Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
ओलिंपिक ने इस बार इतना प्रभाव पैदा किया कि हर परिवार में खेल की चर्चा शुरू हुई-प्रधानमंत्री. - श्रीनारद मीडिया

ओलिंपिक ने इस बार इतना प्रभाव पैदा किया कि हर परिवार में खेल की चर्चा शुरू हुई-प्रधानमंत्री.

ओलिंपिक ने इस बार इतना प्रभाव पैदा किया कि हर परिवार में खेल की चर्चा शुरू हुई-प्रधानमंत्री.

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

 नया नारा- सब खेलें, सब खिलें.

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात प्रोग्राम के जरिए देश को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने खेल दिवस (29 अगस्त), खेलों और खासकर हॉकी का जिक्र करते हुए मेजर ध्यानचंद को याद किया और एक नया नारा दिया- सब खेलें, सब खिलें। मोदी ने कहा कि ओलिंपिक ने इस बार प्रभाव पैदा किया है और हर परिवार में खेल की चर्चा शुरू हुई है। साथ ही कहा कि हुनरमंद लोग आज के विश्वकर्मा हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज मेजर ध्यानचंद की जयंती है। मैं सोच रहा था कि ध्यानचंद जी की आत्मा जहां होगी प्रसन्न होगी। दुनिया में भारत की हॉकी का डंका बजाने का काम ध्यानचंद की हॉकी ने किया था। 4 दशक बाद भारत के बेटे और बेटियों ने हॉकी में जान भर दी। कितने ही मेडल मिल जाएं, हॉकी का मेडल मिलने के बाद ही भारतीय आनंद लेता है। इस बार पदक मिला। ध्यानचंद जी का जीवन खेल को समर्पित था, उनकी आत्मा प्रसन्न होगी।

मोदी ने कहा है कि आज का युवा अलग करना चाहता है। वो बने बनाए रास्ते पर नहीं चलना चाहता है, नए रास्तों पर चलना चाहता है। उसकी मंजिल, राह और चाह नई है। कुछ समय पहले ही भारत ने अपने स्पेस सेक्टर को ओपन किया और युवा पीढ़ी ने उस मौके को पकड़ लिया। नौजवान आगे गए और मुझे भरोसा है कि आने वाले दिनों में बहुत बड़ी संख्या ऐसे सैटेलाइट की होगी, जिन पर कॉलेज और यूनिवर्सिटी की लैब में युवाओं ने काम किया होगा।

युवा मन अब सर्वश्रेष्ठ की तरफ केंद्रित कर रहा
मोदी ने कहा कि आज छोटे शहरों में स्टार्टअप कल्चर का विस्तार हो रहा है। युवा रिस्क लेना चाहता है। युवाओं ने दुनिया में भारत के खिलौने की पहचान बनाने की ठान ली। आज हमारे देश का युवा उस पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। एक बात मन को खुशियों से भरती है, विश्वास को मजबूत करती है। आमतौर पर स्वभाव बन चुका था कि चलता है। युवा मन अब सर्वश्रेष्ठ की तरफ केंद्रित कर रहा है, वो सर्वोत्तम करना चाहता है।

हर परिवार में खेलों की चर्चा शुरू हुई है
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार ओलिंपिक ने प्रभाव पैदा किया। अभी पैरालिंपिक्स चल रहा है। जो हुआ वो विश्वास पैदा करने के लिए बहुत है। युवा ईकोसिस्टम को देख रहा है, समझ रहा है, परंपरागत चीजों से निकल रहा है। हर परिवार में खेल की चर्चा शुरू हुई है। इसे रुकने नहीं देना चाहिए। अब देश में खेल, खेल भावना रुकनी नहीं है। इसे पारिवारिक, सामाजिक, राष्ट्र जीवन में स्थाई करना है और निरंतर नई ऊर्जा से भरना है। गांव, शहर में खेल के मैदान भरे होने चाहिए। सबके प्रयास से ही भारत खेलों में वो ऊंचाई हासिल करेगा जिसका वो हकदार है। मेजर ध्यानचंद जी ने जो राह दिखाई है, उसमें आगे बढ़ना हमारी जिम्मेदारी है। खेलों के प्रति परिवार, समाज और राष्ट्र जुट रहा है।

