Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
19 गोली लगने के बाद बावजूद आतंकी को मारकर शहीद हुए हवलदार रामेश्वर. - श्रीनारद मीडिया
Breaking

19 गोली लगने के बाद बावजूद आतंकी को मारकर शहीद हुए हवलदार रामेश्वर.

19 गोली लगने के बाद बावजूद आतंकी को मारकर शहीद हुए हवलदार रामेश्वर.

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बलिदानियों के गांव के नाम से जाने वाले गांव भोंडसी की माटी में जन्मे एक और वीर जवान बलिदानी हवलदार रामेश्वर दयाल शर्मा ने 29 अगस्त, 1975 के दिन मिजो नेशनल आर्मी के कप्तान रोहनोना को मुठभेड़ में मार गिराया था। कुख्यात आतंकी कप्तान रोहनोना पर सरकार ने दस हजार का इनाम रखा हुआ था। इस आतंकी ने सीआरपीएफ सैनिक बल के कई अधिकारियों को मार दिया था। वीरता व अदम्य साहस दिखाकर हवलदार रामेश्वर दयाल ने कप्तान रोहनोना को मारा था। इस मुठभेड़ में हवलदार रामेश्वर को 19 गोली लगी थी। मगर उन्होंने साहस नहीं छोड़ा और वीरता से ऐसे लड़े कि दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए और मां भारती के लिए बलिदान हो गए। उनके बलिदान पर आज तक अर्ध सैनिक बल सीआरपीएफ फोर्स को नाज है।

शौर्य गाथा

हवलदार रामेश्वर दयाल की वीरता की गाथा सुनकर छाती चौड़ी हो जाती है। उन दिनों मिजोरम में मिजो नेशनल आर्मी का पूरा आतंक था। वह किसी भी सीआरपीएफ के अधिकारी पर घात लगाकर, हत्या कर उनके हथियार लूट ले जाते थे। जब हवलदार रामेश्वर दयाल को बटालियन की जिम्मेदारी मिली।

29 अगस्त, 1975 के दिन मिजोरम के आइजल में मिजो नेशनल के कप्तान रोहनोना के छुपे होने की खबर मिली थी। उस वक्त आतंकी रोहनोना के एक रेस्टोरेंट में बैठे थे। मौका मिलते ही उस पर हमला कर दिया। दोनों और से गोली बरसने लगी। हवलदार रामेश्वर दयाल ने साहस दिखाया और मिजो नेशनल आर्मी के कप्तान आतंकी रोहनोना को काबू कर लिया। उसे रस्सी से बांध दिया।

इसी दौरान आतंकी रोहनोना के अन्य साथी आ गए और ताबड़तोड़ गोली बरसा दीं। बलिदानी रामेश्वर को 19 गोली लगी मगर वीर जवान रामेश्वर ने हिम्मत व साहस दिखाया और आतंकी कप्तान को मार गिराया। देश के लिए बलिदान हो गए। उनके इकलौते बेटे रामानंद भी अपने दादा धर्म सिंह शर्मा और बलिदानी पिता रामेश्वर के देशभक्ति से प्रेरित होकर अर्ध सैनिक बल सीआरपीएफ में ही सेवा करने के लिए भर्ती हो गए। सेवानिवृति के बाद समाज सेवा में लीन हैं।

सरकार की ओर से मिला पुलिस बहादुरी अवार्ड

बलिदानी रामेश्वर दयाल शर्मा की वीरता को लेकर उनके बलिदान के उपरांत तत्कालीन राष्ट्रपति ने बलिदानी की वीरांगना भगवती देवी को पुलिस मेडल अवार्ड से नवाजा गया है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!