सीआईडी व क्राइम पेट्रोल की मिस्ट्री सॉल्व होते देख काशी की बेटी बन गयी फारेंसिक साइंटिस्ट
श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी
वाराणसी / महिलाओं को हमेशा पुरुष प्रधान देश में कमतर आंका जाता है। इसके बावजूद महिलाएं इस पुरुष प्रधान देश में अपनी सफलताओं का परचम लगातार बुलंद करती नज़र आती हैं। ऐसा ही कारनामा किया है काशी की होनहार बेटी पारुल सिंह ने, पारुल ने बचपन से CID और क्राइम पेट्रोल देखकर अपना लक्ष्य फॉरेंसिक साइंस को बनाया और आज उन्होंने फारेंसिंक साइंस में 76 प्रतिशत अंक पाकर काशी का नाम रौशन किया है। पारुल इस मुकाम को पाकर खुश हैं साथ ही और लड़कियों को भी इस क्षेत्र में आगे आने की सलाह दे रही हैं।
समय के साथ-साथ बहुत कुछ बदल गया है। आज महिलाएं और लड़कियां हर क्षेत्र में आगे है और अपना परचम लहरा रही है। एक फील्ड ऐसी भी है जो महिलाओं के लिए काफी नयी है, लेकिन इस क्षेत्र में भी वो अपने कदम आगे बढ़ा रही है। हम बात कऱ रहे है फॉरेंसिक साइंस की यह फील्ड है, जहां अपराधियों का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक सिद्धांतों व तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। इस कार्य में फॉरेंसिक एक्सपर्ट अपराध स्थल से मिले साक्ष्यों मसलन, ब्लड, बॉडी फ्लूड, हेयर, फिंगरप्रिंट, फूट प्रिंट आदि सबूत इक्कठा करने में पुलिस के साथ मिलकर काम करते हैं। आज हम आपको वाराणसी की बेटी पारुल सिंह के बारे में बताते है, जो फॉरेंसिक साइंस की छात्रा है और उन्होंने इस विषय में 76% अंक प्राप्त कर माता पिता भाई बहन संग पूरे काशी वासियों का सर गर्व से ऊंचा कर दिया है।
समाज में हर मुश्किल कार्य महिलांए ज़्यादा बेहतर करती है – पारुल
वाराणसी के दारानगर की रहने वाली पारुल सिंह से जब हमारी संवाददाता ने बात किया तो उन्होंने पहले तो कहा कि महिलाओं के लिए कोई चुनौती मुश्किल नहीं है क्योंकि समाज में जितना मुश्किल कार्य है वो महिलांए ज़्यादा अच्छे से करती हैं। पारुल ने बताया कि उन्हें बचपन से ही रिसर्च का शौक था। सीरियल CID और क्राइम ब्रांच में हर क्राइम सीन में देखती थी कि डॉक्टर्स असलियत का पता लगाते हैं पर बाद में पता चला कि ये डॉक्टर नहीं फोरेंसिक एक्सपर्ट हैं।
इससे मेरी जिज्ञासा और रुचि इस सब्जेक्ट की ओर बड़ी। पारुल ने ग्रेजुएशन पूरा करने बाद इस सब्जेक्ट से स्टडी करने की ठानी, जिसके बाद उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से फॉरेंसिक साइंस से सब्जेक्ट से मास्टर्स की डिग्री हासिल की है।
क्राइम के बाद उठने वाले सवालों से इस सब्जेक्ट में बढ़ी जिज्ञासा
पारुल ने बताया कि यह सब्जेक्ट काफी इंटरेस्टिंग और नया है। इसमें हम अपने पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ दोनों को जोड़ कर देखते है। जब भी कोई क्राइम होता है तो मन में कई सारे सवाल आते है कि, यह घटना कैसे हुई क्यों हुई, किस तरह हुई ऐसे कई सवाल होते है जिन्हें जानने की जिज्ञासा मन में बढ़ती जाती है। स्टूडेंट्स के लिए यह बिलकुल मिस्ट्री जैसा बन जाता है, जिससे उसे जानने की मन में और भी ललक उठती है। इस सब्जेक्ट में हमें किसी भी क्राइम को सॉल्व करना सिखाया जाता है। कहीं भी मर्डर या कोई घटना घटित होती है, तो फोरेंसिक टीम को बुलाया जाता है, सीन रीक्रिएट होता है कि वह घटना कैसे हुई उसे कैसे अपराधी ने अंजाम दिया गया होगा। इन सारे चीजों से स्टूडेंट्स का इंट्रेस्ट इस सब्जेक्ट में और भी बढ़ जाता जाता है।
सेल्फ मोटिवेट होकर इस सब्जेक्ट को चुना
पारुल ने बताया कि उनके घर में ऐसा कोई मौहाल नहीं है और न ही इस सब्जेक्ट में किसी कि रूचि रही और न ही उन्हें किसी ने इसके लिए मोटिवेट किया। पारुल बताती है कि उनके घर में सभी ने कॉमर्स सब्जेक्ट से पढ़ाई की है। वह सेल्फ मोटिवेट हुई और फोरेंसिक साइंस सब्जेक्ट को चुना। उन्होंने बताया कि ग्रेजुएशन के साथ-साथ कुछ टाइम के लिए उन्होंने टीचिंग भी की है और वह अपने स्टूडेंट्स को भी इस फील्ड की जानकारी देने के साथ-साथ मोटिवेट कर रही। पारुल का कहना है कि वह आगे इसी सब्जेक्ट से PHD भी करेंगी। पारुल ने बताया कि अगर इस सब्जेक्ट में आपके पास मास्टर्स डिग्री है तो आप किसी भी लैबोरेटरी में साइंसटिफ़िक ऑफिसर या लैबोरेट्री अस्सिटेंट पोस्ट के लिए योग्य बन जाते है।
