ये है मेरा गांव.. ………..सुरवाला

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श्रीनारद मीडिया‚ सीवान (बिहार):


सीवान जिला मुख्यालय से लगभग दस किमी दूर सिवान-सोनहो राज्य पथ 73 पर स्थित सहलौर बाजार से दो किमी उत्तर दिशा की तरफ। जब मैं मध्य विद्यालय में पढ़ता था तो अक्सर लोगों को सुरवाला, सूरवाला,शूरवाला लिखते हुए देखता था।कई तो हमलोगों को चिढ़ाते भी थे कि यह सूरदास का गांव है।इसलिए इसका नामकरण सूरवाला(वास्तविक सुरवाला) है।पिताजी पढ़ाते वक्त बताए थे कि हिंदी में सुर का अर्थ देवता,सूर का अर्थ अंधा तथा शूर का अर्थ वीर होता है और वाला का अर्थ गांव।
अपने गांव का नाम सुरवाला है।

सरकारी दस्तावेजों में मेरे गांव का नाम सुरवाला (Surwala) ही है।हंसी तो तब आती थी जब पत्र के जमाने में कोई बाहरी व्यक्ति सुरवाला की जगह गांव का नाम ‘र’ और ‘व’ को मिला कर ‘ख’ पढ़ लेता था और पता पर ‘सुरवाला’ की जगह ‘सुखाला’ लिख देता था।वैसे गांव का पत्रालय भी यही है।इसलिए पत्र पहुंचने में परेशानी नहीं होती थी।बाद में ख का मानक समझ में आ जाने के कारण अब ऐसी भूल देखने को नहीं मिलती है।पत्र लिखने का जमाना भी कहां रहा ?

पिताजी कहते थे कि कदाचित यह गांव पहले से शांत चित्त गांव था,केस मुकदमें थाना नहीं पहुंचता था।शायद इस कारण से इसका नामकरण सुरवाला हुआ हो।हालांकि इस समय के हालात यह है कि लोग बात-बेबात में थाने का रूख कर लेते हैं।
गांव के नाम से बात याद आयी कि मेरे पड़ोस में एक गांव है बुद्धू छपरा जिसको एक शिक्षक Anil Singh जो कि वहाँ पर प्राथमिक विद्यालय के प्रभारी हैं , ने प्रतिवेदन में इसका नाम बुद्धि छपरा लिखते-लिखते बुद्धि छपरा बना दिए।ऐसे ही एक गांव को लोग ….. बंगरा कहते थे।बाद में युवाओं ने इसे लक्ष्मी बंगरा करना चाहा लेकिन सफलता नहीं मिली।अब लोग उस गांव को सरकारी दस्तावेजों में भी श्रीकांत बंगरा कहा जाता है।सिवान के बड़हरिया प्रखंड में एक गांव है महम्मदपुर और ताज्जुब की बात है कि वहाँ एक घर भी मुसलमान नहीं हैं।

ऐसे में एक और वाकया याद आता है कि एक इंजीनियर साहब मेरे भैया के साथ तरवारा बाजार (यह थाना भी है) पर थे।इंजीनियर साहब पटना के थे।वे बोले कि रणविजय जी सही मायनों में देखा जाए तो तरवारा का नाम पचरूखी (मेरा गृह प्रखंड) होना चाहिए।क्योंकि तरवारा से जिस तरह से पांच सड़के निकलती हैं.. एक सोनहो होते हुए पटना,दूसरा महाराजगंज, तीसरा पचरूखी, चौथा बड़हरिया और पांचवां सिवान ..वैसे में पचरूखी नाम तो इसी का होना चाहिए।खैर लिखते लिखते पोस्ट लंबा होते चला गया।
सुरवाला की तरफ से आप सभी मित्रों को काली पूजा की हार्दिक बधाई।

राकेश कुमार सिंह
सुरवाला
सिवान

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