फोल्डर गायब कर फर्जी को नियमित करने का चल रहा खेल,कहाँ?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार में फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति मामले में अधिकारियों के गठजोड़ का एक मामला सामने आया है. प्राथमिक शिक्षा निदेशालय ने इसकी पुष्टि करते हुए एक प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर उनकी वेतन वृद्धि पर रोक लगाते हुए कई गंभीर आरोप भी लगाए हैं. सूत्रों का कहना कि जांच में यह भी बात सामने आयी है कि अधिकारियों की मिली भगत से फ़ोल्डर गायब कर फर्जी शिक्षकों को नियमित करने की कार्रवाई की जा रही है.

कैसे खुला राज

मामला 2018का है. उदवंत नगर के तत्कालीन प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी योगेंद्र कुमार ने प्रधान सचिव के पास अपने वेतन वृद्धि पर लगे रोक को हटाने को लेकर एक अपील किया. प्रधान सचिव ने इसपर सुनवाई करते हुए प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी योगेंद्र कुमार को कड़ी फटकार लगयी. इसके साथ ही उनके वेतन वृद्धि पर लगी रोक को बरकरार रखा.

क्या है आरोप

उदवंत नगर के तत्कालीन प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी योगेंद्र कुमार पर आरोप है कि उन्होंने अपने काम को ठीक से नहीं किया जिसके कारण सरकार को राजस्व की क्षति हुई. सरकार के उप- मुख्य सचिव की ओर से जारी पत्र में लिखा है कि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने फर्जी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की. जिसके कारण सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ. इसके कारण सजास्वरुप उनके वेतन वृद्धियों को रोकने के दंड की सम्पुष्टि की जाती है.

बताते चलें कि उनपर आरोप है कि उदवंत नगर के तत्कालीन प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को प्रखंड के फर्जी शिक्षकों की सूचना रहने के बाद भी उन्होंने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. इतना ही नहीं उन्होंने इस फर्जीवाड़े की सूचना भी अपने किसी वरीय अधिकारी को नहीं दी. अधिकारियों के सूचना मिलने पर उन्होंने कुछ शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई कर 2018 में उनके वेतन को रोकने की कार्रवाई की. शिक्षकों के वेतन खाते और शैक्षणिक प्रमाण पत्र को भी उन्होंने चेक नहीं किया. इसके कारण कई फर्जी शिक्षक को वेतन जाता रहा और सरकार को राजस्व की क्षति हुई.

फोल्डर गायब कर फर्जी को कर रहे नियमित

इधर, सूत्रों का कहना है कि शिक्षा विभाग के निर्देश के बाद भी फर्जी शिक्षकों के ऊपर उदवंतनगर में कोई कार्रवाई आगे नहीं हुई है. शिक्षा विभाग से जुड़े सूत्र कहते हैं कि फर्जी शिक्षकों ने विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर फोल्डर ही गायब करवा दिया है. जिसके कारण विभाग के पास कोई डाटा नहीं है. जिसके आधार पर फर्जी शिक्षकों के खिलाफ कोई कार्रवाई की जा सके.

यहां तक कि बिना विधिवत नियोजन के ही इन फर्जी शिक्षकों का नाम मास्टर डाटा में प्रविष्ट करा दिया गया है जो बड़े स्तर पर मिलीभगत को दर्शाता है। हालांकि अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग ने इन अनियमितताओं अपनी गंभीर नाराजगी जताई है, इन शिक्षकों का पद पर बना रहना और उनके खिलाफ प्राथमिकी न दर्ज होना, जिला एवं प्रखंड स्तर के पदाधिकारियों के मिलीभगत की ओर इंगित करता है।

 

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