9/11 के 20 साल: ऐसे रचा ओसामा ने अमेरिका को दहलाने का प्लान.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
11 सितंबर 2001 की वो स्याह तारीख को भला कौन भूल सकता है। जब 20 साल पहले आतंकियों ने इसी दिन सुपर पॉवर मुल्क कहे जाने वाले अमेरिका की बुनियाद हिला कर रख दी थी। उस दिन आतंकवादियों ने अमेरिका का गुरूर कहे जाने वाली इमारत का वजूद ही खत्म कर दिया था। उस दिन अमेरिका को पहली बार ये एहसास हुआ कि आतंकवाद का खात्मा किए बिना वो अपने घर में ही सुरक्षित नहीं है। लेकिन इन इमारतों से कहीं ज्यादा कीमती थी वो जिंदगियां जो इस नरसंहार की भेंट चढ़ीं। आज से 20 साल पहले 11 सितंबर को आतंकियों ने वो कर दिखाया जो किसी के सपने में भी नहीं आया।
ओसामा की खौफनाक साजिश
अमेरिका पर आतंक का ये खौफनाक हमला पांच साल की तैयारियों का नतीजा था। प्लेन को हाइजैक कर उसे अमेरिका के अहम ठिकाने से टकराने का प्लान ओसामा के साथी खालिद शेख के दिमाग की उपज थी। 26 फरवरी 1993 को खालिद के भतीज रमजी युसूफ ने विस्फोटकों से लदी एक कार को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के नॉर्थ टावर के बेसमेंट में प्लांट किया और उसे उड़ा दिया था। इस धमाके में 6 लोग मारे गए थे। उसने ये प्लान ओसामा को चस्पा कर दिया। ओसामा भी कुछ ऐसा करना चाहता था जिसकी गूंज अमेरिका के कानों से कभी न निकल सके।
1996 में ही ओसामा ने अमेरिका को चेतावनी दी थी कि वो सऊदी अरब से अपनी फौज हटा ले, मगर ओसामा की चेतावनी को अमेरिका ने गंभीरता से नहीं लिया। 7 अगस्त 1998 को तंजानिया और किनिया में दो अमेरिकी दूतावासों को धमाकों में उड़ाकर और तीन सौ से ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतारने के बाद भी ओसोमा कुछ बड़ा करने की फिराक में लगा था। 20 अगस्त 1998 को अमेरिका ने अफगानिस्तान में ओसामा को खत्म करने की कोशिश की।
अमेरिका ने अफगानिस्तान के खोस्त में अल क़ायदा के ट्रेनिंग कैंपों पर 66 मिसाइलें दागीं, लेकिन ओसामा बच गया और चोट खाए नाग की तरह अमेरिका पर विष उगलने की ताक में था। साल 1998 की वो सर्द रात में अफगानिस्तान में एक गुप्त बंकर में बैठे ओसामा की आंखों में नींद का नामोनिशान नहीं था। बल्कि अमेरिका को नेस्तोनाबूद करने का एक ख्वाब था। उसके दिल में बदले की आग सुलग रही थी। एक ब्रीफकेश के साथ दो शख्स उस बंकर में दाखिल होते हैं। वो दोनों कोई और नहीं बल्कि खालिद शेख मोहम्मद और मोहम्मद आतिफ था। जिससे मिलकर ओसामा ने दुनिया के सबसे खूंखार फैसले को हकीकत में बदलने वाला था। यानी अमेरिका में सबसे बड़े आतंकवादी हमले का प्लान।
लादेन और आतिफ ने मिलकर हमले के लिए व्हाइट हाउस, अमेरिकी संसद, रक्षा मंत्रालय का हेडक्वार्टर पेंटागन और वर्ल्ड ट्रेड सेंटर चुना था। खालिद मोहम्मद शेख वही शक्स है जिसने 1996 में सुडान में अमेरिकी दूतावास पर हमले का प्लान बनाया था। इस बार अमेरिका में सबसे बड़े आतंकी हमले को अंजाम देने के लिए पैसा मुहैया कराने की जिम्मेदारी उसी पर थी। जबकि मोहम्मद आतिफ को ओसामा ने आतंकवादी हमले के लिए आतंकवादियों को चुनने और ट्रेनिंग देकर उन्हें अमेरिका तक पहुंचाने की जिम्मेदारी दी थी।