देश में बढ़ते क्राइम के साथ लैब्रोटरी की हालात बेहाल
पारुल का कहना है कि आगे आने वाली युवा पीढ़ी के लिए फोरेंसिक साइंस में बहुत ही उभरता हुआ भविष्य है, क्योंकि यह काफी इंट्रेस्टिंग फील्ड है। पारुल ने बताया कि इस टाइम हमारे देश में दिन-प्रतिदिन क्राइम बढ़ता जा रहा है। हमारे देश में लैब्रोटरी की जो हालात है कि बहुत कम रिक्रूमेंट हो रहे है। जिससे की किसी भी केश को सॉल्व करने और उसका रिजल्ट देने में बहुत टाइम लग जाता है। फ़िलहाल कुछ टाइम से पॉक्सो एक्ट और एनडीपीएस एक्ट इन दोनों में फास्टिंग हुई है, इसमें 15 दिनों के अंदर ही लेब्रोटरी आपको रिजल्ट दे देता है। वहीं बाकी अन्य केश में रिजल्टिंग प्रकिया बहुत धीमी है। जितनी तेजी से इस फील्ड में रिक्रूटमेंट होंगे उतनी ही तेजी से रिजल्टिंग प्रकिया होगी, जिससे क्राइम भी घटेगा।
फॉरेंसिक यूनिवर्सिटी, स्टूडेंट्स के लिए यह सुनहरा मौका
फोरेंसिक एक्सपर्ट की आगे बहुत रिक्रूमेंट आने वाली है। अभी हाल में ही हमारे गृहमंत्री अमित शाह ने यूपी के पहले फोरेंसिक यूनिवर्सिटी का शिलान्यास लखनऊ में किया है। वैसे कुछ यूनिवर्सिटी यूपी में है जहां प्राइवेट सब्जेक्ट के तौर पर फोरेंसिक साइंस सब्जेक्ट पढ़ाया जाता है, लेकिन फ़ीस ज्यादा है। पारुल ने कहा कि जो स्टूडेंट इतनी फ़ीस प्रिफर नहीं कर पा रहे उनके लिए यह एक बहुत बड़ा अवसर है कि उनके लिए यूपी में सरकार इतनी बड़ी यूनिवर्सिटी बना रही। जिससे यूपी के स्टूडेंट्स को कही बाहर इस सब्जेक्ट की स्टडी के लिए नहीं जाना पड़ेगा।
यह फील्ड चुनकर काफी गर्व महसूस होता है
पारुल ने बताया कि इस करियर के चुनाव में उनके पिता और परिवार ने उन्हें पूरा सपोर्ट किया है किसी ने कभी आपत्ति नहीं जताई। वह तीन भाई बहन है और उनके घर में हर किसी को अपना करियर चुनने की पूरी आजादी है। पारुल ने बताया कि यह फील्ड चुन कर बहुत ही गर्व महसूस होता है। पारुल का कहना है कि उनके माता-पिता जब भी किसी को बताते है कि मेरी बेटी यह सब्जेक्ट पड़ रही तो उन्हें काफी बताते हुए गर्व महसूस होता है और अच्छा लगता है और सामने वाला भी उनसे इसके बारे में जानकारी लेता है। दूसरे भी यह सुनकर काफी मोटिवेट होते है। पारुल कहती है कि वह भी इस फील्ड के बारे में लोगों बताती है और इससे जुड़ने के लिए मोटिवेट करती है। पारुल का कहना है कि इस फील्ड से जुड़ने के लिए अंदर से काफी स्ट्रांग होना बहुत जरूरी है।
रिक्रूटमेंट का काम जितना फ़ास्ट होगा, क्राइम का ग्राफ घटेगा
पारुल ने बताया कि फॉरेंसिक लैब की हमारे देश में बहुत जरूरत है। हमारे यूपी में अभी लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी, आगरा में इन चारों शहर में फॉरेंसिक लैबोरेट्री है और मुरादाबाद इलाहाबाद में अभी बन रहे है। लैब से ज्यादा फ़िलहाल वैकेंसी की जरूरत है, कोरोना के कारण रिक्रूटमेंट में देर हो रही है। अभी धीरे-धीरे एग्जाम हो रहे है। पारुल का कहना है कि रिक्रूटमेंट का काम जितना फ़ास्ट होगा उतना ही क्राइम का ग्राफ घटेगा क्योंकि रिसल्टिंग प्रकिया तेजी से होगी और एविडेंस का परीक्षण जल्दी से होगा।
इस समय दुष्कर्म के मामलों की हो रही त्वरित व बेहतर जांच
पारुल ने बताया इस समय दुष्कर्म के मामले में लैब्रोटरी को बोला जाता है कि 15 दिन के अंदर रिपोर्टिंग दे और इस टाइम इसकी बेहतर तरीके से और जल्दी जाँच हो रही है। जिससे रिजल्ट जल्दी से दिया जाता है। पारुल ने बताया कि वह ज्यादा कर स्टडी में बिजी रहती है, खाली टाइम में उन्हें कुकिंग करना पसंद है। वह इंडियन फ़ूड जायदा पसंद करती है और उन्हें गाने सुनना भी पसंद है।