साइबर ठगों ने लालच देकर लोगों से लूटे 57 करोड़ रुपये.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
नौकरी और लाटरी से लेकर अन्य प्रलोभन देकर साइबर ठग लोगों को रोजाना निशाना बना रहे हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश के साइबर थानों में दर्ज मामलों के तहत साइबर ठग लोगों की गाढ़ी कमाई के 57 करोड़ रुपये से अधिक लूट चुके हैं, जबकि कई ऐसे मामले भी होते हैं, जिनमें पीड़ित व्यक्ति थाने तक पहुंचता ही नहीं है। यानी ठगी की वास्तविक रकम का आंकड़ा और बड़ा है।
अब आप सावधानी व सतर्कता से अपनी गाढ़ी कमाई लुटने से बचा जरूर सकते हैं। इसके लिए किसी अजनबी नंबर से आई काल को रिसीव करने के दौरान बातचीत में पूरी सतर्कता बरतें और बैंक संबंधी कोई जानकारी किसी से कतई साझा न करें। किसी वेबसाइट पर भी बैंक से जुड़ी जानकारियां साझा करने से पहले सौ बार सोच समझकर ही कदम बढ़ाएं।
उत्तर प्रदेश में पहली बार वर्ष 2016 में लखनऊ व गौतमबुद्धनगर में दो साइबर थानों की स्थापना हुई थी। साइबर अपराध के तेजी से बढ़ते मामलों को देखते हुए शासन ने वर्ष 2020 में 16 और साइबर थाने खोले। हर परिक्षेत्रीय मुख्यालय स्तर पर एक-एक साइबर थाने की स्थापना की। इन थानों में दर्ज मामलों और पीडि़तों से ठगी गई रकम के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो वह सावधान करने वाले हैं।
साइबर थानों में अब तक दर्ज फ्राड के कुल मामलों में 57 करोड़ रुपये से अधिक की रकम हड़पी गई है। साइबर ठगों की गिरफ्तारी कर पुलिस उनसे महज दो करोड़ रुपये ही बरामद कर सकी। जिन मामलों में समय रहते ठगी की सूचना मिल गई, उनमें करीब पांच करोड़ रुपये बैंक खातों में फ्रीज कराए गए।
साइबर थानों में कुल 629 मुकदमे दर्ज कर कार्रवाई के कदम बढ़ाए गए हैं लेकिन, पुलिस के लिए साइबर ठगों द्वारा लूटी गई रकम की बरामदगी हमेशा से बड़ी चुनौती ही रही है। साइबर ठग फर्जी सिम व फर्जी दस्तावेजों के जरिये खोले गए खातों को हथियार बनाकर रकम को बड़ी आसानी से हड़प लेते हैं। ई-वालेट के जरिये भी ठगी गई रकम को एक से दूसरे खाते में भेजकर पुलिस के लिए उसका सुराग जुटाने की चुनौतियां बढ़ा दी जाती हैं।
जीवन भर की पूंजी एक झटके में निकली : पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त उपनिरीक्षक रामलखन चौधरी को अजनबी नंबर से काल आई। फोन रिसीव किया तो साइबर ठग ने बेहद चालाकी से कहा कि आपका पेंशन खाता अपडेट करना है। ठग ने कई ऐसी निजी जानकारियां साझा कीं, जिनसे रामलखन झांसे में आ गए और अपने खाते की गोपनीय जानकारियां साझा कर बैठे। कुछ देर बाद उनके खाते से 10 लाख रुपये निकाल लिए गए। ऐसे ही कई और सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी ठगों का शिकार हुए और जीवन भर की पूंजी एक झटके में बैंक से निकल गई।
भरोसे की कीमत 40 हजार रुपये : लखनऊ निवासी दीपक को अजनबी पर भरोसे की कीमत 40 हजार रुपये गंवाकर चुकानी पड़ी। फोन करने वाले शख्स ने दोस्त बनकर बात की और दीपक को मजबूरी में फंसे होने की बात कही। हवाला दिया कि उसके पास यूपीआइ खाता नहीं है और कहा कि उसके भेजे लिंक को खोलकर देख ले। लिंक पर क्लिक करते ही दीपक के खाते से 40 हजार रुपये निकल गये।
झांसा देकर हासिल की खाते की जानकारी : लखनऊ निवासी मोतीलाल के पास एक मैसेज आया, जिसमें उनकी केवाइसी अपडेट न होने का जिक्र था। वह झांसे में आए। किसी मुसीबत में न फंसने की फिक्र इतनी बढ़ गई कि मैसेज में दिए गए नंबर पर काल कर बैठे। काल रिसीव करने वाले शख्स ने खुद को एक टेलीकाम कंपनी का कर्मचारी बताया और बातों ही बातों में मोतीलाल को अपने प्रभाव में ले लिया। ठग ने उन्हें झांसा देकर उनके खाते की जानकारी हासिल की और कुछ देर बाद ही उनके खाते से 60 हजार रुपये हड़प लिए गए।
हेल्पलाइन नंबर 155260 पर तत्काल करें शिकायत : एडीजी साइबर क्राइम रामकुमार का कहना है कि साइबर फ्राड के मामलों में ठगी गई रकम को बचाने के लिए हेल्पलाइन नंबर 155260 की शुरुआत की गई है। इस हेल्पलाइन नंबर को यूपी 112 से भी जोड़ा गया है, जिससे साइबर फ्राड की शिकायत मिलते ही ठगी गई रकम को बैंक खातों में ही फ्रीज कराया जा सके। एडीजी ने फाइनेंशियल फ्राड होते ही लोगों से इस नंबर पर तत्काल शिकायत दर्ज कराने को कहा है।
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