विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग सत्ता संघर्ष का अखाड़ा- सुधीश पचौरी.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
यह माना जाता है कि हिंदी का ठाठ तो काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग से आरंभ होता है। वहां जब हिंदी विभाग कि स्थापना हुई तो मदन मोहन मालवीय जी रामचंद्र शुक्ल को विभाग में लेकर आए। शुक्ल जी ने जो काम किया वही अबतक हिंदी अध्यापन का आधार बना हुआ है। उस समय के हिंदी के प्रोफेसर ज्ञान को साथ लेकर चलते थे, उनका ज्ञान दीप्त होता था। पद न भी होता तो भी वो चमकते थे। यह स्थिति लंबे समय तक चली लेकिन बाद के दिनों में गुणवत्ता में एक विचलन देखने को मिलता है।
हजारी प्रसाद द्विवेदी के समय से ही हिंदी विभागों में ये विचलन देखने को मिलता है जब उनको काशी छोड़कर शांति निकेतन जाना पड़ा था। अब तो ये विचलन और बढ़ गया है और हिंदी विभाग सत्ता संघर्ष का अखाड़ा बन गए है। वहां अब सत्य का अनुसंधान नहीं होता बल्कि सत्ता का अनुष्ठान होता है। ये बातें हिंदी के आलोचक और दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति सुधीश पचौरी ने ‘हिंदी हैं हम’ के हिंदी उत्सव के दौरान कही। उनका मानना है कि 1991 के बाद जब देश में उदारीकरण और निजीकरण का दौर आया तो उससे हिंदी के क्षितिज को विस्तार मिला। उन्होंने इस बात को नकारा कि निजी विश्वविद्यालयों की वजह से हिंदी को नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि निजी निवेशक कभी भी गुणवत्ता से समझौता नहीं करता।
बहुधा ये बात कही जाती है कि भाषा बहता नीर है, हिंदी के साथ भी यही हुआ है। इसका आधार संस्कृत है लेकिन इसने उर्दू के शब्दों को भी लिया पर नुक्ता को हटाकर लिया। उर्दू में जो फारसी के गुण थे उसको नहीं अपनाया। इसके उलट उर्दू ने हिंदी को नहीं अपानया तो सिमट गई। सुधीश पचौरी के मुताबिक हिंदी मीडिया लगातार भाषा के स्तर पर प्रयोग कर रही है और नए नए शब्द गढ़ रही है।
आम जनता भी अपनी जरूरतों के हिसाब से नई भाषा बनाती चलती है। अनुवाद में मशीन के प्रयोग को लेकर सुधीश पचौरी चिंतित नहीं दिखे बल्कि इस बात पर आश्वस्त थे कि नए शब्द तो रचनाकार ही प्रयोग करेगा। अलंकार, छंद, विचार किसी मशीन के अनुवाद से नहीं आ सकता है। पुराने कवियों ने जिन उपमानों का प्रयोग किया उसको पढ़कर हम नए प्रयोग करते हैं। मशीन ये नहीं कर सकता।
सुधीश पचौरी से बातचीत की भिलाई के कल्याण स्तानकोत्तर महाविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष सुधीर शर्मा ने। आपको बताते चलें कि अपनी भाषा को समृद्ध और मजबूत करने के लिए दैनिक जागरण का उपक्रम ‘हिंदी हैं हम’ के अंतर्गत हिंदी दिवस के मौके पर एक पखवाड़े का हिंदी उत्सव मनाया जा रहा है। इस उत्सव में शुक्रवार को ‘हिंदी हैं हम’ के फेसबुक पेज पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति और भारतीय भाषाएं विषय पर बात होगी शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के अतुल कोठारी से जिनसे संवाद करेंगे पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी
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