*वाराणसी के सम्पूर्णान स्टेडियम में 20 खेलों के खिलाड़ी करते हैं अभ्यास, कोच सिर्फ एक के, कैसे होगी अंतरराष्ट्रीय स्तर की तैयारी*
*श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी*
*वाराणसी* / सरकार खेल को बढ़ावा देने के लिए तरह-तरह की घोषणाएं और प्रयास कर रही हैं। हॉकी, क्रिकेट, कुश्ती, एथलेटिक्स जैसे खेलों के अलावा बनारस में विदेशी खेल नेटबाल, फिस्टबाल, पिंचक सिलाट, कुंगफू भी खिलाड़ियों के लिए विकल्प के रूप में उभरे हैं। वाराणसी के सम्पूर्णानन्द स्पोर्ट्स स्टेडियम में 20 खेलों के खिलाड़ी अभ्यास करने सुबह-शाम पहुंचते हैं, लेकिन कोच सिर्फ फुटबाल के ही हैं। बाकी खेलों के कोच का कुछ पता नहीं है। अब ऐसे में कैसे खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर की तैयारी कर सकेगा।
टोक्यो ओलंपिक में 45 साल बाद पुरुष हॉकी टीम ने मेडल जीता, लेकिन हकीकत में स्टेडियम में अभ्यास करने आने वाले खिलड़ियों को बिना हॉकी कोच के ही प्रैक्टिस करनी पड़ रही है। राष्ट्रीय हॉकी प्लेयर दिलशाद खान ने बताया कि लगभग 3 साल से यहां हॉकी के कोच नहीं हैं। यहां स्टेडियम में मार्किंग और गोल पोस्ट तक नहीं है, ना ही बच्चों के लिए इक्वीपमेंट्स हैं।
स्पोर्ट्स स्टेडियम के आरएसओ आरपी सिंह ने बताया कि कोरोना काल के बाद सरकार की मंशा के अनुरूप मैदान को खिलाड़ियों के लिए खोल दिया गया है। उन्होंने बताया कि यहां इस समय पूर्णकालिक दो कोच एक हॉकी और एक फुटबाल के हैं। हॉकी कोच बड़ा लालपुर एस्ट्रो टर्फ पर कोचिंग दे रहे हैं और यहां स्टेडियम में सिर्फ फुटबाल के ही कोच हैं, जो फुटबाल की कोचिंग दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि यहां 6 अंशकालिक कोच की नियुक्ति शासन ने की थी, पर किसी कारणवश उन्होंने ज्वाइन नहीं किया। हम प्रयासरत हैं कि यहां जल्द है सभी खेलों के लिए कोच मुहैया करवाए जा सकें।
सिगरा स्थित सम्पूर्णानंद स्टेडियम में हॉकी, बैडमिंटन, बॉक्सिंग समेत कई खेल के खिलाड़ी अभ्यास करने सुबह-शाम पहुंचते हैं। वाराणसी के सबसे समृद्ध स्टेडियम का हाल ये है कि यहां बस फुटबॉल का एक ही स्थायी कोच है। वहीं, अन्य खेलों के लिए खिलाड़ियों को या तो सीनियर खिलाड़ियों के अनुभव से सीखना पड़ता है या खुद से संघर्ष करना पड़ता है।