खौफ के साये में गुजरे नौ दिन,बिहार के आबिद ने बताई आपबीती.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार में मुजफ्फरपुर के बांके साह चौक निवासी और काबुल के ब्राख्ता यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सैयद आबिद हुसैन की अफगानिस्तान से भारत वापसी हो चुकी है, लेकिन खौफ के साए में गुजरे नौ दिनों की यादें अब भी ताजी है. दिल्ली के कोरेंटिन सेंटर में रह रहे सैयद आबिद हुसैन ने बुधवार को फोन से बातचीत में कहा कि दिल्ली लौटने के बाद वे सकून महसूस कर रहे हैं. वापसी के लिए वे आठ दिनों से प्रयास कर रहे थे, लेकिन हमेशा निराश होना पड़ रहा था
आबिद हुसैन ने आगे बताया कि मैंने 15 और 18 अगस्त को फ्लाइट का टिकट लिया था, लेकिन दोनों फ्लाइट रद्द हाे गयी थी. जैसे-जैसे दिन बीत रहा था, तनाव भी बढ़ता जा रहा था. सैयद आबिद हुसैन ने कहा कि अफगानिस्तान पर 15 अगस्त को ही तालिबान कब्जा कर चुका था. बाहर निकलने वाले से पूछताछ होने लगी थी, इसलिए मैं ब्राख्ता यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर क्वार्टर से बाहर नहीं निकलता था.
खाने-पीने का सामान की व्यवस्था स्टाफ के जिम्मे था. जब 18 को मेरी फ्लाइट रद्द हुई तो मैं अगली फ्लाइट का पता करने काबुल एयरपोर्ट गया. वहां अन्य भारतीय भी काफी संख्या में थी. हमलोग छह-सात घंटा एयरपोर्ट के बाहर थे. बड़ी तादाद में भारतीय को एयरपोर्ट के बाहर खड़ा देख तालिबानी सैनिकों ने हमलोगों को पकड़ लिया.
उनलोगों ने बारी-बारी से हमलोगों से पूछताछ की. कागजात देखे. इसके बाद छोड़ दिया, मेरे अलावा कई भारतीय विदेश मंत्रालय के संपर्क में थे. दिन-ब-दिन अफगानिस्तान की हालत खराब हो रही थी. हमलोग जल्दी वापस आना चाहते थे. इस बात का डर था कि कहीं बाद में हमलोगों को यहां से निकलने की अनुमति नहीं मिली तो क्या करेंगे. घर पर भी लोग परेशान थे. रोज बात होती थी, लेकिन मैं कब लौटूंगा, यह मुझे भी नहीं पता था.
अब भारत आ गया हूं तो सारा तनाव दूर हो गया. मेरे अलावा काबुल से 72 भारतीय भी लौटे हैं. सभी लोग कोरोना जांच में निगेटिव पाए गए हैं, लेकिन सरकार के निर्देशानुसार हमलोगों को आइटीबीपी कैंप में कोरेंटिन किया गया है. बस यहां से जल्दी छुटकारा चाहता हूं, ताकि घर जाकर परिवार से मिलूं.
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