भारत और ऑस्ट्रेलिया के रक्षा एवं विदेश मंत्रियों की बैठक के नतीजे.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
हाल ही में भारत और ऑस्ट्रेलिया के रक्षा एवं विदेश मंत्रियों की बैठक हुई है. दोनों सामुद्रिक पड़ोसी देशों के मंत्रियों के बीच यह बैठक ‘टू प्लस टू’ मंत्री-स्तरीय संवाद व्यवस्था के तहत हुई पहली बातचीत थी. इन बैठकों में कई विषयों पर गंभीर और विस्तृत चर्चा की गयी तथा समूचे क्षेत्र में व्यापार के मुक्त विस्तार, अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुपालन तथा सतत आर्थिक बढ़ोतरी पर जोर दिया गया.
भारत और ऑस्ट्रेलिया ने द्विपक्षीय बहुआयामी रणनीतिक सहभागिता समझौते का भी एक वर्ष पूरा कर लिया है तथा कई मामलों में और स्तरों पर दोनों देशों के बीच सहयोग सघन हो रहे हैं. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन ने जून, 2020 में एक वर्चुअल शिखर बैठक में द्विपक्षीय रणनीतिक सहभागिता का विस्तार कर उसे बहुआयामी स्वरूप दिया था. इन दोनों नेताओं के बीच गहरा और व्यक्तिगत जुड़ाव होने से इस सहभागिता को एक आवश्यक राजनीतिक संरचनात्मक आधार मिल रहा है.
दोनों देशों के बीच विभिन्न भू-रणनीतिक और भू-आर्थिक मुद्दों पर दृष्टिकोणों में भी समानताएं बढ़ती जा रही हैं, जिसे दोनों देशों के लोगों के गहन आपसी जुड़ाव का समर्थन भी प्राप्त है. अनगिनत मसलों पर भारत और ऑस्ट्रेलिया आपसी सहयोग व भागीदारी को संस्थाओं तथा संगठनों के माध्यम से तेजी से बढ़ा रहे हैं. यह बढ़ोतरी द्विपक्षीय स्तर के साथ-साथ त्रिपक्षीय और बहुपक्षीय स्तरों पर भी हो रही है.
इस संदर्भ में सचिव स्तर के ‘टू प्लस टू’ संवाद व्यवस्था को प्रोन्नत कर मंत्रियों के स्तर तक लाना दोनों देशों के बीच सकारात्मक रूप से परिवर्तित होते संबंधों को रेखांकित करता है. पहले दोनों देशों के रक्षा और विदेश सचिव इस व्यवस्था के तहत बैठकें करते थे. यह व्यवस्थागत प्रोन्नति यह भी इंगित करती है कि दोनों देश विभिन्न क्षेत्रों में एक साथ काम करने के लिए संकल्पबद्ध हैं.
एक मुक्त, खुले, समावेशी और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र में दोनों देशों के गहरे हित हैं. इसमें इस क्षेत्र के सभी देशों के लिए आवागमन की स्वतंत्रता और स्थायित्व शामिल हैं. सामान सुरक्षा चुनौतियों तथा क्षेत्रीय सुरक्षा व्यवस्था से प्रेरित होकर दोनों देशों ने द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग से जुड़े प्रयासों को तेज कर दिया है.
परस्पर सुरक्षा हितों से संबंधित क्षेत्रों में समन्वय और सक्रियता में बढ़ोतरी करने के लिए दोनों देश अपने मुख्य सहयोगी देशों के साथ भी सुरक्षा संवाद बढ़ा रहे हैं. क्वाड समूह के देशों द्वारा उनकी नौसेनाओं के बीच परस्पर सामरिक सहयोग और सुरक्षा कौशल को बढ़ावा देने के लिए किया गया मालाबार नौसैनिक अभ्यास इसी दिशा में उठाया गया कदम है. साल 2020 से सभी क्वाड सदस्य देश- ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका- मालाबार नौसैनिक अभ्यास में हिस्सा ले रहे हैं.
