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हर चौथा बच्चा है कुपोषण का शिकार,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

विकास के तमाम दावों के बावजूद देश अभी भी गरीबी और भुखमरी जैसी समस्याओं से बाहर नहीं निकल सका है। एक तरफ तो हम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े खाद्यान्न उत्पादक देश हैं, लेकिन दूसरी तरफ कुपोषण के आंकड़े सोचने के लिए मजबूर करते हैं। यही वजह है कि देश में हर साल एक से सात सितंबर तक राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य कुपोषण को लेकर लोगों को जागरूक करना है।

विश्व में करीब 69 करोड़ लोग कुपोषित

गौरतलब है कि भारत लंबे समय से विश्व में सर्वाधिक कुपोषित बच्चों का देश बना हुआ है। यहां हर चौथा बच्चा कुपोषण का शिकार है। वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक, 107 देशों में से केवल 13 देश ही कुपोषण के मामले में भारत से खराब स्थिति में हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व में करीब 69 करोड़ लोग कुपोषित हैं। वहीं भारत की 14 प्रतिशत आबादी अल्पपोषित है।

हर दूसरी महिला खून की कमी का शिकार

हालांकि, देश में बाल मृत्यु दर में सुधार हुआ है, जो अब 3.7 प्रतिशत है, परंतु यह दर भी अन्य देशों की तुलना में बहुत अधिक है। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक देश में हर दूसरी महिला खून की कमी का शिकार है। हर तीसरा बच्चा छोटे कद का है। प्रश्न है कि आजादी के 74 वर्षों के बाद भी भारत से कुपोषण जैसी समस्या को समाप्त क्यों नहीं किया जा सका है? जबकि आजादी के बाद से देश में खाद्यान्न के उत्पादन में पांच गुना वृद्धि हुई है। यदि बच्चे कुपोषित पैदा हो रहे हैं तो एक निष्कर्ष यह भी है कि उनकी माताओं का स्वास्थ्य ठीक नहीं है।

गरीबी, अशिक्षा और अज्ञानता के चलते गर्भावस्था के दौरान जरूरी खानपान न मिल पाना कुपोषण की एक श्रृंखला को जन्म देता है।

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2030 तक गरीबी को समाप्त करने के लक्ष्य

इससे स्पष्ट है कि पोषण की स्थिति में सुधार की दिशा में किए जा रहे प्रयासों में संरचनात्मक बदलाव की

आवश्यकता है। ऐसा करके ही 2022 तक कुपोषण मुक्त भारत एवं 2030 तक गरीबी को समाप्त करने के लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा। इसके लिए कुपोषित परिवारों की पहचान कर उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए। इसके लिए भारत में पोषण कार्यक्रमों को एक जन आंदोलन में बदलना होगा, जिसमें सबकी भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए। इसके लिए स्थानीय निकायों, सामाजिक संगठनों, सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के प्रतिनिधियों की व्यापक स्तर पर भागीदारी भी सुनिश्चित की जानी चाहिए।

भारत को महाशक्ति बनने के लिए…!

समय-समय पर कुपोषण संबंधी डाटा का मूल्यांकन, उसे कम करने के प्रयासों की समीक्षा एवं जिम्मेदार व्यक्तियों की जवाबदेही भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। भारत को महाशक्ति बनने के लिए कुपोषण को जड़ से खत्म करना होगा। आगामी पीढ़ियों को कुपोषण और उसके चलते होने वाली बीमारियों से बचाकर ही नए भारत के निर्माण की नींव रखी जा सकती है।

 

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