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सड़क दुर्घटना में मृृत सैनिक का शव आते ही मचा कोहराम

सड़क दुर्घटना में मृत सैनिक का शव आते ही मचा कोहराम

पार्थिव शरीर को सलामी देने पहुंचे दानापुर छावनी के अधिकारी व जवान

दो दिन पूर्व छुट्टी में आया था घर

श्रीनारद मीडिया, एम सावर्ण, भगवानपुर हाट, सीवान (बिहार):

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सीवान जिले के भगवानपुर हाट थाना क्षेत्र के गोइयानार गांव में तब मातम छा गया, जब मंगलवार को सूचना मिली कि दो दिन
पूर्व छुट्टी में घर आया आर्मी का जवान स्व राघव प्रसाद सिंह का पुत्र अखिलेश्वर प्रसाद सिंह महराजगंज से घर लौटने के क्रम में दारौंदा थाना क्षेत्र के भिखाबांध के समीप बाइक दुर्घटना में
शहीद हो गए ।

सैनिक का पार्थिव शरीर दारौंदा पुलिस ने अपने कब्जे में ले पोस्मार्टम कराया । पोस्मार्टम के बाद पार्थिव शरीर को परिजनों ने घर लाया । जहां कोहराम मच गया ।
पति का पार्थिव शरीर से लिपट लिपट कर पत्नी किरण देवी , बूढ़ी मां राम कली कुंवर सहित पूरा
परिवार का रो रो कर बुरा हाल हो गया था ।

दिवंगत सैनिक सिलीगुड़ी में पदस्थापित थे । उन्हें एक मात्र दो वर्ष का पुत्र है । घटना की सूचना पर दानापुर छावनी से नायक सूबेदार जय शंकर
सिंह के नेतृत्व में जवान राहुल कुमार , अजित सरदार , एस एस संजय तथा विष्णु भाई दिवंगत
सैनिक के घर पहुंच पार्थिव शरीर पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा लपेट फूल माला चढ़ा सलामी दी ।

थाना की ओर से ए एस आई बली राय ने पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि दी ।
स्थानीय बबन तिवारी , लाल बाबू साह , डॉ सुगेन प्रसाद , शत्रुघ्न राय , डॉ मदन राय , डॉ सुरेन्द्र
सिंह ने बताया कि दिवंगत अखिलेश्वर प्रसाद सिंह काफी मिलनसार स्वभाव के व्यक्ति थे । शादी
के 20 वर्ष बाद उन्हें एक पुत्र पैदा हुआ । जिसकी उम्र मात्र दो वर्ष की है । पिता के पार्थिव शरीर
पर लिपटा तिरंगा झंडा को सुनी आंखो से मासूम पुत्र कान्हा देख रहा था था । सैनिक का पार्थिव शरीर को दो वर्षीय इकलौता पुत्र ने मुखाग्नि दी । जिसे गांव में ही उनके पैतृक भूमि पर
पंच तत्व में विलीन कर दिया गया ।

अब किसका होगा सहारा

श्रीनारद मीडिया, एम सावर्ण, भगवानपुर हाट, सीवान (बिहार):


अब किसका होगा सहारा । बेटा को कौन पढ़ाएगा । हे भगवान किस गलती की सजा दी है ।
अब किसके लिए रखूंगी तीज का ब्रत । यह बात सैनिक पति के पार्थिव शरीर से लिपट लिपट कर रोती हुई पत्नी किरण देवी कहते सुनी जा रही थी । किरण देवी कभी पति के पार्थिव शरीर
से लिपट बेहोश हो जा रही थी तो कभी मासूम पुत्र कान्हा को गोद में ले निहारते निहारते सुध
खो दे रही थी । पड़ोस की महिलाएं किरण देवी तथा बूढ़ी मां राम कली कुंवर को संभालने में जुटे
हुए थे । भाई पिंटू सिंह ने बताया कि अभी अभी एक प्रमोसन मिला था । चार साल और सेवा
विस्तार हुआ था ।

 

 

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