बिहार सरकार सभी जिलों में तैनात डीडीसी यानि कि उप विकास आयुक्त और बीडीओ का छीनने जा रही है पावर
श्रीनारद मीडिया, राकेश सिंह, स्टेट डेस्क:
बिहार सरकार सभी जिलों में तैनात डीडीसी यानि कि उप विकास आयुक्त और बीडीओ का पावर छीनने जा रही है. पंचायती राज विभाग को पंचायत राज अधिनियम में संशोधन के गजट प्रकाशन का इंतजार है. जैसे ही राज पत्र का प्रकाशन होगा, इन दोनों अधिकारियों का पावर छीन जायेगा और सरकार सभी जिलों में नए पदाधिकारियों की तैनाती करेगी।
दरअसल बिहार सरकार जिला परिषद से डीडीसी और पंचायत समिति से बीडीओ को बेदखल करने जा रही है. उप विकास आयुक्त की जगह पर बिहार के सभी जिला परिषदों में जिला परिषदों में नए मुख्य कार्यपालक पदाधिकारियों की तैनाती होगी. जबकि पंचायत समिति के कार्यपालक पदाधिकारी की जिम्मेदारी अब बीडीओ से छीनकर वहां के पंचायती राज पदाधिकारी को दे दी जाएगी।
पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने बताया की गजट प्रकाशन के बाद सामान्य प्रशासन विभाग से 38 पदाधिकारी वे मांगेंगे. सामान्य प्रशासन से पदाधिकारियों की सूची मिलते ही उनकी तैनाती जिलों में कर दी जाएगी. गौरतलब हो कि बिहार में पहरी बार ऐसी व्यवस्था की जा रही है. अभी-तक जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के रूप में वहां के उप विकास पदाधिकारी की काम करते थे।
इस नई व्यवस्था को लेकर मानसून सत्र में विधानमंडल से पंचायती राज अधिनियम में संशोधन विधेयक पारित किया चुका है. राज्यपाल की स्वीकृति के बाद अब संशोधन का गजट प्रकाशन हो जायेगा. इसके बाद संशोधन अधिनियम लागू हो जायेगा. इस प्रक्रिया के बाद इसी प्रकार पंचायत समिति के कार्यपालक पदाधिकारी अब बीडीओ की जगह वहां के पंचायती राज पदाधिकारी ही होंगे. इसको लेकर पंचायती राज विभाग पंचायत समिति के कार्यपालक पदाधिकारी के रूप में उन्हें नामित करेगा।
आपको बता दें कि डीडीसी और बीडीओ के पास अन्य विभागों के भी कई कार्य होते हैं, इसको देखते हुए उनकी जगह पर अलग पदाधिकारी को रखने का निर्णय हुआ है, ताकि जिला परिषद और पंचायतों के काम का क्रियान्वयन तेज हो सके. मानसून सत्र में विधानमंडल से पंचायती राज अधिनियम में संशोधन विधेयक पारित होने के बाद विभाग के मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा था कि मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के पास जिला परिषद के संचालन और उसकी संपत्तियों की देखरेख के अलावा कोई और काम नहीं रहेगा।
उन्होंने कहा कि डीसी पर पहले से ही काम का बोझ रहता है. ऐसे में जिला परिषद के लिए पूर्णकालिक मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी की जरूरत महसूस की जा रही थी।
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