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दाखिल-खारिज या म्यूटेशन का मतलब मालिकाना हक नहीं-सुप्रीम कोर्ट.

दाखिल-खारिज या म्यूटेशन का मतलब मालिकाना हक नहीं-सुप्रीम कोर्ट.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सुप्रीम कोर्ट ने संपत्ति के मालिकाना हक को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि रेवेन्यू रिकार्ड में संपत्ति के दाखिल-खारिज (Mutation of Property) से ना तो संपत्ति का मालिकाना हक मिल जाता है और ना ही समाप्त होता है। संपत्ति का मालिकाना हक सिर्फ एक सक्षम सिविल कोर्ट द्वारा ही तय किया जा सकता है। रेवेन्यू रिकार्ड में दाखिल-खारिज सिर्फ वित्तीय उद्देश्य के लिए है।

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि रेवेन्यू रिकार्ड में सिर्फ एक एंट्री से उस व्यक्ति को संपत्ति का नहीं मिल जाता है जिसका नाम रिकार्ड में दर्ज हो। कोर्ट ने कहा कि कानून के तय प्रस्ताव के मुताबिक, दाखिल-खारिज से जुड़ी एंट्री व्यक्ति के पक्ष में कोई अधिकार, टाइटल या उसके हित में कोई फैसला नहीं करती है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि रेवेन्यू रिकार्ड में दाखिल-खारिज केवल वित्तीय उद्देश्य के लिए हैं।

कोर्ट ने कहा कि यदि संपत्ति के मालिकाना हक के संबंध में कोई विवाद है या विशेष रूप से जब वसीयत के आधार पर दाखिल-खारिज की मांग की जाती है, तो जो पार्टी अधिकार का दावा कर रही है उसे वसीयत को लेकर उपयुक्त सिविल कोर्ट का रुख करना होगा। वहीं अपने अधिकारों को तय करना होगा। उसके बाद ही सिविल कोर्ट के समक्ष निर्णय के आधार पर आवश्यक दाखिल- खारिज की एंट्री की जा सकती है।

यह आदेश मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के एक आदेश को बरकरार रखते हुए आया है, जिसमें रीवा संभाग के अतिरिक्त आयुक्त द्वारा पारित आदेश को रद कर दिया गया था, जिसमें रेवेन्यू रिकार्ड में एक व्यक्ति के नाम को बदलने का निर्देश दिया गया था।

सामान्य बोलचाल में कहा जाये तो दाखिल ख़ारिज या Mutation राजस्व रिकॉर्ड में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को किसी संपत्ति का हस्तांतरण करने की प्रक्रिया कहते है। संपत्ति का Dakhil Kharij कराना बहुत जरूरी होता है क्योंकि इसके बाद ही कानूनी रूप से जमीन का क्रेता उस जमीन का मालिक बनता है। दाखिल ख़ारिज के बाद ही किसी संपत्ति के मालिक के रूप में किसी व्यक्ति का नाम रिकॉर्ड में आता है।

Dakhil Kharij (दाखिल ख़ारिज) को शब्दशः समझे तो दाखिल अर्थात दर्ज करना तथा ख़ारिज अर्थात निरस्त करना अर्थात किसी संपत्ति से विक्रेता के नाम को निरस्त कर क्रेता के नाम को दर्ज करने की प्रक्रिया को दाखिल ख़ारिज कहते है।

Dakhil Kharij (दाखिल ख़ारिज) करने के लिए अपने अंचल में अथवा तहशील में आवेदन करना होता है। आवेदन में जमीन विक्रेता तथा क्रेता का नाम तथा पूरा पता साथ में जमीन की सभी जानकारी जैसे – जमीन का रकवा, लोकेशन आदि लिखनी होती है। आवेदन के साथ में कुछ दस्तावेज को भी लगाना जरूरी होता है। जैसे – Sale Deed अथवा वसीयत की कॉपी, ट्रांसफर ड्यूटी फी, एफिडेविट आदि।

दाखिल ख़ारिज के लिए आवेदन देने के बाद अंचल अथवा तहशील द्वारा एक नोटिस निकला जाता है जिसमे लिखा होता है की यदि किसी को उस प्रॉपर्टी/जमीन के ऊपर किसी को आपत्ति है तो अंचल या तहशील में शिकायत कर सकता है। उस जमीन पर किसी प्रकार का विवाद होने पर या किसी के द्वारा आपत्ति दर्ज करने पर उसके समाधान तक दाखिल ख़ारिज को रोक दिया जाता है और यदि कोई आपत्ति नहीं आती है तो दाखिल ख़ारिज की प्रक्रिया पूरी कर दी जाती है।

दाखिल ख़ारिज कराना क्यों आवश्यक है

Mutation कराना अर्थात किसी जमीन को अपने नाम दर्ज करने से है तो यदि दाखिल ख़ारिज नहीं होता है तो उस जमीन पर क्रेता का कोई हक़ नहीं होगा, विक्रेता चाहे तो दुबारा उस जमीन को बेच सकता है, इसलिए जमीन का रजिस्ट्री करने के बाद दाखिल ख़ारिज अवश्य करा लेना चाहिए।

दूसरी ध्यान देने वाली बात यह है की यदि आप किसी जमीन को खरीदते है अर्थात रजिस्ट्री कराते है और दाखिल ख़ारिज नहीं कराते है तो उस जमीन को आप बेच नहीं सकते है अर्थात उस जमीन को तबतक बेच नहीं सकते जबतक की आप दाखिल ख़ारिज नहीं करते, किसी भी जमीन को खरीदने के बाद दाखिल ख़ारिज जरूर कराना चाहिए।

 

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