इस प्लान को अमल में लाने के लिए उन्हें बेहद खास फिदायिनों की जरूरत थी और उनकी ये तलाश खालिद अल महाजि और नवाज अल हाजमी पर आकर रूकी। ये दोनों जिहादियों के बीच खास रूतबा रखते थे और ओसामा के बेहद करीबी भी थे। बाकी फिदायिनों को तलाशने का जिम्मा इन्हीं दोनों को सौंपा गया। जब उनकी तलाश पूरी हो गई तो 19 लोगों की टीम में से छह फिदायिनी को प्लेन उड़ाने की ट्रेनिंग दी गई और जब ओसामा को यकीन हो गया कि उसके गुर्गे अब कामचलाऊ तौर पर विमान उड़ाना सीख गए हैं, तब उसने बाकी आतंकियों को अंतिम तैयारी के लिए अमेरिका भेजा।
11 सितंबर 2001 की वो सुबह…
सुबह 7:15 मिनट पर बोस्टन के लोगन एयरपोर्ट से अमेरिकन एयरलाइंस फ्लाईट नंबर 11 का विमान लांस एंजलिस के लिए उड़ान भरने की तैयारी में था। तभी उसमें 19 में से पांच हाईजैकर मोहम्मद अत्ता, वलीफ अल शेही, अब्दुल अजीज, अल उमारी और सद्दाम अल शुमारी सवार हो गया। विमान में इन पांचों के अलावा 92 मुसाफिर सवार थे। विमान ने सुबह 7 बजकर 59 मिनट पर उड़ान भरी। इसके ठीक 15 मिनट बाद 8:14 में पांचों ने विमान को अपने कब्जे में ले लिया।
सुबह 7:30 मिनट पर बोस्टन के लोगन एयरपोर्ट पर यूनाइटेड एयरलाइंस फ्लाइट 175 का लांस एंजलिस के लिए उड़ान भरने ही वाला था कि उसमें पांच हाइजैकर सवार होते हैं। इस विमान में कुल 65 यात्री सवार थे। विमान सुबह 8:14 मिनट पर रवने छोड़ती है और ठीक 32 मिट बाद पांचों हाइजैकर्स ने विमान को कब्जे में ले लिया।
सुबह 7:40 मिनट पर ड्यूलिस इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर अमेरिकन एयरलाइंस का फ्लाइट नं 77 का विमान उड़ान भरने की तैयारी में था। तभी एक बार फिर पांच हाइजैकर्स उसमें सवार हुए। विमान ने 8:20 मिनट पर 64 मुसाफिरों को लेकर उड़ान भरी और 8:54 मिनट पर इस विमान का भी अपहरण हो चुका था।
सुबह 8:20 मिनट पर न्यूयॉर्क इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर यूनाइटेड एयरलाइंस की फ्लाइट नं 93 का विमान सन फ्रांसिसको तक उड़ान भरने की तैयारी में था। इस विमान में भी चार हाइजैकर्स सवार होते हैं। विमान के 8:42 पर 44 मुसाफिरों को लेकर उड़ान भरी और 9:28 मिनट पर चारों हाइजैकर्स ने इस विमान का भी अपहरण कर लिया।
जब अमेरिकियों ने देखा था मौत का मंजर
11 सितंबर, 2001 की तारीख हर रोज से अलग होने वाली थी और ये सुबह हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करवाने वाली थी। दहशत पैदा करने के लिए आतंकी संगठन अलकायदा ने चार अमेरिकी विमानों का अपहरण कर दो विमान वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के ट्विन टावर से टकराए, तीसरा विमान वॉशिंगटन डीसी के बाहर पेंटागन और चौथा विमान पेंसलिवेनिया के खेतों में गिरा।
इस हमले ने पूरी दुनिया के सामने आतंकवाद से निपटने की चुनौती दी। आतंकी हमले में अरबों डॉलर का नुकसान हुआ। अकेले डब्ल्यूटीसी में नष्ट हुई कलाकृतियों की कीमत 10 करोड़ डॉलर थी। यहां से 18 लाख टन मलबा हटाने में करीब नौ महीने का वक्त लगा। 9/11 हादसे में करीब तीन हजार लोगों ने जान गंवाई। इनमें चार सौ पुलिसकर्मी और अग्निशमन दस्ते के सुरक्षाकर्मी थे। हमले में मारे गए 372 गैर-अमेरिकी लोग थे। जिनमें विमान अपहरणकर्ताओं के अलावा 77 देशों के नागरिक भी शामिल थे।
हमले के फौरन बाद क्या बोले थे बुश?
अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को दो हवाई जहाजों के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर से टकराए जाने की तस्वीरें आपने पहले भी देंखी होंगी। और आतंकियों की साजिश के बारे में भी सुना होगा लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि हमले के फौरन बाद एयरफोर्स वन में क्या हुआ था। कैसे एयरफोर्स वन में आतंक के खिलाफ सबसे बड़े ऑपरेशन की तैयारी हुई थी। आतंक के आकाओं को पकड़ने के लिए अमेरिका का पहला प्लान एयरफोर्स में बना था। एयरफोर्स वन अमेरिकी राष्ट्रपति का विमान है। जब हमला हुआ तो अमेरिका के राष्ट्रपति फ्लोरिडा के एक स्कूल में थे।
उन्हें हमले की जानकारी दी गई। बुश वाशिंगटन जाना चाहते थे। लेकिन सुरक्षा एजेंसियों ने उन्हें वाशिंगटन जाने से मना कर दिया। क्योंकि पेंटागन पर भी हमला हो चुका था। हमले के तुरंत बाद सुरक्षा एजेंसियां वाशिंगटन लौटने की बजाए जार्ज बुश को पूरे दिन एयरफोर्स वन में सवार होकर अंजान दुश्मन से बचाती रही। बुश को एयरफोर्स वन से पहले लूजियाना के एयरबेस ले जाया गया और फिर वहां से निबरास्का ले जाया गया। इन दो जगहों पर ले जाने के दौरान एयरफोर्स वन में आतंक के खिलाफ ऑपरेशन का प्लान बना था। उस वक्त जार्ज बुश के साथ मौजूद प्रेस सिक्रेटरी ने खुलासा करते हुए बताया था कि तब बुश ने अधिकारियों के साथ बैठक में कहा था- “मैं इंतजार नहीं कर सकता। ये जिसने भी किया है मुझे वो चाहिए।
जिसने भी मुझे वाशिंगटन जाने से रोका है। मुझे वो चाहिए, हम उसे पकड़ लेंगे।” जार्ज बुश ने एयरफोर्स वन में ही ये तय कर लिया था कि अमेरिका के खिलाफ जिसने भी जंग का ऐलान किया है। उसे अंजाम भुगतना होगा और जब इस बात का खुलासा हुआ कि इस हमले को अलकायदा और लादेन ने अंजाम दिया है। तो फिर एयरफोर्स वन में कही बात बुश ने दोहराई भी थी। बुश ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि वो जिस भी बिल में बैठा होगा, हम उसे बिल में निकाल कर मारेंगे। बुश ने उस वक्त की नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर और बाकी अधिकारियों के साथ बैठक की। अमेरिका को वक्त जरूर लगा लेकिन आखिरकार उसने अपने सबसे बड़े दुश्मन को ढूंढ निकाला।
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