स्वास्थ्य अधिकारियों को एचआईवी एक्ट का अनुपालन सुनिश्चित कराने को लेकर दिया गया जरूरी प्रशिक्षण
एचआईवी संक्रमित मरीजों के प्रति समाज में सकारात्मक माहौल विकसित करना एक्ट का उद्देश्य: सिविल सर्जन
स्वास्थ्य संगठनों में 20 व अन्य संस्थानों में 100 कर्मियों पर एक शिकायत निवारण पदाधिकारी होंगे नियुक्त:
एचआईवी संक्रमितों के साथ किसी तरह के भेदभाव व अपमानजनक व्यवहार के लिये होगा दंड का प्रावधान:
श्रीनारद मीडियाअररिया, 26 अगस्त।
स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मियों को एचआईवी एवं एड्स रोकधाम व नियंत्रण कानून 2017 के विभिन्न प्रावधानों से अवगत कराने के उद्देश्य एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन गुरुवार को किया गया। जिला एड्स बचाव व नियंत्रण इकाई के सौजन्य से आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम की अध्यक्षता सिविल सर्जन डॉ एमपी गुप्ता ने की। प्रशिक्षण कार्यक्रम में बीएसएसीएस के उपनिदेशक सरीता कुमारी, स्टेट टीसीयू अरिंदम चटर्जी, डीपीएम एड्स अखिलेश कुमार सिंह, सदर व अनुमंडल अस्पताल के अधीक्षक, सभी एमओआईसी, विभिन्न अस्पतालों में संचालित प्रसव वार्ड की एएनएम व जीएनएम सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मियों ने भाग लिया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में एचआईवी एक्ट 2017 पर विस्तृत चर्चा की गयी। एचआईवी संक्रमित मरीजों के साथ किसी भी तरह के भेदभाव को रोकने, इसके लिये उपलब्ध कानूनी प्रावधान सहित उनके अधिकारों के संरक्षण के लिये संभावित उपायों पर विस्तृत चर्चा की गयी।
एचआईवी मरीजों के प्रति लोगों के व्यवहार में सुधार लाना एक्ट का उद्देश्य: सिविल सर्जन
प्रशिक्षण कार्यक्रम में सिविल सर्जन डॉ एमपी गुप्ता ने कहा कि एचआईवी एक्ट 2017 बिहार के गजट में अधिसूचित किया जा चुका है। अधिनियम का उद्देश्य एचआईवी मरीजों के प्रति लोगों के व्यवहार में सुधार लाना है। न कि दंडित करना। एचआईवी के साथ जी रहे लोगों के प्रति समाज में एक सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करना एक्ट का मूल उद्देश्य है। एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक वैसे स्वास्थ्य संगठन जहां 20 से अधिक कर्मी कार्यरत हों और वैसे संस्थान जहां 100 से अधिक कर्मी कार्यरत हों। उन स्थानों पर शिकायत निवारण पदाधिकारी नियुक्त किया जाना अनिवार्य होगा। जो भेदभाव सहित एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों की अन्य शिकायतों के निवारण के लिये जिम्मेदार होंगे। संक्रमित व्यक्ति इससे जुड़ी किसी भी तरह की शिकायत राज्य स्तर लोकपाल से कर सकेंगे। लोकपाल इन शिकायतों की जांच करेंगे। शिकायत सही पाये जाने पर इसे एक्ट का उल्लंघन मानते हुए जुर्माना, लोकपाल के आदेश के अनुपालन नहीं करने पर जुर्माना, कानूनी कार्रवाई के गोपनीयता भंग करने पर जुर्माना सहित संक्रमित व्यक्ति के उत्पीड़न के निषेध के लिये जरूरी कदम उठाने का प्रावधान इस एक्ट में किया गया है।
संक्रमितों के अधिकारों के संरक्षण के लिहाज से कानून महत्वपूर्ण: डीपीएम एड्स
स्वास्थ्य अधिकारियों को एचआईवी एक्ट से संबंधित विस्तृत जानकारी देते हुए डीपीएम एड्स अखिलेश कुमार सिंह ने कहा एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों के प्रति समाज में लोगों के नजरिये में बदलाव लाना इसका मुख्य उद्देश्य है। इससे समाज में संक्रमितों के प्रति भेदभाव व उसे कलंक समझने की मानसिकता में तब्दीली आयेगी। संक्रमितों के लिये बेहतर सकारात्मक माहौल का निर्माण किया जा सकेगा। इससे एचआईवी संबंधी सेवाओं की पहुंच बढ़ेगी। संक्रमितों के अधिकारों को सुरक्षित रखा जा सकेगा। एआरटी की सुविधा बनाये रखते हुए स्वास्थ्य देखभाल के लिये सुरक्षित कार्य स्थल को बढ़ावा देना व शिकायत निवारण प्रक्रिया को सुदृढ़़ बनाने में यह एक्ट मददगार साबित होगा। इससे एचआईवी संक्रमित व्यक्ति भी समाज में आम नागरिकों के लिये उपलब्ध सामान्य अधिकारों का उपयोग करते हुए अपने लिये असीम संभावनाओं की तलाश में सक्षम हो सकेंगे।
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