जबकि यह नौसैनिक अभ्यास रणनीतिक स्तर पर इन चारों देशों के बीच गहन होते संबंधों की ओर संकेत करता है, वहीं व्यवहार के स्तर पर यह नौसेनाओं को अत्याधुनिक युद्ध कौशल विकसित करने का अवसर भी प्रदान करता है. इस अभ्यास के तहत उपलब्ध हवाई और सामुद्रिक हथियारों, युद्धपोतों, लड़ाकू विमानों, मिसाइलों, पनडुब्बियों तथा अत्याधुनिक युद्ध तकनीकों का इस्तेमाल कर व्यावहारिक तैयारी की जा रही है.
साल 2020 में द्विपक्षीय व्यापार का आकार 24.4 अरब डॉलर आंका गया था, जिसमें दोनों देश एक-दूसरे के पूरक हैं. भारतीय अर्थव्यवस्था न केवल दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, बल्कि इसमें बहुत दूरगामी आर्थिक परिवर्तन भी हो रहे हैं. इस प्रक्रिया में ऑस्ट्रेलिया एक बहुत महत्वपूर्ण सहयोगी के रूप में स्थापित है क्योंकि दोनों ही देशों की दृष्टि नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समावेशी आर्थिक समन्वय तथा आक्रामक चीन की ओर से मिल रही चुनौती से प्रेरित है.
कृषि व्यवसाय, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य सेवा, ऊर्जा, खनन, शिक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, बिग डाटा और फाइनेंशियल तकनीक आदि कई क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच वाणिज्य-व्यापार में वृद्धि देखी जा रही है. भारत और ऑस्ट्रेलिया की कोशिश एक सतत दीर्घकालीन आर्थिक संबंध स्थापित करने की है. भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल तथा उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष वाणिज्य मंत्री डैन टेहन ने एक साझा बयान में अपनी योजना के बारे में बताया है कि दोनों देश दिसंबर तक कृषि उपज संबंधी व्यापार समझौते पर अंतिम निर्णय ले लेंगे.
यह समझौता दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापक व्यापार समझौते के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा. भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच व्यापार में बढ़ोतरी के बावजूद उन पुराने मसलों का समाधान करना जरूरी है, जो दोनों देशों के बीच सक्रिय और सघन आर्थिक एकजुटता और गतिशीलता के लिए बाधक बने हुए हैं. दूध, चीज, फल, मक्खन, सब्जी और खाद्यान्न आदि कृषि और दुग्ध उत्पादों पर भारत बहुत अधिक शुल्क लगाता है. इस वजह से ऑस्ट्रेलिया के निर्यातकों के लिए इन वस्तुओं को भारत भेज पाना कठिन हो जाता है. ऑस्ट्रेलिया में भारत के कुशल पेशेवर लोगों को गैर-शुल्क बाधाओं तथा भेदभाव का सामना करना पड़ता है.
दोनों देशों में शानदार लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं हैं और दोनों ही अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान करते हैं तथा आकार एवं शक्ति से इतर सभी देशों की समानता में विश्वास करते हैं. इस विकसित होती जाती द्विपक्षीय सहभागिता को ‘टू-प्लस-टू’ संवाद व्यवस्था ने और भी बड़ा आधार उपलब्ध कराया है. आगामी दिनों में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच शिखर बैठक की संभावना है.
वह बैठक भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच परस्पर राजनीतिक समझ को विस्तार देगी तथा दूरगामी प्रभाव के सहयोग की अतिरिक्त संभावनाओं के द्वारा खोलेगी. द्विपक्षीय संबंधों की बेहतरी के साथ दोनों देश इंडोनेशिया, फ्रांस और जापान समेत विभिन्न समान विचार रखनेवाले देशों के साथ त्रिपक्षीय सहयोग व्यवस्था बनाने की दिशा में भी अग्रसर हैं.
इसी प्रकार, हाल के महीनों में क्वाड सहयोग ने भी सार्थक गति पकड़ी है. इन देशों के लिए यह सही समय है कि वे अब ‘क्वाड प्लस’ व्यवस्था पर विचार करना प्रारंभ करें तथा इसे अधिक व्यापक व संवेदनशील और इस क्षेत्र के देशों के लिए अधिक स्वीकार्य बनायें. अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में हो रहे भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक परिवर्तन भारत एवं ऑस्ट्रेलिया के लिए यह आवश्यक बना रहे हैं कि वे मानवीय दृष्टि और सिद्धांतों पर आधारित ठोस सहभागिता स्थापित करें.