मोदी ने कहा कि कल जन्माष्टमी का महापर्व है। कृष्ण के जन्म का पर्व। नटखट कन्हैया से लेकर विराट रूप तक, शास्त्र से शस्त्र सामर्थ्य वाले कृष्ण को हम जानते हैं। इस महीने की 20 तारीख को सोमनाथ मंदिर से जुड़े कामों का लोकार्पण किया गया। इसके पास एक तीर्थ है, जहां कृष्ण ने अपने जीवन का अंतिम समय बिताया। मेरे आवास के बाहर कोई एक किताब छोड़कर गया था, जिसमें कृष्ण की अभूतपूर्व तस्वीरें थीं। मैंने इस किताब को देने वाले से मिलने का मन किया। मेरी मुलाकात अमेरिकी जेदुरानी दासी से हुई जो इस्कॉन से जुड़ी हैं। सवाल ये था कि जिनका जन्म अमेरिका में हुआ, जो भारतीय भावों से इतना दूर रहीं वो कृष्ण के इतने मोहक चित्र कैसे बना लेती है।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ‘जदुरानी जी से मैंने पूछा आपके लिए भारत क्या मायने रखता है। उन्होंने कहा- भारत मेरे लिए सब कुछ है। मैंने कुछ दिन पहले राष्ट्रपति से कहा था कि भारत तकनीक में आगे बढ़ रहा है, भारत का ये गौरव नहीं है। इसका गौरव ये है कि कृष्ण यहां हुए, शिव और राम हुए। सभी पवित्र नदियां यहां हैं, वैष्णव संस्कृति यहां है, वृंदावन यहां है और इसलिए मुझे भारत से प्यार है।’

देश के अध्यात्म को आगे ले जाना है
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया के लोग भारत के आध्यात्म से इतना जुड़े हैं तो हमें भी इसे आगे ले जाना है। हम पर्व मनाएं और उसकी वैज्ञानकिता, संदेश और संस्कार को समझें। हम इसे जिएं और आने वाली पीढ़ियों के लिए इस विरासत को बढ़ाएं।

इंदौर स्वच्छता में पहले नंबर पर, फिर भी वहां के लोगों में नया करने की ललक
मोदी ने कहा कि कोरोना काल में स्वच्छता के अभियान को कम नहीं होने देना है। स्वच्छ भारत अभियान में इंदौर का नाम आता है। उसने विशेष पहचान बनाई है। इंदौर कई सालों से स्वच्छ भारत रैंकिंग में पहले नंबर पर है। इंदौर के लोग इससे संतुष्ट नहीं हैं, कुछ नया करना चाहते हैं। उन्होंने अपनी नालियों को सीवर लाइन से जोड़ा है। इससे नदियों में गिरने वाला गंदा पानी कम हुआ है। जितने ज्यादा शहर वाटर प्लस होंगे, उतना ही नदियां स्वच्छ होंगी, पानी होगा और पानी बचाने का संस्कार होगा।

नई पीढ़ी को विरासत सौंपना हमारा कर्तव्य
मोदी ने संस्कृत पर जोर देते हुए कहा कि आयरलैंड के एडवर्ड संस्कृत के शिक्षक हैं और बच्चों को संस्कृत पढ़ाते हैं, डॉक्टर चिरापद और डॉक्टर सुषमा थाईलैंड में संस्कृत भाषा का प्रचार कर रहे हैं। रशिया में श्रीमान बोरिस मॉस्को में संस्कृत पढ़ाते हैं और कई किताबों का अनुवाद किया है। सिडनी संस्कृत स्कूल में बच्चों को संस्कृत पढ़ाई जाती है। इन प्रयासों से संस्कृत को लेकर जागरूकता आई है। नई पीढ़ी को विरासत सौंपना हमारा कर्तव्य है और भा‌वी पीढ़ियों का ये हक भी है।

स्किल का महत्व समझें, स्किल्ड लोगों को सम्मान दें
मोदी ने कहा कि विश्वकर्मा जयंती आने वाली है, उन्हें सृजन शक्ति का प्रतीक माना गया है। जिस देश में स्किल मैनपावर को विश्वकर्मा के साथ जोड़ा गया हो, वहां स्थितियां कैसे बदल गईं। हुनर पर आधारित कामों को छोटा समझा जाने लगा। विश्वकर्मा की पूजा सिर्फ औपचारिकता से पूरी नहीं होगी। हुनरमंद का सम्मान करना होगा, उस पर गर्व करना होगा। अगर ऐसा सृजित करें, जिससे समाज का कल्याण हो तो ये पूजा सम्पन्न होगी। इस बार विश्वकर्मा की पूजा पर आस्था के साथ संदेश भी अपनाएं। स्किल के महत्व को समझेंगे, स्किल्ड लोगों को सम्मान देंगे।

प्रधानमंत्री ने आखिर में कोरोना महामारी से बचाव का उपाय याद दिलाते हुए कहा- याद रखना है दवाई भी कड़ाई भी। 62 करोड़ से ज्यादा दवा की डोज दी जा चुकी हैं, पर सावधानी बरतनी है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!