जेपीयू प्रशासन कूपमंडूकता की स्थिति से निकलकर विधि महाविद्यालय नामांकन शुरू करने के लिए मार्ग प्रशस्त करे :-छात्र नेता अमरेश सिंह राजपूत
श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार )
जय प्रकाश विश्वविद्यालय छपरा के छात्र नेता अमरेश सिंह राजपूत ने बयान जारी कर कहा है की हाईकोर्ट ने राज्य के सभी सरकारी एवं निजी 27 विधि महाविद्यालयों की संबद्धता के मामले में सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल के खंडपीठ में सभी विधि कॉलेजों को निर्देश दिया कि वह बार काउंसिल ऑफ इंडिया के समक्ष 1 सप्ताह में निरीक्षण के लिए आवेदन देंगे। इसके बाद बार काउंसिल कॉलेजों का वर्चुअल या फिजिकल निरीक्षण करेगा। निरीक्षण रिपोर्ट बार काउंसिल ऑफ इंडिया की संबंधित कमेटी के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी। यह कमेटी इनके रिपोर्ट पर निर्णय लेगी बार काउंसिल यह देखेगी कि विधि शिक्षा 2008 के नियमों का पालन शिक्षण संस्थानों में किया जा रहा है या नहीं। इन कॉलेजों को फिर से चालू करने के लिए अस्थाई अनुमति देते हुए नियमों में ढील नहीं दी जाएगी ।इसके पहले पटना उच्च न्यायालय ने अन्य मामले में सुनवाई करते हुए बिहार सरकार के वाद में अस्थाई रूप से बिहार के 27 विधि महाविद्यालय में नामांकन पर रोक लगा दी थी।
उसके बाद अलग से एक जनहित याचिका दायर की गई उसमें कहा गया कि सरकार का काम है की विधि महाविद्यालयों की संबद्धता कैसे बचेगी और बिहार के गरीब छात्र विधि की शिक्षा कैसे प्राप्त करेंगे ।यदि बिहार सरकार बार काउंसिल के सभी मानकों को महाविद्यालय में लागू कर देती है। तो संबद्धता बचने की उम्मीद रहेगी।
कोर्ट का आदेश आने के बाद गंगा सिंह विधि महाविद्यालय मैं भी नामांकन होने के उम्मीद जग चुकी है गंगा सिंह विधि महाविद्यालय चालू हो इसके लिए 5 वर्षों से लगातार छात्र संगठन आर एस ए संघर्ष कर रही है न्यायालय का आदेश आने पर छात्र संगठन आरएसए के छात्र नेता अमरेश सिंह राजपूत ने कुलपति, कुलसचिव एवम छात्र संकाय अध्यक्ष को एक स्मार पत्र सौंपा है जिसमें उन्होंने कहा है कि
माननीय पटना उच्च न्यायालय के वर्तमान समय में CWJC/3636/2019 में बिहार के विधि महाविद्यालयों में आधारभुत संरचना को लेकर सक्रियता ने छपरा के बन्द परे गंगा सिंह विधि महाविद्यालय में भी पुनः पठन पाठन शुरू होने की उम्मीद जगा दी है| आवश्यकता इस बात की है कि विश्वविद्यालय प्रशासन कुपमंडुकता की स्थिति से निकलकर उन बाधाओं को दुर करे जिसके कारण बार काउन्सिल ने इस महाविद्यालय की मान्यता समाप्त कर दी है| बार काउन्सिल एजुकेशन रूल 2008 के आलोक में निम्नलिखित कमियो को दुर किये बगैर महाविद्यालय को मान्यता मिलना असंभव है|
1. चुकी बार काउन्सिल एजुकेशन रूल 2008 के अनुसार लॉ कॉलेज के लिए अलग भवन एवं भूमि की आवश्यकता होती है इसलिए यह संभव नहीं है कि गंगा सिंह कॉलेज के बर्तमान भवन में विधि महाविद्यालय की पढाई शुरू हो सके| और चुकी गंगा सिंह विधि महाविद्यालय के पैसे से विश्वविद्यालय में कुछ अधुरा भवन बना है इसलिए या तो विश्वविद्यालय अपने सिनेट सिंडिकेट के प्रस्ताव से 1 एकड़ भूमि विश्वविद्यालय परिसर में गंगा सिंह विधि महाविद्यालय के नाम पर आवंटित कर दे अथवा बर्तमान गंगा सिंह विधि महाविद्यालय के सभी संसाधनों को पुरी तरह अधिग्रहीत करते हुये विश्वविद्यालय परिसर में गंगा सिंह इंस्टीट्यूट औफ लिगल स्टडीज की शुरुआत कर उसे स्ववित्तपोषित योजना के अन्तर्गत पठन पाठन शुरू करे|
2. यह भी संभव नहीं है कि बर्तमान निर्माणाधीन भवन को देखकर बार काउन्सिल की टीम महाविद्यालय में पठन पाठन की अनुमति दे इसलिए तत्काल प्रभाव से विश्वविद्यालय परिसर के किसी भवन में नये भवन बनने तक विधि विभाग के रुप में विकसीत किया जाय जिसमें विभागीय पुस्तकालय, मूट कोर्ट रुम, ई लाईब्रेरी, और प्रयाप्त क्लास रुम की ब्यवस्था हो| बार काउन्सिल एजुकेशन रूल के अनुसुचित 3 के क्लॉज 4. के अनुसार निम्नलिखित भवन का स्ट्रक्चर चाहिए|
3. पूर्व में भी महाविद्यालय की मान्यता बार काउन्सिल औफ इंडिया ने पूर्णकालिक प्राचार्य के अभाव एवं प्रयाप्त एल एल. एम शिक्षकों के अभाव में रोका था इसलिए तत्काल प्रभाव से विज्ञापन निकाल कर बार काउन्सिल और यू जी सी के नियमों के अनुसार शिक्षको की नियुक्ति की जाय|
बार काउन्सिल औफ इंडिया एजुकेशन रुल 2008 के अनुसार रुल 16 के अनुसार
इसलिए आग्रह है कि निम्न आधारभूत संरचनाओं को पुरा कर तत्काल बार काउन्सिल को इंस्पेक्शन के लिए शुल्क जमा कर प्रक्रिया शुरू करवायी जाय और आवश्यकता होने पर राज्य सरकार का भी मदद लेने का प्रयास हो| अंत मे छात्र नेता ने कहा की जेपीयू प्रशासन कूपमंडूकता की स्थिति से निकलकर विधि महाविद्यालय नामांकन शुरू करने के लिए मार्ग प्रशस्त करे!
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