स्वास्थ्यकर्मियों की मदद से शिशुओं के स्तनपान कराने के लाभ के विषय में लोगों को जानकारी दी जा रही है। घर घर जाकर नवजात शिशुओं सहित 2 साल तक के उम्र के सभी बच्चों को नियमित स्तनपान कराने के लिए माताओं को प्रेरित किया जा रहा है। स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा पूरे जिले में व्यापक जागरूकता अभियान चलाकर नियमित स्तनपान से शिशुओं को बीमारियों और कुपोषण से दूर रखने का हरसंभव प्रयास किया गया है।

वीएचएसएनडी पर महिलाओं को किया गया जागरूक:
आईसीडीएस जिला समन्वयक सबा सुल्ताना ने बताया बुधवार को जिले के इमामगंज सहित अन्य प्रखंडों में ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता तथा पोषण दिवस पर गर्भवती महिलाओं सहित धात्री महिलाओं को स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा नियमित स्तनपान की जानकारी दी गई। वहीं आंगनबाड़ी सेविकाओं को शिशु के जन्म से एक घंटे के अंदर स्तनपान कराने के लिए माताओं को प्रेरित करने के लिए कहा गया है। साथ ही छह माह तक नियमित रूप से मां का दूध पिलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। छह माह से अधिक उम्र के बच्चों को अनुपूरक आहार प्रारंभ करने के साथ उन्हें दो साल तक स्तनपान कराने के लिए कहा गया है। लोगों से डिब्बाबंद दूध नहीं पिलाने के लिए कहा जा रहा है। इस बात की भी जानकारी दी जा रही है कि कोविड संक्रमित माताएं भी श्वसन स्वच्छता के नियमों को अपनाते हुए चिकित्सीय परामर्श के साथ स्तनपान करा सकती हैं। माताओं को स्तनपान कराने से पूर्व हाथों को साबुन पानी से धोकर तथा मास्क लगाकर स्तनपान कराने के लिए कहा गया है।

42.4 फीसदी शिशु ही कर पाते हैं पहले घंटे में स्तनपान:
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे—5 की रिपोर्ट के मुताबिक जिला में तीन साल से कम उम्र के 42.4 फीसदी शिशुओं को ही जन्म के पहले घंटे में स्तनपान कराया जाता है। हालांकि यह आंकड़ा पूर्व की तुलना में बढ़ा है लेकिन अभी भी स्तनपान कराये जाने के प्रति और अधिक जागरूकता लाये जाने की जरूरत है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे—4 के मुताबिक यह महज 29 प्रतिशत ही था| वहीं छह माह से कम आयुवर्ग के 67 फीसदी शिशुओं को सिर्फ नियमित स्तनपान कराया जाता है। सर्वे के अनुसार स्तनपान कर रहे छह से 23 माह के 10.4 फीसदी शिशुओं को स्तनपान के साथ पर्याप्त आहार मिल पाता है। शिशु के लिए माता का दूध सर्वोत्तम आहार है। स्तनपान से शिशु का शारीरिक व मानसिक विकास होता है। साथ ही नियमित स्तनपान बच्चों को डायरिया, निमोनिया तथा कुपोषण से बचाता है। यह शिशु के रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है।

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