नवादा जिले की आशा कार्यकर्ताओं को सुरक्षित गर्भ समापन एवं परिवार नियोजन पर किया गया जागरूक
स्वास्थ्य विभाग तथा आई-पास डेवलपमेंट फाउंडेशन द्वारा दी गयी एमपीटी एक्ट की जानकारी
श्रीनारद मीडिया, नवादा, (बिहार):
अनचाहे गर्भ के कारण दंपति तनाव में आ जाते हैं। मानसिक रूप से तैयार नहीं होने के कारण उन्हें सुरक्षित गर्भपात की जरूरत होती है। ऐसे में अब अनचाहा गर्भधारण करने वाली महिलाओं के लिए सुरक्षित गर्भपात की सुविधा मिल सकेगी। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेग्नेंसी एक्ट को ध्यान में रखते हुए ये सेवाएं सदर अस्पताल सहित सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त अस्पतालों में उपलब्ध होंगी। इसके तहत जिला में स्वास्थ्य विभाग द्वारा आई पास डेवलपमेंट फाउंडेशन के सहयोग से सुरक्षित गर्भपात तथा आधुनिक परिवार नियोजन विषय पर स्वास्थ्यकर्मियों सहित आमजन को जागरूक किया जा रहा है।
आशा कार्यकर्ताओं को दी गयी गर्भपात व एक्ट की जानकारी:
इस क्रम में सुरक्षित गर्भपात और परिवार नियोजन को लेकर नारदीगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कौआकोल प्रखंड के 33 आशा कार्यकर्ताओं को सुरक्षित गर्भ समापन एवं परिवार नियोजन विषय पर आई पास डेवलपमेंट फाउंडेशन द्वारा जागरूक करने का काम किया गया है। फांउडेशन की ओर से सीमा सोनल ने आशा कार्यकर्ताओं को सुरक्षित गर्भपात तथा एमपीटी एक्ट की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 20 सप्ताह तक गर्भ समापन कराना कानूनन वैध है। लेकिन 12 सप्ताह के अंदर प्रशिक्षित डॉक्टर एवं 12 सप्ताह से ऊपर तथा 20 सप्ताह के अंदर तक में दो प्रशिक्षित डॉक्टर की उपस्थिति होनी चाहिए। साथ ही इसके विभिन्न नियमों व परिस्थितियों पर विस्तार से चर्चा की गयी।
एमटीपी एक्ट के तहत गर्भ समापन का प्रावधान:
आईपास प्रतिनिधियों ने बताया जब महिलाएं अनचाहे रूप से गर्भवती हो जाती हैं तो इसका ससमय उपाय जरूरी है। चिकित्सीय सलाह एवं परामर्श के साथ उनका सुरक्षित गर्भपात कराया जा सकता है। परिचर्चा में बताया गया कि लोगों को स्वयं से गर्भपात कराने के विधियों को नहीं अपनाया जाना चाहिए। मेडिकल साइंस की मदद से सुरक्षित गर्भपात की विधि ही अपनायी जानी चाहिए। इसके लिए तकनीकी रूप से दक्ष चिकित्सक से परामर्श प्राप्त किया जाना चाहिए। साथ ही एमपीटी एक्ट के तहत 20 सप्ताह तक के गर्भ का समापन करने की सुविधा होती है। अगर कोई महिला अपना गर्भ समापन कराना चाहती है तो एमटीपी एक्ट के तहत अपना गर्भ समापन करा सकती है। भारत में मातृ मृत्यु दर का 8 प्रतिशत असुरक्षित गर्भपात के कारण होता है। इसलिए यह सुनिश्चित किया जाना जरूरी है कि गर्भपात की सुविधा उपलब्ध हो और इसके तहत सभी प्रक्रियाएं पूरी तरह सुरक्षित हों।
गर्भपात के बाद गर्भधारण में छः महीने की अंतराल होनी चाहिए:
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार गर्भपात के बाद गर्भधारण में छः महीने की अंतराल होनी चाहिए। अतः इस बात की चर्चा भी की गयी कि गर्भपात के बाद महिलाओं को गर्भनिरोधक साधन अपनाने के लिये प्रेरित किया जाना चाहिए। कार्यक्रम में प्रशिक्षक मुकेश कुमार, सीमा सोनल तथा रंजीत कुमार ने भाग लिया।
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