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पोषण माह: गर्भवती महिलाओं को चुनरी ओढ़ाकर और टीका लगाकर गोद भराई की रस्म की गई

पोषण माह: गर्भवती महिलाओं को चुनरी ओढ़ाकर और टीका लगाकर गोद भराई की रस्म की गई

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जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में मनाई गई गोदभराई की रस्म:
प्रत्येक महीने के 7 तारीख को आंगनबाड़ी केन्द्रों पर गर्भवती महिलाओं की गोदभराई करायी जाती:
गर्भवती महिला को उपहार के रूप में पोषण की पोटली दी गई है
स्वस्थ माँ ही स्वस्थ बच्चे को दे सकती है जन्म:
गर्भस्थ शिशु की बेहतर स्वास्थ्य की दी गई जानकारी:
कुपोषण के खिलाफ जारी लड़ाई की मजबूती के लिये लोगों को जागरूक करने का हो रहा प्रयास:

श्रीनारद मीडिया, किशनगंज, (बिहार):

 

जिले में संचालित पोषण माह अभियान के दौरान विभिन्न स्तरों पर उचित पोषण संबंधी आदतों को लेकर लोगों को जागरूक व प्रेरित करने का काम किया जा रहा है। अभियान के दौरान पूरे सितंबर माह में आंगनबाड़ी केंद्र से लेकर परियोजना कार्यालय सहित विभिन्न गांव व पंचायतों में लोगों को पोषण संबंधी जरूरी जानकारी देने के लिये रैली, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, नुक्कड़ नाटक, संगोष्ठी सहित अन्य गतिविधियों का आयोजन किया जाना है। इसी क्रम में मंगलवार को जिले के सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों पर सेविका एवं सहायिका के द्वारा स्थानीय गर्भवती महिलाओं की गोद भराई की रस्म पूरी की गई। सात से नौ महीने की गर्भवती महिलाओं की गोदभराई की गयी। गर्भवती महिलाओं को गर्भधारण के आखिरी महीनों में उन्हें सुपोषित करने एवं इस दौरान बेहतर पोषण की जरूरत पर जानकारी देने के लिए जिले में प्रत्येक महीने के 7 तारीख को आंगनवाड़ी केन्द्रों पर गर्भवती महिलाओं की गोदभराई करायी जा रही है।

गर्भवती महिला को उपहार के रूप में पोषण की दी गई पोटली: मंजूर आलम
मंगल गीतों से कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया और गर्भवती महिला को उपहार के रूप में पोषण की पोटली दी गई है। जिसमें गुड़, चना, हरी पत्तेदार सब्जियां, आयरन की गोली, पोषाहार व फल आदि शामिल थे। महिलाओं को उपहार स्वरुप पोषण की थाली भेंट की गयी, जिसमें सतरंगी व अनेक प्रकार के पौष्टिक भोज्य पदार्थ शामिल थे। गर्भवती महिलाओं को चुनरी ओढ़ाकर और टीका लगाकर महिलाओं की गोद भराई की रस्म पूरी की गई। सभी महिलाओं को अच्छी सेहत के लिए पोषण की आवश्यकता व महत्व के बारे में जानकारी दी गई। जिले के राष्ट्रीय पोषण अभियान के जिला समन्वयक मंजूर आलम ने कहा कि बताया कि गर्भावस्था के आखिरी दिनों में बेहतर पोषण की अधिक जरूरत होती है। बेहतर पोषण के आभाव में महिलाओं में खून की कमी हो जाती है। इससे प्रसव के दौरान जटिलताएं बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि बेहतर पोषण एक स्वस्थ बच्चे के जन्म में सहायक होने के साथ गर्भवती महिलाओं में मातृ मृत्यु दर में कमी भी लाता है।

गर्भस्थ शिशु की बेहतर स्वास्थ्य की दी गई जानकारी: पूजा कुमारी
जिले के राष्ट्रीय पोषण अभियान की जिला परियोजना सहायक पूजा कुमारी ने बताया कि गोद भराई रस्म में पोषक क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं अन्य महिलाओं ने भाग लिया। सेविकाओं द्वारा गर्भवती महिलाओं के सम्मान में उसे चुनरी ओढ़ा उसे तिलक लगा और गर्भस्थ शिशु की बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए गोद में पोषण संबंधी पुष्टाहार फल सेव, संतरा, बेदाना, दूध,अंडा डाल सेवन करने का तरीका बताया गया। साथ ही गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को आयरन की गोली खाने की सलाह दी। गर्भवती महिला कुछ सावधानी और समय से पुष्टाहार का सेवन करें तो बिना किसी अड़चन के स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती हैं।

स्वस्थ माँ ही स्वस्थ बच्चे को दे सकती है जन्म:
आईसीडीएस के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी मंजूर आलम ने कहा कि कहा कि गर्भ के आखिरी महीनों में शरीर को अधिक पोषक तत्वों की जरूरत होती है। इस दौरान आहार में प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट के साथ वसा की भी मात्रा होना जरूरी होता है। इसके लिए समेकित बाल विकास योजना के अंतर्गत आंगनवाडी केन्द्रों में गर्भवती महिलाओं को साप्ताहिक पुष्टाहार भी वितरित किया जाता है। इसके साथ महिलाएं अपने घर में आसानी से उपलब्ध भोज्य पदार्थों के सेवन से भी अपने पोषण का ख्याल आसानी से रख सकती हैं। हरी साग-सब्जी, सतरंगी फल, दाल, सूखे मेवे एवं दूध के सेवन से आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति आसानी से की जा सकती है।

विभिन्न स्तर पर संचालित गतिविधियों का किया जा रहा अनुश्रवण: डीसी
जिला पोषण समन्वयक मंजूर आलम ने अभियान के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि पोषण माह के दौरान जिले के सभी परियोजना कार्यालय व संबंधित अन्य विभागों की मदद से निर्धारित कैलेंडर के मुताबिक उचित पोषण को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। आयोजित गतिविधियों को विभागीय निर्देश के मुताबिक विभाग के जन आंदोलन डैशबोर्ड पर किया जा रहा है। महिला पर्यवेक्षिका, प्रखंड समन्वयक, परियोजना सहायक के द्वारा पोषण अभियान से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। इस क्रम में स्थानीय स्तर पर आसानी से उपलब्ध होने वाले खाद्य पदार्थ के नियमित सेवन के लिये लोगों को प्रेरित व जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है।

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