वाराणसी में अनंत चतुर्दशी के पावन पर्व पर भगवान पार्श्वनाथश् नाथ का हुआ 108 चांदी के कलशो से महा मस्तकाभिषेक Video
श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी
वाराणसी 19 सितंबर / अनंत चतुर्दशी के पावन पर्व पर रविवार को अनंत नाथ एवं देवाधिदेव पार्श्वनाथ जी का महा मस्तकाभिषेक 108 रजत कलशो से भक्तों ने इंद्र के रूप में किया। पार्श्वनाथ पर्व के अंतिम दिन रविवार को नगर की समस्त जैन मंदिरों में परंपरा के अनुरूप जाकर दर्शन-पूजन-प्रचार किया।
ग्वालदास साहूलेन स्थित श्री दिगंबर जैन पंचायती शीशे वाला मंदिर में सकल जैन समाज की उपस्थिति में सायंकाल 4:00 बजे व्रत धारी इंद्र के रूप में शुद्ध केसरिया वस्त्रों में वाद्य यंत्रों एवं शहनाई की मंगल ध्वनि के बीच श्रावकों ने मंत्रोच्चारण के साथ रजत पांडुक शिला के कमल सिंहासन पर विराजमान कर तीर्थंकर द्वय का बारी-बारी से पंचाभिषेक से महा मस्तकाभिषेक किया. जैन मतावलंबी ने कठिन निर्जला व्रत रखकर नमन पाठ पढ़कर इच्छुक रस धारा , दुग्ध धारा , घृत धारा , केशर एवं शुद्ध गंगाजल के 108 रजत कलशों से तीर्थंकरों का प्रक्षाल महा मस्तकाभिषेक किया. इस नयनाभिराम दृश्य को देखने के लिए भक्तगण वर्ष भर इंतजार कर मंदिर जी में एकत्र हुए।
भाद्र शुक्ल पंचमी से अनंत चतुर्दशी तक 10 दिनों तक चलने वाला पर्युषण दस लक्षण महापर्व पर जैन धर्म की प्राचीन परंपरा के अनुसार अनंत चतुर्दशी पर्व पर विभिन्न जैन मंदिरों में भगवान पार्श्वनाथ जी की जन्मभूमि भेलूपुर , खड़ग सेन उदय राज जैन मंदिर भेलूपुर, भगवान सुपार्श्वनाथ की जन्मस्थली भदैनी जैन घाट, भगवान श्रेयांसनाथ जी की जन्मभूमि सिंहपुरी सारनाथ, चंदा प्रभु भगवान की जन्म स्थली चंद्रपुरी चौबेपुर के अलावा भगवान महावीर स्वामी की दिव्य प्रतिमा जैन मंदिर नरिया, श्री अजीतनाथ दिगंबर जैन मंदिर खोजवां, मैदागिन, हाथी बाजार, मझवा, भाट की गली एवं चैत्यालयो में जाकर दर्शन पूजन करते है।
भक्तगण प्रातःकाल से ही शक्ति सामर्थ्य अनुसार परिक्रमा, पैदल समूह में, वाहनों से दिनभर में दर्शन-पूजन , वंदना करने के बाद सायंकाल श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर ग्वालदास साहूलेन पहुंचने पर मुख्य आयोजन महामस्तकाभिषेक में शामिल हुए।मंदिर जी में प्रातःकाल से ही चौबीसी पूजन, देव शास्त्र, गुरु पूजा, विनय पाठ, अनंतनाथ पूजा, जिनेंद्रनाथ पूजा, शांति पाठ एवं महाअर्घ्य आदि शहनाई , ढोल की मंगल ध्वनि के बीच भक्तों ने किया।
जैन धर्मावलंबी भादो मास में पड़ने वाले पर्यूषण पर्व पर 10 वृत्तियों का व्रत लेकर मन-वाणी एवं शरीर आत्मा को शुद्ध करते हुए कठिन तपस्या एवं साधना व्रत के साथ मन शुद्धि, आत्म शुद्धि, उपवास, जपमाला, ध्यान, स्तुति, वंदना इत्यादि अपने आत्मबल को जगाने के लिए करते हैं।
अनंत चतुर्दशी के पावन अवसर पर श्रद्धालु भक्तों ने अनंत सूत्र को पंचामृत अभिषेक में भिगोकर हाथों में बांधा. नगर की समस्त जैन मंदिरों में आज भगवान वासुपूज्य जी का मोक्ष कल्याणक भी मनाया गया। भगवान पर्श्वनाथ जी की जन्मस्थली भेलूपुर में प्रातः आचार्य विशद सागर जी के मंगल सानिध्य में वृहद विधान का भी आयोजन किया गया. संगीतमय विधान पूजा को विधानाचार्य पंडित अशोक जैन ने संपन्न करवाया।विधान में 17 जुलाई से 26 सितंबर तक लगातार त्रिकाल वरती तीर्थंकर व्रत की साधना कर रहे मुनि श्री 108 विशाल सागर जी महाराज का भी मंगल सानिध्य प्राप्त था।
पर्यूषण पर्व के अंतिम दिन रविवार को प्रातः भेलूपुर में पर्व के दसवे एवं अंतिम अध्याय , “उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म“ पर व्याख्यान प्रवचन देते हुए कहा- “ब्रह्म का अर्थ है निजात्मा और चर्य का अर्थ है आचरण करना या लीन होना. अतः ब्रह्मचर्य से तात्पर्य निज आत्मा में लीन होना है. साधारण बोलचाल में ब्रह्मचर्य से तात्पर्य स्त्री से संसर्ग के त्याग को ब्रह्मचर्य कह दिया जाता है, लेकिन ब्रम्हचर्य में स्त्री, घर-बार छोड़ देना लेकिन अंतरंग से विषयों का त्याग ना करें तो यह ब्रम्हचर्य नहीं कहलाता. निश्चय से ज्ञानानंद स्वभावी निज आत्मा को निज मानना, जानना और उसी में रम जाना, लीन हो जाना ही उत्तम ब्रह्मचर्य होता है अर्थात अपने ब्रह्म में चर्या करना ही वास्तव में ब्रह्मचर्य है. जो साक्षात मोक्ष का कारण है।सायं काल शास्त्र प्रवचन एवं भगवंतो की महाआरती की गई एवं विद्वत जनों का सम्मान किया गया. महिला मंडल द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं भजन किया गया।
आयोजन में प्रमुख रूप से सभापति श्री दीपक जैन, उपाध्यक्ष राजेश जैन , आर. सी जैन, विनोद जैन, संजय जैन, प्रधानमंत्री अरुण जैन, समाज मंत्री तरुण जैन, मंत्री रत्नेश जैन, राजेश भूषण जैन, विशाल जैन, प्रताप चंद्र जैन, पंकज जैन उपस्थित थे।