तीसरी लहर लाएगा कोरोना का नया वैरिएंट ‘म्यू’ ? वैक्सीन भी इसपर बेअसर.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
कोरोना संक्रमण का खतरा भारत में एक बार फिर बढ़ता नजर आ रहा है. पिछले कुछ दिनों से संक्रमण के मामले 40 हजार के पार आ रहे हैं. इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना वायरस के नये वैरिएंट ‘म्यू’ पर चिंता जताई है. संगठन का कहना है कि यह कई म्यूटेशन का जोड़ है. वैक्सीन लेने के बाद भी आप इसकी चपेट में आ सकते हैं. इस वैरिएंट की बात करें तो यह जनवरी, 2021 में पहली बार कोलंबिया में मिला था जिसका वैज्ञानिक नाम बी.1621 है.
डब्ल्यूएचओ ने महामारी पर अपने साप्ताहिक बुलेटिन में कहा कि ‘म्यू’ को ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ के रूप में वर्गीकृत करने का काम किया गया है. यह वैरिएंट कई म्यूटेशन का जोड़ है, जो वैक्सीन से बनी प्रतिरक्षा से बचने में कारगर है. यानी इसके म्यूटेशन कोरोना के खिलाफ वैक्सीन लगवाने के बाद भी शरीर को संक्रमित कर सकते हैं. यह वैरिएंट अपना रूप बदल रहा है. इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए रिसर्च करने की जरूरत है.
यहां राहत की बात यह है कि चिंताजनक बताया जा रहा कोरोना का म्यू वैरिएंट अब तक भारत में नहीं पाया गया है. इसके अलावा एक और म्यूटेशन सी.1.2 का कोई केस भी भारत में देखने को नहीं मिला है.
तीसरी लहर का खतरा : इधर कोरोना की तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए केंद्र सरकार ने लोगों से वैक्सीन लगवाने और घर पर ही त्योहारों को मनाने की अपील की है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि हमें बड़े पैमाने पर लोगों को जुटने से बचना चाहिए. यदि ऐसा करना जरूरी हो, तो ध्यान रखें कि त्योहार में शामिल होने वाले सभी लोगों का टीकाकरण हो चुका हो. मंत्रालय ने टीकाकरण कराने और कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने की बात कही है. सरकार ने कहा कि टीका लगवाने के बाद भी लोगों को भीड़भाड़ से बचना चाहिए. केंद्र ने कहा कि यह सही है कि साप्ताहिक संक्रमण दर में कमी देखने को मिल रही है, लेकिन अब भी कोरोना की दूसरी लहर हमारे बीच से गयी नहीं है.
ब्रिटेन समेत 10 देशों से आनेवालों का आरटी-पीसीआर टेस्ट जरूरी : कोरोना के नये वैरिएंट सी.1.2 के सामने आने के बाद महाराष्ट्र और कर्नाटक की सरकारें अलर्ट हो गयी हैं. दोनों सरकारों ने राज्य के हवाई अड्डों पर आने वाले विदेशी यात्रियों के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट अनिवार्य कर दिया है, भले ही उनके पास कोविड-19 की निगेटिव रिपोर्ट हो. बीएमसी ने कहा है कि तीन सितंबर से आने वाले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट अनिवार्य होगा.
देश में कोरोना संक्रमण के मामले एक बार फिर बढ़ रहे हैं जिसने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. पिछले 24 घंटे की बात करें तो इस दौरान कोरोना के 47,092 नये मामले आने के बाद संक्रमण की चपेट में अब तक आये लोगों की संख्या बढ़कर 3,28,57,937 हो गई है. वहीं, इलाज करा रहे मरीजों की संख्या बढ़कर अब 3,89,583 हो गई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से गुरुवार सुबह यह जानकारी दी गई. मंत्रालय के अनुसार, संक्रमण से 509 और लोगों की मौत के बाद मृतक संख्या बढ़कर 4,39,529 हो गई.
इस बीच कोरोना महामारी के मामले पिछले दिनों कम होने के बाद करीब डेढ़ साल बाद देश में स्कूल खुलना शुरू हुए थे. स्कूल खुलने का सिलसिला अब भी जारी है. लेकिन 12 राज्यों में स्कूल खुलने के बाद से बच्चों में कोरोना की संक्रमण दर भी बढ़ती नजर आ रही है. छह राज्य ऐसे हैं जहां संक्रमित बच्चों की संख्या में एक फीसदी से भी अधिक बढ़ोतरी रिकॉर्ड की गई है. बढ़ते कोरोना मामले से स्वास्थ्य मंत्रालय चिंतित है. मंत्रालय की ओर से राज्यों को एक बार फिर सख्त कोविड नियमों का पालन करने के लिए निर्देश जारी करने का काम किया गया है.
बीते दो महीने की तुलना की जाए तो यह बात सामने आती है कि 17 वर्ष तक की आयु के बच्चों में कुछ स्थानों पर संक्रमण दर में बढ़ोतरी हुई है. पंजाब, बिहार, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड में यह बढ़ोतरी एक फीसदी से ज्यादा है. वहीं महाराष्ट्र सहित कुछ राज्यों में संक्रमण दर कम भी हुई है. इन राज्यों में स्कूल खोलने से फिलहाल कोई असर नहीं नजर आ रहा है.
इधर कोरोना का असर वयस्कों की भांति बच्चों को भी होता है. आगामी तीसरी लहर और बच्चों को लेकर कई तरह की खबरें आ रहीं थीं लेकिन विशेषज्ञों ने इन्हें बेबुनियाद बताया था. विशेषज्ञों का कहना है कि मासूम बच्चों में कोरोना का खतरा कम है क्योंकि इनकी प्रतिरक्षा प्रणाली बहुत मजबूत होती है. इसलिए स्कूल खोले जाने की सलाह देने का काम किया गया था. मेदांता अस्पताल के प्रमुख डॉ. नरेश त्रेहान सहित कुछ विशेषज्ञों की मानें तो स्कूलों को शुरू करने के मामले में फिलहाल इंतजार करना चाहिए क्योंकि अभी तक देश में बच्चों का कोरोना वैक्सीन शुरू भी नहीं हुआ है.
इन सबके बीच एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि भारत में सभी बच्चों को वैक्सीन देने में नौ महीने तक का वक्त लगेगा, ऐसे में लंबे समय तक बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना सही नहीं है. बच्चों के विकास के लिए स्कूल खुलना जरूरी है. उन जगहों पर स्कूल खुल सकते हैं जहां पर कोरोना के मामले कम पाये जा रहे हैं. सभी बच्चों के पास ऑनलाइन पढ़ने की सुविधा उपलब्ध नहीं होती और ना ही वह माहौल रहता है, ऐसे में स्कूल खोलना बहुत ही जरूरी है.